शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

गुरूवार व्रत

गुरूवार का व्रत भगवान् विष्णु व ब्रहस्पति ग्रह से सम्बंधित माना गया हैं |यह व्रत सभी व्रतों से श्रेष्ठ हैं क्यूंकि इस व्रत के करने सम्पूर्ण मनोकामनाये पूर्ण होती हैं परिवार में उन्नति,सुख,सम्पन्नता,धन,वैभव,यश,मान सम्मान तथा अन्य सभी सुखो की प्राप्ति होती हैं |इस व्रत में दिन में एक बार बिना नमक का भोजन करना चाहिए तथा पीली वस्तुओ का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए जैसे पीले वस्त्र,फूल,चने की दाल,पीला चंदन आदि |

व्रत विधि -शुक्ल पक्ष के पहले गुरूवार से शुरू कर २१ या ५१ व्रत करने चाहिए प्रात:हल्दी मिश्रित जल से स्नान कर हल्दी का तिलक लगाकर भगवान् विष्णु का स्मरण व पूजन करना चाहिए तथा केले के पेड़ पर जल चढाना चाहिए|दिन भर व्रत कर शाम को सूर्यास्त के बाद भगवान विष्णु का पूजन कर कथा श्रवण करनी चाहिए चने की दाल से बने भोज्य पदार्थ से भोग लगाकर प्रसाद वितरण कर स्वयं प्रथम ७ ग्रास पीले भोज्य पदार्थ के ग्रहण कर अन्य पदार्थ लेने चाहिए|यदि गुरु ग्रह हेतु व्रत कर रहे हो तो एक माला गुरु ग्रह के मंत्र "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौ स:गुरवे नमः"की जपनी चाहिए |कुंवारी कन्याओ व पुत्र की कामना करने वाली स्त्रीयों को यह व्रत व जप अवश्य करने चाहिए |

कोई टिप्पणी नहीं: