बुधवार, 4 नवंबर 2009

सोमवार व्रत

सोमवार का व्रत भगवान शिव से सम्बंधित माना जाता हैं यह व्रत दिन के तीसरे पहर तक होता हैं यह व्रत तीन प्रकार का होता हैं सोमवार व्रत,सौम्य प्रदोष व्रत तथा १६ सोमवार व्रत| तीनो व्रतों की विधि एक जैसी हैं परन्तु कथा तीनो की अलग अलग हैं जिनका पठन निश्चित व्रत अनुसार ही करना चाहिए |

व्रत विधि -सोमवार प्रात:स्नान आदि से निवृत हो स्वच्छ कपड़े पहन भक्ति भावना से शिव पूजन करे तथा पूर्ण दिवस व्रत रखे. संध्या को आटे से पुडी बनाकर उसमे घी और गुड मिलाकर उसका चूरमा बनाये उसके तीन हिस्से कर घी,गुड,दीप,नैवेद्द,पुंगीफल,बेलपत्र,चंदन,जनेऊ,अक्षत,पुष्प आदि से भगवान शिव का पूजन कर प्रथम हिस्सा शिवजी को दूसरा नंदी बैल या गाय को तथा तीसरा प्रसाद रूप में सभी को बांटकर स्वयं ग्रहण करे |

यह व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरम्भ कर ५४ या कम से कम १० अवश्य करने चाहिए इस व्रत में फलाहार या भोजन का कोई खास नियम नही होता हैं परन्तु भोजन केवल एक समय ही करना होता हैं यह व्रत चंद्र ग्रह से भी सम्बंधित माना गया हैं यदि कुंडली में चंद्र की स्थिति अच्छी न हो तब भी सोमवार व्रत करने चाहिए इस दिन चंदन का तिलक लगाना शुभ माना जाता हैं भोजन में दही चावल व खीर के प्रथम ७ ग्रास खाने के बाद अन्य पदार्थ खाने चाहिए आमतौर से इस व्रत में दिन के तीसरे पहर में शिव पार्वती पूजन कर भोजन कर लिया जाता हैं इस व्रत को कार्तिक या सावन मास में आरम्भ करना अति शुभ होता हैं इस व्रत को कुंवारी कन्याये १६ सोमवार के रूप में गृहस्थ सौम्य प्रदोष के रूप में तथा अन्य सभी साधारण सोमवार के रूप में करते हैं यह व्रत सभी व्रतों से कम समय में लाभ प्रदान करने वाला माना गया हैं|

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