शुक्रवार का व्रत शुक्र ग्रह हेतु, माता संतोषी,व वैभव लक्ष्मी को प्रशन्न करने हेतु किया जाता हैं|यह व्रत दांपत्य सुख, शुक्र सम्बन्धी सुखो,भोग-विलाशो की प्राप्ति तथा शुक्र जनित बीमारियो(यौन दुर्बलता,मधुमेह,कामविकार) से मुक्ति,जीवन में संतुष्टि व लक्ष्मी की प्राप्ति हेतु किया जाता हैं|
व्रत विधि -शुक्ल पक्ष के प्रथम शुकवार से शुरू कर यह व्रत २१ या ३१ करने चाहिए |स्नान अदि के बाद श्वेत वस्त्र धारण कर शुक्र ग्रह की मूर्ति के समक्ष श्वेत वस्तुओ से पूजन व स्मरण करना चाहिए दिन भर व्रत करने के बाद सूर्यास्त के डेढ़ घंटे बाद पूजन व कथा श्रवण करना चाहिए| भोजन में श्वेत वस्तुए जैसे खीर चावल दूध शक्कर आदि से बने पदार्थो का भोग लगाकर, गाय को खिलाये फ़िर स्वयं ग्रहण करे|हो सके तो एक माला शुक्र ग्रह के मंत्रो की भी करनी चाहिए |
शुक्रवार के दिन किए जाने वाले अन्य व्रत (संतोषी माता व्रत व वैभव लक्ष्मी व्रत ) करने की विधि अलग होती हैं |
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