सिर का बायां
भाग फड़के तो यात्रा दायां भाग फड़के तो धन की प्राप्ति होती है ।
दोनों नेत्र एक साथ फड़कें तो मित्र या बिछुड़े हुये व्यक्ति से मिलन व बाईं
आंख नाक की ओर से फड़के तो पुत्री प्राप्ति या शुभ कार्य होंगे ।
जातक की मूंछ का दायां भाग फड़के तो उसकी विजय होती है
तथा बायां भाग फड़कने पर झगड़ा होता है ।
स्त्री के कंठ के फड़कने पर उसे आभूषणों की प्राप्ति हो सकती है ।
ऊपरी पीठ फड़कने
पर धन मिलता है ।
पेट का ऊपरी भाग फड़के तो हानिकारक व
नीचे का भाग फड़कने पर अच्छा सूचक माना जाता है।
दायां घुटना
फड़के तो स्वर्ण की प्राप्ति होती है ।
यदि किसी
व्यक्ति के कंधे अथवा कंठ में स्फुरण हो तो व्यक्ति के भोग विलास के साधनों में
वृद्धि होगी । ऐसे धन प्राप्ति की आशा भी होती है जिसके पाने की कोई आशा ही न हो।
स्त्री का वक्ष स्फुरण होतो विजय प्राप्त होती है,शत्रु
नाश होता है, मुकद्दमों में भी विजय श्री मिलती है अथवा बार-बार जिस कार्य में असफलता मिली हो, उसमें
सफलता प्राप्त होती है ।
हृदय स्फुरण से मनोवांछित सिद्धि प्राप्त
होती है ।
कटि स्फुरण से
आमोद - प्रमोद में वृद्धि होती है ।
गुदा स्फुरण से
वाहन सुख की प्राप्ति होती है |
आंत अथवा आमाशय
स्फुरण से रोग मुक्ति की सूचना मिलती है ।
पीठ का लगातार
स्फुरण आगामी समय में किसी संकट की सूचना देता है ।
भुजाओं के
फड़कने से मधुर भोजन व धन प्राप्ति की सूचना मिलती है । कहा भी गया है कि यदि किसी
कंगाल की भुजा 15 दिनों तक फड़के तो वह धनवान होने लग जाता है ।
पाद तलों (पैरों
की तली) से यदि स्फुरण हो तो अनायास ही मान प्रतिष्ठा मिलती है ।
नासिका, कटिपाश्र्व,
लिंग, अधर, कपोल तथा जंघा
में किसी भी भाग के स्फुरित होने पर प्रीतिसुख (प्रेम) प्राप्त होता है अर्थात
प्रिय मिलन या किसी ऐसे नजदीकी व्यक्ति से मुलाकात होगी जिसके मिलन से सुख प्राप्त
होगा ।
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