शनिवार, 7 नवंबर 2009

दीपावली एवं मुहूर्त



पं. किशोर घिल्डियाल
मुहूर्त ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण अंग है। सनातन धर्म संस्कृति में हर शुभ व धार्मिक कार्य मुहूर्त विश्लेषण कर ही किया जाता है।
इस भौतिकवादी युग में हर व्यक्ति कम श्रम और समय में ज्यादा से ज्यादा धन कमाना चाहता और इसके लिए कुछ भी करने को तत्पर रहता है। किंतु अथक् प्रयासों के बावजूद बहुत से लोगों को वांछित धन की प्राप्ति नहीं हो पाती। ऐसे में उन्हें उपयुक्त मुहूर्त में संबद्ध देवी देवताओं की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
धन वैभव की कामना की पूर्ति हेतु दीपावली का पर्व सर्वाधिक उपयुक्त अवसर है। दीपावली की रात सिंह लग्न के आरंभ के समय यदि लक्ष्मी का आवाहन पूजन किया जाए तो उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कार्तिक मास की अमावस्या तिथि महा निशा की रात को दीपावली का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन सूर्य का तुला राशि में प्रवेश होता है। तुला राशि का स्वामी शुक्र सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाला ग्रह है। यह कालपुरुष की कुंडली में धन व सप्तम भाव का स्वामी भी है अतः जब तुला राशि में सूर्य और चंद्र का मिलन होता है तब नैसर्गिक कुंडली के अनुसार चतुर्थेश (चंद्र) व पंचमेश (सूर्य) का मिलन होने से लक्ष्मी योग का उदय होता है। यह योग कार्तिक अमावस्या (दीपावली) को पड़ता है। इसलिए यह दिन अति धनदायक माना जाता है। इस दिन जब सिंह का आरंभ होता है तब तृतीय स्थान में सूर्य और चंद्र की युति होती है। इस युति के समय साधना उपासना करने से साधक के पराक्रम में वृद्धि होती है, उसके मार्ग में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है और सूर्य के अपनी उच्च राशि को देखने से भाग्यवृद्धि होती है। इस दृष्टि से सिंह लग्न की महत्ता अपरंपार है। आधी रात में पड़ने के कारण इसकी विशेषता और बढ़ जाती है क्योंकि अर्धरात्रि में ही लक्ष्मी का आगमन भी माना जाता है।
÷÷अर्धरात्रे भवेव्येय लक्ष्मी राश्र््रयितुं गृहान्‌''
अर्धरात्रि में लक्ष्मीपूजन को ब्रह्मपुराण में भी श्रेष्ठ कहा गया है। सिंह लग्न के अतिरिक्त वृष लग्न को भी अच्छा माना जाता है।
विभिन्न लग्नों और मुहूर्तों के
शुभाशुभ परिणाम
मेष लग्न
इस लग्न में किए गए अनुष्ठानों से धन-धान्य में वृद्धि होती है।
वृष लग्न
इस लग्न में किया जाने वाला कार्य असफल व घातक होता है।
मिथुन लग्न
यह लग्न संतान हेतु घातक होता है।
कर्क लग्न
शुभ, सफल व सर्वसिद्धिप्रदायक होता है।
सिंह लग्न :
बुद्धि हेतु हानिकारक होता है।
कन्या लग्न
तंत्र साधना हेतु श्रेष्ठ माना गया है।
तुला लग्न
इसमें किया जाने वाला अनुष्ठान सर्वसिद्धि प्रदाता माना जाता है।
वृश्चिक लग्न
यह एक श्रेष्ठ व लग्न है और इसमें अनुष्ठान करने से स्वर्ण आदि द्रव्यों की प्राप्ति होती है।
धनु लग्न
यह एक अशुभ लग्न है।
मकर लग्न
शुभ व पुण्यदाता लग्न है।
कुंभ लग्न
इस लग्न में साधना करने से श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होती है।
मीन लग्न
यह एक अशुभ लग्न है।
विशेष
ध्यातव्य है कि महानिशा की रात्रि अति शुभ मानी गई है, अतः इस रात्रि को किसी भी लग्न में की गई साधना का कोई दुष्परिणाम नहीं होता।
इस वर्ष कार्तिक अमावस्या दोपहर १२ बजकर ३६ मिनट पर आरंभ होगी तथा सूर्य तुला राशि में ११ बजकर २० मिनट पर भ्रमण के लिए प्रवेश करेगा। इस तरह तुला संक्रांति होने के कारण यह पूरा दिन तथा रात्रि अति शुभ मानी जाएगी। विशेष बात यह है कि चंद्र कन्या राशि में ही स्थित रहेगा।
दिन के लग्न मुहूर्त
दिन के समय धनु, मकर, कुंभ व मीन लग्न रहेंगे। इनमें धनु में अभिजित मुहूर्त ११ बजकर ४६ मिनट से १२ बजकर २८ मिनट तक रहेगा, परंतु इस बीच अमावस्या नहीं होगी। मकर लग्न में नीचस्थ गुरु राहु के साथ होगा जो अशुभ है। कुंभ लग्न में लग्नेश शनि अष्टम होगा, अतः मीन लग्न ही पूजन हेतु थोड़ा उपयुक्त है। इसके अतिरिक्त मेष, वृष व मिथुन लग्न पूजा हेतु शुभ हैं क्योंकि इन तीनों लग्नों में लग्नेशों की स्थिति अच्छी रहेगी। कहा भी गया है- ÷÷सर्वेदोषाः विनश्यन्ति लग्नशुद्धिर्यदा भवेत्‌'' अर्थात लग्न शुद्धि होने पर कोई दोष नहीं होता। वैसे भी प्रदोष काल में पूजन करना अति लाभकारी होता है। कर्क लग्न में नीचस्थ मंगल और केतु स्थिति के कारण लग्न श्रेष्ठ नहीं है। उसके बाद सिंह लग्न हर दृष्टि से उपयुक्त व श्रेष्ठ लग्न है।
जहां तक पूजा का प्रश्न है, तो व्यवसाय के अनुरूप लग्न में ही पूजा करनी चाहिए। सामान्य लोगों, वस्त्र और अनाज तथा प्रसाधन और भवन निर्माण सामग्रियों के व्यापारियों को वृष लग्न में तथा कारखानों के स्वामियों और मशीनरी व दवाओं का कारोबार करने वालों को सिंह लग्न में पूजा करनी चाहिए।
राशियों के अनुसार पूजा, मुहूर्त व लक्ष्मी मंत्र
राशि लग्न मंत्र
मेष वृष (सायं) ओम ऐं क्लीं सौः
वृष सिंह (रात्रि) ओम ऐं क्लीं श्रीं:
मिथुन वृष (सायं) ओम क्लीं ऐं सौः
कर्क वृष (सायं) ओम ऐं क्लीं श्रीः
सिंह सिंह (रात्रि) ओम ह्रीं श्रीं सौः
कन्या सिंह (रात्रि) ओम श्रीं ऐं सौं
तुला वृष (सायं) ओम ह्रीं क्लीं श्रीं
वृश्चिक सिंह (रात्रि) ओम ऐं क्लीं सौः
धनु वृष (सायं) ओम हृीं क्लीं सौः
मकर सिंह (रात्रि) ओम ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं सौः
कुंभ सिंह (रात्रि) ओम ह्रीं ऐं क्लीं श्रीं:
मीन सिंह (रात्रि) ओम ह्रीं क्लीं सौः

4 टिप्‍पणियां:

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

जानकारी तो बढिया है..लेकिन शायद आपने इसे अगले वर्ष की दीपावली को ध्यान में रखते हुए लिखा है :)

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर जानकरीभई आप इस Word Verification को हटा दे तो ओरभी बहुत से लोग आप को धन्यवाद करे, इसे देख कर सब भाग जाते है, मै खुद कई बार गया हुं

kishore ghildiyal ने कहा…

pandit vats ji parnaam
shukriya aapki tipaanni ka yah jaankaari bhara lekh maine isi varsh hetu likha tha yah lekh "future samachar" naamak patrika me chapa tha jisse ise maine dobara se apne blog me update kiyahain. aap is lekh ko mere pichale lekho me isi blog me padh sakte hain

kishore ghildiyal ने कहा…

yah lekh maine 18 sitambar ko is blog me likha tha jo shayad isi saal ki diwali se bahut pahle thi fir bhi aapki is hausla afzai ka shukriya