ग्रहों का सेनापति मंगल, अग्नितत्व प्रधान ग्रह है । इसका रंग लाल है और यह रक्त संबंधो का प्रतिनिधित्व करता है | मंगल स्वभाव में उत्तेजना, उग्रता और आक्रामकता लाता है इसीलिए जन्म - कुंडली में विवाह से संबंधित भावों -- जैसे लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, सप्तम,अष्टम व द्वादश भाव में मंगल की स्थिति को विवाह और दांपत्य जीवन के लिए अशुभ माना जाता है ।
जिस किसी भी स्त्री की जन्म कुंडली में मंगल शुभ और मजबूत स्थिति में होता है उसे वह प्रबल राज योग प्रदान करता है । मंगल के शुभ होने से स्त्री अनुशासित, न्यायप्रिय, समाज में प्रिय और सम्मानित होती है । जब मंगल ग्रह का पापी और क्रूर ग्रहों का साथ हो जाता है तो स्त्री को मान - मर्यादा भूलने वाली क्रूर और हृदय हीन भी बना देता है |
जिन स्त्रियों की जन्म कुंडली में मंगल कमजोर स्थिति में हो तो वह आलसी और बुजदिल व डरपोक होती है । मन ही मन सोचती है पर प्रकट रूप से कह नहीं पाती और मानसिक अवसाद में घिरती चली जाती है । ऐसी स्त्रियाँ हाथ में लाल रंग का धागा बांध कर रखे और भोजन करने के बाद थोड़ा सा गुड़ जरुर खाये,ताम्बे के गिलास में पानी पियें और अनामिका में ताम्बे का छल्ला पहने तो लाभ होता देखा गया हैं ।
जिन स्त्रियों
की जन्म कुंडली में मंगल उग्र स्थिति में होता है
उनको दाम्पत्य जीवन मे कष्ट मिलते हैं ऐसी महिलाओ को लाल रंग का प्रयोग कम करना चाहिए और मसूर की दाल का दान करनी चाहिए तथा अपने रक्त
सम्बन्धियों का सम्मान करते रहना चाहिए |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें