वैसे तो सौरमंडल
के सभी ग्रह धरती पर सभी प्राणियों पर एक जैसा ही प्रभाव डालते हैं लेकिन सभी
प्राणियों का रहन सहन और प्रकृति एक दूसरे से भिन्न होती है इसलिए ग्रहों का
प्रभाव भी प्रत्येक व्यक्ति पर कुछ
कम – ज्यादा तो होता ही है ।
प्रस्तुत लेख मे यहाँ हम सिर्फ महिलाओं पर सभी ग्रहों के प्रभाव
का ही ज़िक्र कर रहे है ।
कई बार महिलाएं असामान्य व्यवहार करती हैं तो उन्हें बहुत दुख झेलना पड़ता है समान्यत: यह माना लिया जाता हैं कि
उसे किसी ने कुछ खिला दिया
है या बहाने बना रही है जबकि कई बार
ऐसा ग्रहों की अच्छी (उग्र) या बुरी (कुपित) स्थिति
भी कारण होती है । जन्म - कुंडली में विभिन्न ग्रहों के
साथ युति का अलग - अलग प्रभाव हो सकता है ।
सूर्य
सूर्य एक उष्ण
और सतोगुणी ग्रह है, यह आत्मा और पिता का कारक होकर राजयोग
भी देता है । अगर जन्म कुंडली में सूर्य अच्छी स्थिति
में होतो इंसान को स्फूर्तिवान, प्रभावशाली व्यक्तित्व, महत्वाकांक्षी
और उदार बनाता है परन्तु निर्बल सूर्य या दूषित सूर्य होने पर इंसान को चिड़चिड़ा,
क्रोधी, घमंडी, आक्रामक और
अविश्वसनीय बना देता है ।
अगर किसी महिला
कि कुंडली में सूर्य अच्छा हो तो वह हमेशा अग्रणी ही रहती है और निष्पक्ष न्याय
में विश्वास करती है चाहे वो शिक्षित हो या नहीं पर अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय
देती है परन्तु जब यही सूर्य उसकी कुंडली में नीच का हो या दूषित हो जाये तो महिला
अपने दिल पर एक बोझ सा लिए फिरती है । अन्दर से कभी भी खुश नहीं रहती और आस - पास
का माहौल भी तनाव पूर्ण बनाये रखती है । जो घटना अभी घटी ही ना हो उसके लिए पहले
ही परेशान हो कर दूसरों को भी परेशान किये रहती है । बात - बात पर
शिकायतें, उलाहने उसकी जुबान पर तो रहते ही हैं, धीरे
- धीरे दिल पर बोझ लिए वह एक दिन रक्त चाप की मरीज बन जाती है और न केवल वह बल्कि
उसके साथ रहने वाले भी इस बीमारी के शिकार हो जाते है ।
दूषित सूर्य
वाली महिलायें अपनी ही मर्जी से दुनिया को चलाने में यकीन रखती हैं सिर्फ अपने
नजरिये को ही सही मानती हैं दूसरा चाहे कितना ही सही हो उसे विश्वास नहीं होगा |
सूर्य का आत्मा
से सीधा सम्बन्ध होने के कारण यह अगर दूषित या नीच का हो तो दिल डूबा - डूबा सा
रहता है जिस कारण चेहरा निस्तेज सा होने लगता है ।
सूर्य को एसबीएच करने के
लिए सूर्य को जल देना, सुबह
उगते हुए सूर्य को कम से कम पंद्रह मिनट देखते हुए गायत्री मन्त्र का जाप, आदित्य
हृदय का पाठ और अधिक परेशानी हो तो रविवार का व्रत भी किया जा सकता है |
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