रविवार का व्रत भगवान सूर्य से सम्बन्धित होता हैं |रविवार के दिन व्रत करने से मान सम्मान में वृद्धि,त्वचा व नेत्र सम्बन्धी रोगों,कुष्ठ रोगों से मुक्ति,सरकारी कार्यो से लाभ,शत्रुओ का नाश व पिता से सुख की प्राप्ति होती हैं यह व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता हैं |
व्रत करने की विधि -प्रात:काल स्नान आदि से निवृत हो स्वच्छ वस्त्र धारण करे पूजा के स्थान को साफ़ कर या गोबर से लीपकर भगवान सूर्य की शांतचित्त से पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजा करे व मन ही मन जिस निमित व्रत कर रहे हैं उसका स्मरण करते सूर्य से उसे पूर्ण करने की इच्छा ज़ाहिर करे |पुरे दिन व्रत करने के बाद सायंकाल व्रत की कथा सुने व सुनाये, भगवान सूर्य की आरती कर उसके बाद व्रत का समापन करे|
यह व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से किया जाता हैं तथा इसे एक वर्ष,३० सप्ताह या कम से कम १२ रविवार तो करना ही चाहिए इस दिन एक समय का भोजन या फलाहार करना चाहिए भोजन में गुड से बना हलवा इलायची डालकर सूर्यास्त से पूर्व प्रयोग करना चाहिए स्वयं भोजन करने से पहले हलवा किसी मन्दिर,भिखारी या बच्चोमें बाँटना चाहिए, भोजन में नमक व किसी भी तरह के तेल का प्रयोग ना करे जितना हो सके सात्विक भोजन ही करे प्रथम सात ग्रास हलवे के खाए फ़िर अन्य पदार्थ ग्रहण करे यदि निराहार रहने पर सूर्य छिप जाए तो दुसरे दिन सूर्योदय होने पर सूर्य को अर्ध देकर ही व्रत का समापन करे अर्थात भोजन करे|
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