यह व्रत शनि ग्रह हेतु माना व रखा जाता हैं इस दिन भगवान शनिदेव की पूजा की जाती हैं काली वस्तुए जैसे काला तिल,काला वस्त्र,काली उड़द की दाल,सरसों का तेल आदि शनिदेव को अत्यन्त प्रिय हैं इस लिए इन वस्तुओ से शनिदेव की पूजा की जाती हैं शानिदशा में कष्टों से बचने हेतु भी भगवान् शनि की पूजा व व्रत किया जाता हैं इस व्रत को करने से शनि जनित रोग (कमर पैर का दर्द,स्नायु विकार,लकवा, बालो का गिरना )शारीरिक व मानसिक रोगों तथा दीर्घकालीन रोगों से मुक्ति मिलती हैं
व्रत विधि -किसी भी शुक्ल पक्ष के पहले शनिवार से शुरू कर ११ या ५१ व्रत करे प्रात: काल स्नान करके काला वस्त्र धारण कर एक लोटे में काले तिल व लौंग मिश्रित जल पीपल वृक्ष की जड़ में पश्चिम की तरफ़ मुह करके डाले तथा शनिदेव का स्मरण करे पुरे दिन व्रत करने के बाद शाम को पीपल वृक्ष अथवा बालाजी के मन्दिर में तिल के तेल के दीपक जलाना चाहिए पूजन करने के साथ ही कथा का श्रवण भी करना चाहिए भोजन सूर्यास्त के २ घंटे बाद करे भोजन में उड़द की दाल का बना पदार्थ पहले किसी भिक्षुक को खिलाये फ़िर स्वयं ग्रहण करे गरीब व निर्धन व्यक्तियो को काला कम्बल,छाता,तिल,जूते आदि यथाशक्ति दान करना चाहिए यदि हो सके तो शनि ग्रह का मंत्र भी यथाशक्ति जपना चाहिए
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