मार्च २००९ में" मेक्सिको" नामक देश में" स्वाइन फ्लू "नामक बीमारी का पता चला, तब से यह बीमारी अन्य देशो में भी फैलती जा रही हैं |इस भयानक बीमारी से अब तक लगभग २५०० से भी ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा हजारो लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं |
आइये ज्योतिषीय दृष्टी से इस बीमारी का आंकलन करते हैं|
"स्वाइन फ्लू" नामक यह बीमारी वास्तव में" सूअर" में पाए जाने वाले "इन्फ़्लुएन्ज़ा" नामक बीमारी के वायरस" एच वन एन वन" का ही बदला हुआ रूप हैं |ज्योतिष शास्त्र में इस बीमारी का सम्बन्ध मंगल व शनि ग्रह से हैं यहाँ यह भी देखने योग्य तथ्य हैं की रोग हेतु छटा भावः देखा जाता हैं जिसका कारक मंगल, बुध व शनि को ही माना जाता हैं |
मंगल हमारे शरीर में कान, नाक, खून, फेफडे व मष्तिस्क पर नियंत्रण तथा बुखार, अग्नि, रक्तचाप, पीलिया,चोट, दुर्घटना व सर्जरी का पता बताता हैं वही शनि शरीर में वायु, पीत, सर, गर्दन, दांत व हड्डियों पर नियंत्रण तथा प्रदुषण से होने वाली संक्रमित बीमारियो, वायुविकार, गठिया तथा जोडो के दर्द का पता बताता हैं|
जब भी आकाश में भ्रमण करते समय मंगल व शनि की युति व दृष्टी सम्बन्ध बनते हैं धरती पर महामारी दुर्घट्नाये व प्राकतिक आपदाये आती हैं कारण शनि व मंगल ग्रह का आपस में शत्रुता का व्यवहार होना ऐसा हम सब जानते ही हैं मार्च २००९ में मंगल कुम्भ राशिः तथा शनि सिंह राशिः पर समसप्तक दृष्टी सम्बन्ध बनाये हुए थे जिस दौरान इस बीमारी का जन्म हुआ व इसका पता चला |२२ जुलाई को भारत की राशिः कर्क में जब सूर्यग्रहण पड़ा तब इस बीमारी ने भारत में दस्तक दी, तब तक यह अन्य एशियाई देशो में अपना प्रसार कर चुकी थी यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य हैं की इस समय कर्क राशिः पर मंगल शनि का दृष्टी सम्बन्ध बना हुआ था |
जुलाई माह से ही मंगल भारत की जन्म राशिः कर्क के नजदीक आ रहा हैं जिससे इस बीमारी को भारत में बढने का पुरा अवसर मिला परन्तु कर्क राशिः में ही मंगल नीच का हो जाता हैं जिससे इस रोग की तेजी में जबरदस्त कमी भी आ जायेगी (नीच राशिः में ग्रह पृथ्वी से दूर जा रहा होता हैं )
कब तक रहेगा स्वाइन फ्लू -अक्तूबर माह के शुरू के पॉँच दिनों तक शनि मंगल का दृष्टि सम्बन्ध बना रहेगा ,५ अक्तूबर से मंगल के कर्क राशिः में प्रवेश करने से इस बीमारी में कुछ कमी आएगी तथा इससे असली छुटकारा १३ अक्तूबर से मिलेगा क्यूंकि इस दिन गुरु ग्रह जो की मकर राशिः में राहू संग कर्क राशिः से समसप्तक योग बनाये बैठे हैं( वक्री अवस्था में) मार्गी होते ही भारत की कुछ परेशानिया व तकलीफे कम कर देंगे तथा इस बीमारी से पूर्णतया निजात उनके राशिः परिवर्तन करते ही मिल जायेगी जो की १९ दिसंबर को होगा |
प्रस्तुत शोध पूर्णतया मेरे ज्योतिष ज्ञान पर आधारित हैं जिसमे गलतियाँ हो सकती हैं अतःविद्जनो से निवेदन हैं की इसे मेरे अल्प ज्ञान का एक प्रयास मात्र समझे |
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