शुक्र एक शुभ एवं रजोगुणी ग्रह है । यह सौंदर्य, जीवन का सुख, वाहन, सुगंध और सौन्दर्य प्रसाधन का कारक होने के साथ साथ विवाह, वैवाहिक जीवन, प्यार, रोमांस, जीवन साथी तथा यौन सम्बन्धों का नैसर्गिक कारक भी है । किसी भी स्त्री की कुंडली में जैसे बृहस्पति ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, वैसे ही शुक्र भी दाम्पत्य जीवन में प्रमुख भूमिका निभाता है ।
कुंडली का अच्छा
शुक्र चेहरा देखने से ही प्रतीत हो जाता है । यह स्त्री के चेहरे को खूबसूरत व आकर्षण का
केंद्र बनाता है । सुन्दर स्त्री
अपने नेत्र और केश द्वारा आसानी से पहचानी जा सकती है । स्त्री का शुक्र शुभ ग्रहों के
सान्निध्य में होतो वह
सौंदर्य प्रिय भी होती है ।
अच्छे शुक्र के
प्रभाव से स्त्री को हर सुख सुविधा वाहन, घर, ज्वेलरी, वस्त्र आदि प्राप्त होते है । किसी भी वर्ग की औरत हो, उच्च,
मध्यम या निम्न उसे अच्छा शुक्र सभी वैभव प्रदान करता ही है । यहाँ
यह कहना भी जरुरी है कि अगर आय के साधन सीमित भी हों तो भी वह ऐशो आराम से ही रहती
है ।
अच्छा शुक्र
किसी भी स्त्री को गायन, अभिनय, काव्य-लेखन की
ओर प्रेरित करता है । चन्द्र के साथ शुक्र हो तो स्त्री भावुक होती है और अगर साथ
में बुध का साथ भी मिल जाये तो स्त्री लेखन के क्षेत्र में पारंगत होती है और साथ
ही वाक्पटु भी, बातों में उससे शायद ही कोई जीत पाता हो ।
अच्छा शुक्र
स्त्री में मोटापा भी देता है । जहाँ बृहस्पति स्त्री को थुलथुला मोटापा देकर
अनाकर्षक बनाता है वहीं शुक्र से आने वाला मोटापा स्त्री को और भी सुन्दर दिखाता
है ।
कुंडली का बुरा
शुक्र या पापी ग्रहों का सान्निध्य या कुंडली के दूषित भावों का साथ स्त्री में
चारित्रिक दोष भी उत्पन्न करवा सकता है । यह विलम्ब से विवाह, कष्टप्रद
दाम्पत्य जीवन, बहु विवाह, तलाक की ओर भी
इशारा करता है ।
कमजोर शुक्र
स्त्री में मधुमेह, थाइराईड, यौन रोग,
अवसाद और वैभव हीनता लाता है ।
शुक्र को अनुकूल
करने के लिए शुक्रवार का व्रत और माँ लक्ष्मी जी की आराधना करनी चाहिए । चावल,
दही, कपूर, सफेद-वस्त्र,
सफेद पुष्प का दान देना अनुकूल रहता है । छोटी कन्याओं को इलायची डाल
कर खीर भी खिलानी चाहिए । कनक धारा, श्री
सूक्त, लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा
का पाठ और लक्ष्मी मन्त्रों का जाप भी शुक्र को बलवान करता है । माँ लक्ष्मी को
गुलाब का इत्र अर्पण करना विशेष फलदायी है |
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