बुधवार, 4 अक्तूबर 2023

सूर्य की दृस्टी का फल

सूर्य को केवल एक दृस्टी प्रदान की गयी हैं जो की 7वी होती हैं अर्थात सूर्य अपने से 7वे भाव पर दृस्टी डालते हैं |

प्रथम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक रजोगुणी, नेत्ररोगी, सामान्य धनी,साधुसेवी, मन्त्रज्ञ,वेदांती, पितृभक्त, राजमान्य और चिकित्सक हो सकता हैं |

द्वितीय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक धन तथा कुटुम्ब से सामान्य सुखी, नेत्ररोगी, पशु व्यवसायी, संचित धन नाशक, परिश्रम अल्प धनी, कष्टसहिष्णु हो सकता हैं ।

तृतीय भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो कुलीन, राजमान्य, ज्येष्ठ भ्राता के सुख से वंचित, उद्यमी, शाशक, नेता और पराक्रमी होता है ।

चतुर्थ भाव को सूर्य पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक 22-23 पर्यन्त सुखहीन, सामान्य मातृसुखी, 22 वर्ष पश्चात् वाहनादि सुख, स्वाभिमानी होता है ।

पंचम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो प्रथम संतान नाशक, पुत्र के लिए विशेष चिंतित, मंत्रशास्त्रज्ञ, विद्वान्, सेवावृत्ति, 20-21 वर्ष की अवस्था मे संतान सुख प्राप्त करने वाला होता हैं ।

षष्ट भाव पर पूर्ण दृष्टि हो तो शत्रु भय कारक, दुःखी, वाम नेत्र रोगी, ऋणी, मातुल को नष्ट करने वाला होता है ।

सप्तम भाव पर पूर्ण दृष्टि हो तो जीवन पर्यन्त ऋणी, 22-23 की आयु मे स्त्री नाशक, व्यापारी, उग्र स्वभाव वाला, वय के प्रारम्भ मे दुःखी व अंत में सुखी होता है ।

अष्टम भाव सूर्य पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो बबासीर रोगी, व्यभिचारी, मिथ्याभाषी, पाखण्डी और निन्दित कार्य करने वाला होता है ।

नवम भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि हो तो धर्मभीरु, बड़े भाई व साले  के सुख से वंचित होता है ।

दसवे भाव पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि हो तो जातक राजमान्य, धनी, मातृ नाशक होता है । उच्च का सूर्य हो तो माता तथा वाहन से सुखी होता है ।

ग्यारहवे भाव को सूर्य पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो धन लाभ, व्यापारी, प्रथम संतान नाशक, बुद्धिमान, विद्वान्, कुलीन, धर्मात्मा होता है ।

बारहवे भाव को सूर्य पूर्ण दृष्टि से देखता होतो प्रवासी, शुभ कार्यो मे व्यय करने वाला, नेत्ररोगी, नाक या कान  पर तिल या  मास्सा, मामा को कष्ट करक, सवारी शौकीन होता है । 

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