राहू एक तमोगुणी म्लेछ और छाया ग्रह माना गया है । यह तीक्ष्ण बुद्धि,वाकपटुता,आत्मकेंद्रिता,स्वार्थ,विघटन,और अलगाव,मतिभ्रम,छल कपट,तस्करी,अचानक होने वाली घटनाओ,जुआ,और झूठ का कारक हैं |
राहु से
प्रभावित स्त्री एक अच्छी जासूस या वकील, अच्छी
राजनीतिज्ञ हो सकती है । यह आने वाली बात को पहले ही भांप होती है । विदेश यात्राए बहुत करती है ।
कुंडली में राहु
जिस राशि में स्थित होता है वैसे ही परिणाम देने लगता है । अगर बृहस्पति के साथ या
उसकी राशि में हो तो स्त्री
को ज्योतिष में रूचि होगी । शनि के प्रभाव में हो तो तांत्रिक विद्या में
निपुण होगी । चंद्रमा के साथ हो तो यह कई सारे वहमो में उलझी रहेगी जैसे उसे कुछ दिखाई दे रहा है
(भूत प्रेत आदि)...या भयभीत
रहती है । अगर वह ऐसा कहती है तो गलत नहीं कह रही होती क्योंकि अगर स्त्री के लग्न मे राहू हो या राहु की दशा अंतर्दशा चल रही होतो ऐसे भ्रम हो जाते हैं |
राहु से प्रभावित स्त्री की वाणी में कटुता आ जाती है। वह थोडी
घमंडी भी हो जाया करती है । भ्रमित रहने के कारण वह कई बार सही ग़लत की पहचान भी
नहीं कर पाती जिसके फलस्वरूप उसका दाम्पत्य जीवन भी नष्ट होते देखा गया है । राहु
के दूषित प्रभाव के कारण स्त्री चर्म रोग, मति
भ्रम, अवसाद रोग से ग्रस्त हो सकती है |
राहु को शांत करने के लिए दुर्गा माँ की आराधना करनी चाहिए। खुल
कर हँसना चाहिए। मलिन और फटे वस्त्र नहीं पहनना चाहिए। गहरे नीले रंग से परहेज
करना चाहिए। काले रंग की गाय की सेवा करनी चाहिए। मधुर संगीत सुनना चाहिए। सरस्वती
चालीसा पढ़ना तथा रामरक्षा स्तोत्र का पाठ भी लाभदायक रहेगा ।
इसकी शांति के लिए गोमेद रत्न धारण किया जा सकता हैं |
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