शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2009

भारत बनेगा नंबर वन

दिनांक १५ सितम्बर २००९ से भारत वर्ष पर सूर्य की महा दशा आरम्भ हो जायेगी सूर्य की महादशा अपने ६ वर्षो में भारत को विश्व पटल पर ज़बरदस्त रूप में स्थापित करेगी ऐसा भारत वर्ष के ग्रह नक्षत्रो से प्रतीत होता है|

१५ अगस्त १९४७ रात १२:०० बजे जब भारत वर्ष की स्थापना हुई उस समय वृषभ लग्न चल रहा था तथा चंद्रमा का संचार शनि के नक्षत्र पुष्य व राशिः कर्क पर था जिससे भारत ने क्रमश: शनि,बुध,केतु व शुक्र की महादशाये भोगी तथा १५ सितम्बर से सूर्य की महा दशा शुरू होगी यह भी विडंबना ही है कि अब तक सभी भोग्य दशाओ के स्वामी तृतीय भावः में विराजित है तथा आगामी १६ वर्षो के दशा नाथ भी तृतीय भावः में ही स्थित है|


भारत वर्ष की कुंडली में तक्षक नामक "कालसर्प" है तथा लग्नेश व भाग्येश (शुक्र व शनि ) अस्त स्थिति में है लग्न में राहू की स्थिति अच्छी नही हैं,तीसरे (पराक्रम,भात्र,पड़ोस,खेल व मित्र) भावः में ग्रहों की अधिकता होने के कारण भारत पडोसियों से हमेशा आक्रांत रहता है और रहेगा|


सूर्य
की महा दशा भारत की शक्ति विकास को बढाएगी भारत कई क्षेत्रो में विशेष कर शिक्षा,बुद्धि,खेल,तकनीक व विकास के क्षेत्र में दुनिया में एक बड़ी शक्ति बन के उभरेगा|

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