गुरुवार, 28 सितंबर 2023

सूर्य का विशिष्ट अवस्था फलादेश


जन्म पत्रिका मे यदि सूर्य निम्न अवस्था मे होतो जातक को कुछ ऐसे प्रभाव मिलते हैं - 

शयनावस्था मे हो तो अपच, पित्तशूल, मोटे पैर, अनेक रोग, गुदा मे व्रण, हृदयाघात होता है ।

 उपवेशनावस्था मे हो तो श्रमिक, गरीब, मुकदमो मे लिप्त, कठोर व दुष्ट, दायित्वहीन होता है ।

नेत्रपाणि अवस्था मे सूर्य  5, 7, 9, 10 भावो मे हो तो सुखी, धनी, विद्वान् होता है । यदि अन्य भावो मे हो तो क्रूर स्वभाव, नेत्ररोगी, क्रोधी, द्वेषशील व पानी के रोगो से पीड़ित होता है ।

प्रकाशनावस्था मे हो तो धार्मिक, दानी, सुखी, राजसी ठाट वाला होता है ।

गमनावस्था मे हो तो बाहर रहने वाला, पैरो में कष्ट, निद्रा,भययुक्त होता है ।

आगमनावस्था मे हो तो क्रूर, दुर्बुद्धि, परस्त्रीरत, कंजूश होता है । यदि सूर्य 7, 12 स्थान मे हो तो पत्नी या पुत्र नष्ट होते है अर्थात उनकी मृत्यु हो जाती है ।

सभावास अवस्था मे हो तो जातक हुनरमंद विद्वान्, सदाचारी व वक्ता होता है ।

आगमावस्था मे हो तो मनुष्य दुखी, कुरूप किन्तु धनाढ्य होता है ।

भोजनावस्था मे हो तो स्त्री पुत्र धन से हीन, जोड़ो मे दर्द से पीड़ित, सिर में पीड़ा, असदाचारी होता है ।

नृत्यलिप्सा में हो तो सुन्दर, चतुर लेकिन सिर, पेट, हृदय पीड़ा से पीड़ित, धनी होता है ।

कौतुक अवस्था प्रसिद्ध पुत्र वाला, सुखी, अधिक बोलने वाला लेकिन त्वचा रोगी व क्रोधी होता है । यह सूर्य 5,7 भाव में हो तो स्त्री व पहली संतान की हानि होती है, सभा मे बात करने मे संकोच करता है । षष्ट भाव मे हो तो शत्रुओ का नाश होता है ।

निiद्रावस्था मे हो तो प्रवासी, गुदा व लिंग रोगी, दरिद्र, विकलांग, सुख से वंचित होता है ।

 

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