भारतीय हिन्दू स्त्रियो के लिए" करवाचौथ" का व्रत अखंड सुहाग को देने वाला माना जाता हैं|विवाहित स्त्रियाँ इस दिन अपने पति की दीर्घायु एवं स्वस्थ की मंगलकामना करके भगवान चंद्र को अर्द्ध अर्पित कर व्रत पूर्ण करती हैं| वास्तव में करवा चौथ का त्यौहार भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बंधन का प्रतीक हैं जो पति पत्नी के बीच होता हैं| भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर को संज्ञा दी गई हैं |करवा चौथ अथवा करक चतुर्थी पति व पत्नी दोनों के लिए नव प्रणय- निवेदन और एक दुसरे के प्रति अपार प्रेम,त्याग एवं उत्सर्ग की चेतना लेकर आता हैं |इस दिन स्त्रिया पूर्ण सुहागिन का रूप धारण कर वस्त्र, आभूषण को पहनकर चंद्र देव से अपने अखंड सुहाग की प्रार्थना करती हैं |
शास्त्रों में इस व्रत से जुड़ी अनेक कथाये प्रचलित हैं|शरद पूर्णिमा के तीन दिन बाद आने वाला यह मांगलिक पर्व "करवा चौथ" परिवारों में एक अपूर्व उल्लास व आत्मीयता भर देता हैं|महिलायें सोलह श्रृंगार करती हैं, सज धज कर अप्सराओ का सा रूप धर लेती हैं| नए वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, आभूषण धारण करती हैं तथा ईश्वर के समक्ष दिनभर के व्रत के बाद यह प्रण भी लेती हैं की वे सदैव मन,वचन और कर्म से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी |
इस पर्व को मनाने की हर प्रदेश की कुछ अपनी परंपराए व पकवान हैं |पंजाब में फीकी व मीठी मठ्ठिया लेने देने का रिवाज़ हैं |राजस्थान में फीणी का चलन हैं |उत्तर प्रदेश में घर में ही पुए बनाने का रिवाज़ हैं |
इसी प्रकार कही कही पहले चंद्रमा का प्रतिबिम्ब महिलायें पानी भरी थाली में देखती हैं और फ़िर उसी थाली में पति के चेहरे का प्रतिबिम्ब देखती हैं |कही छलनी से पति दर्शन का रिवाज़ हैं तो कही पति की आरती उतारी जाती हैं |
करवा चौथ से सम्बंधित कथा -इन्द्रप्रस्थ नगरी में वेद्शर्मा नामक एक ब्राह्मण के सात पुत्र व एक पुत्री थी जिसका नाम वीरावती था जिसका विवाह सुदर्शन नामक एक ब्राह्मण के साथ हुआ |एक बार करवा चौथ के दिन वीरावती भूख सह ना पाने के कारण निढाल होकर बैठ गई तब उसके भाइयो ने नकली चन्द्र
बनाकर उसकाव्रत खंडित करवा दिया जिससे उसका पति बीमार हो गया तथा इन्द्राणी द्वारा दिए गए वरदान व दुबारा करवा चौथ का व्रत विधिविधान से करने पर ही ठीक हुआ |उसी दिन से करवा चौथ का व्रत मनाया जाता हैं |
व्रत विधि -प्रात:सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत होकर नेत्र आचमनं करे |अपने पति की लम्बी आयु और सुख सौभाग्य का संकल्प लेकर व्रत आरम्भ करे, दिन भर निराहार व निर्जल रहकर व्रत करे, शाम को सोलह श्रृंगार करके पूजा हेतु बैठे तथा चौथ माता की तस्वीर के आगे कथा सुने या पढ़े| शक्कर के एक करवे में मिठाई व दुसरे में गेहू चावल भरे |मिटटी के करवो में दूध मिश्रित मीठा जल भरे ये सब करवे नैवेध आदि पाटे पर सजाकर शिव,पार्वती,गणेश,कार्तिकेय,सूर्य व चंद्र का पूजन कर दर्शन करे व जल चढाकर सास के पैर छुकर आर्शीवाद लेकर उन्हें फल,मेवा,व सुहाग सामग्री देकर स्वयं पुरे परिवार के साथ भोजन व जल ग्रहण करे |
2 टिप्पणियां:
bhe ji ke kamal jaankri de tumul !!
सच मै आप ने बहुत सुंदर लिखा, कल है करवा चोथ,
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