बुधवार का व्रत बुध ग्रह की शान्ति व सर्वसुखो की प्राप्ति हेतु रखा जाता हैं |यह व्रत वाणी व बुद्धि दोषों,नसों,दांतों तथा त्वजा सम्बन्धी रोगों के परिहार के लिए भी किया जा सकता हैं | इस व्रत में भी भोजन एक बार ही किया जाता हैं तथा भोजन में हरी वस्तुओ का प्रयोग अधिक करना श्रेष्ठ रहता हैं |
व्रत विधि-किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से इस व्रत का आरम्भ कर यथासंभव २१ या ४५ व्रत करने चाहिए प्रात:विधारा नामक पौधे के पत्तो से मिश्रित जल से स्नान कर शिव परिवार की पूजा व स्मरण करना चाहिए.दिन भर व्रत कर सांझ के समय शिव परिवार की पूजा अर्चना श्वेत पुष्प,बेल पत्र,धुप,श्वेत वस्त्र व चंदन से कर बुधवार कथा का श्रवण व पाठन करना चाहिए आरती के बाद तीन तुलसी के पत्ते गंगाजल या चरणामृत के साथ ग्रहण कर हरे मूंग की दाल से बने भोजन पदार्थ से ५-७ ग्रास सेवन के बाद अन्य खाद्य पदार्थ से भोजन सूर्यास्त के आधे घंटे बाद करना चाहिए |
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