जब आपके घर की फिल्म हो और आपका ही पैसा उसमे लगा हो और आप उसमें हीरो भी हो तो आप जो चाहे वह दिखा सकते हैं शाहरुख खान द्वारा प्रदर्शित और अभिनीत फिल्म “जवान” को देखकर ऐसा शतप्रतिशत कहा जा सकता है इससे पहले शाहरुख खान की फिल्म “पठान” में भी ऐसा ही था जिसमें उन्होंने 225 करोड़ लगाए थे तथा अब प्रदर्शित फिल्म “जवान” का बजट जो कि 300 करोड़ बताया जा रहा है उसमे देख कर ही समझ में आ जाता है कि पैसा किस कदर बहाया गया है | दक्षिण भारत के युवा डायरेक्टर एटली द्वारा निर्देशित जवान को देखकर यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है कि यह फिल्म पूरी तरह से शाहरुख की अपनी फिल्म है इसमें बाकी सब किरदार उनके सामने बौने नजर आते है |
फिल्म की कहानी
मे कुछ भी नयापन ना होने के कारण बेकार है परंतु स्क्रीनप्ले तथा बीजीएम जबरदस्त
है तथा एक्शन सीन देखने लायक हैं,ना तो फिल्म का संगीत अच्छा है और ना ही फिल्म
की कास्टिंग सही प्रकार से की गई है,राधिका मदान
जैसी कम उम्र की लड़की को शाहरुख खान को पालने वाली कावेरी अम्मा के रूप
में दिखाया जाना तथा सुनील ग्रोवर को बिना वर्दी के पुलिस के किरदार में दिखाना बहुत ही
बचकाना लगता है |
फिल्म की कहानी
कई फिल्मों की मिली जुली कहानी है जिनमें दक्षिण भारत के अभिनेता अजीत की कहानी के
कुछ अंश,कमांडो 3 फिल्म के कुछ अंश,नेटफ्लिक्स के मनी हाइस्ट नामक
सीरियल के कुछ अंश,बाहुबली फिल्म के कुछ सींस तथा
जॉन अब्राहम द्वारा अभिनीत फिल्म सत्यमेव जयते फिल्म के अंश व सीन हूबहू चुराए हुए
नजर आते हैं |
डायरेक्टर एटली
ने शाहरुख खान को महामानव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी परंतु वह अच्छी व मौलिक
कहानी के अभाव के चलते फिल्म को दिमाग वाले दर्शकों से बांधने में कामयाब नजर नहीं
आते है,क्योंकि इस फिल्म के लेखक भी स्वयं एटली ही है
वह इस फिल्म को एक बेहतरीन कहानी के रूप में काफी जबरदस्त तरीके से बांध सकते थे
अथवा बना सकते थे | देश
के भ्रष्ट सिस्टम को दिखाने में उन्होंने जो जल्दबाजी दिखाई है उसने वह कहीं
मुद्दों पर चुकते हुए नजर आते हैं ऐसा लगता है जैसे उन्हें शाहरुख ने जो कहा
उन्होंने उसी को कहानी बनाकर पेश कर दिया है क्योंकि पैसा तो शाहरुख का लग ही रहा
था जिसे शाहरुख ने पानी की तरह बहाया भी है स्पष्ट रूप से नजर आता है कि जहां
लाखों का काम होना था वहां शाहरुख खान ने करोड़ों रुपए खर्च करे हैं इसमें कोई दो
राय नहीं की शाहरुख एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ-साथ चतुर व्यापारी भी हैं वह
भली-भांति जानते हैं कि दर्शक उनसे क्या उम्मीद रखते हैं और दर्शकों को क्या
दिखाया जाना चाहिए यहां रामगोपाल वर्मा के एक कथन जिसमें वह कहते हैं कि वह शाहरुख
को कभी डायरेक्ट नहीं कर सकते क्यूंकी शाहरुख एक पैकेज है जो उनकी जैसी फिल्मों
में ढल नहीं पाते हैं शाहरुख के सिनेमा में लार्जर थन लाइफ की इमेज,अच्छा संगीत,अच्छी हीरोइन,अच्छा विलन हो
तभी वह बेहतरीन फिल्म दे पाते हैं वरना उनकी इन सब के अभाव में बनी कोई भी फिल्म
का जिक्र तक हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में नहीं होता | मैं व्यक्तिगत
रूप से शाहरुख की दो ही फिल्मों को पसंद करता हूं जिनमे परदेश तथा स्वदेश नामक
फिल्म है |
फिल्म में कहीं
प्रकार के झोल नजर आते हैं,फिल्म के आरंभ में ही दिखाया जाता है
कि शाहरुख को बचाने वाले लोगों को जब बाहरी लोग मारने आते हैं और वह कहते हैं कि
भगवान हमें बचाओ तो शाहरुख मरणासन्न अवस्था से उठकर उन व्यक्तियों को मारने लग
जाते हैं जो उनको बचाने वालों को मारने आए थे यहां तक तो फिर भी ठीक था जब उन सब
को शाहरुख मार देते हैं और लोग उन्हें देवता समझने लगते हैं तब वह डायलॉग मारते
हैं कि मैं कौन हूं यानी जो व्यक्ति यह नहीं जानता कि वह कौन है और मरण अवस्था में
पड़ा है परंतु वह जानता है कि उसको किसको मारना है और कैसे मारना है | खैर
फिल्म शाहरुख की है तो कुछ भी संभव हो सकता है |
फिल्म की मुख्य
अभिनेत्री जो पुलिस में है {कैसे और क्यों है यह नहीं बताया गया है}
शादी से पहले मां बन जाती है तथा उसका एक ही काम है कि उससे विलेन
बने शाहरुख जो भी डिमांड करते हैं वह उन्हें सरकार के बीच में लाकर पूरा करने का
काम करती है कोई इफ और बट की गुंजाइश नहीं दिखती है,ऐसा लग रहा है
कि उन्हें शाहरुख की डिमांड पूरी करने के लिए ही रखा गया है इसमें पुलिस अथवा
सरकार का कोई दखल नहीं होगा क्योंकि पैसे तो फिल्म में हमने ही लगाया है और हम ही
हीरो हैं | अभिनेत्री को सिर्फ शाहरुख का प्रेम प्रसंग
दर्शाने के लिए रखा गया है तथा जिस प्रकार से उसे प्रजेंट किया गया है देखकर हंसी
ही आती है|
मुंबई मेट्रो
वाले सीन में सभी लोगों को नकाब पहनाने वाला सीन मनी हाइस्ट नामक सीरियल से ज्यों
का त्यों चुराया गया है,
पैसा चुराकर किसानों में बांटा जाना कमांडो 3 फिल्म से चुराया गया है,वही फौज में
नकली हथियारों का होना दक्षिण भारत की अजीत द्वारा अभिनीत एक फिल्म जिसमें
उन्होंने फौज में दिए गए नकली जैकेट का जिक्र किया है उससे प्रेरित माना जा सकता
है, निदेशक एटली और शाहरुख दोनों अगर फौज के बारे
में थोड़ी सी भी जानकारी रखते तो उन्हें पता होता कि फौज में कोई भी हथियार बिना
टेस्टिंग के नहीं रखा जाता यहां दिखाया गया है कि फौजियों को खतरनाक मिशन में
भेजने से पहले नकली बंदूकें दी गई है उसमें भी पेच यह है कि शाहरुख के साथियों की
बंदूक नकली होकर नहीं चल रही परंतु शाहरुख की बंदूक चल रही होती है |
क्योंकि यह
मसाला फिल्म है शाहरुख की अपने घर की फिल्म है तो वह जो भी कचरा चाहे परोस सकते
हैं |शाहरुख महिला कैदियो के जेलर बने हैं जो ये भी नहीं जानते की मर्सिडीस गाड़ी की ब्याज दर ट्रेक्टर
की ब्याज दर से कम क्यू होती हैं जो कि आज की तारीख मे एक सातवी का बच्चा भी जानता हैं | अपनी महिला कैदियों के साथ “जिंदा बंदा” नामक गाना गाते हैं
तथा 6 लड़कियों की टीम बनाकर देश से भ्रष्टाचार मुक्त करने की कोशिश करते हैं |
आम आदमी पार्टी के नेताओ द्वारा कहे
भाषण को भी इसमे दिखाया गया हैं |
विलेन के रूप
में विजय सेतु का काम तारीफ के लायक है परंतु उनका दक्षिण भारतीय स्टाइल में हिंदी
बोलना अच्छा नहीं लगता तथा कई
बार अखरता भी हैं | उनका गेट अप सफ़ेद दाढ़ी वाला दिखाया जाना समझ मे नहीं
आता फिल्म मे उनका नाम काली मोदी अथवा अडानी को दर्शाने या जतलाने का प्रयास करता हुआ
दिखता हैं |
कुल मिलाकर कह सकते हैं की भारत जैसे देश मे अगर आपके पास पैसा हैं
तो आप कुछ भी दिखा सकते व बेच सकते हैं | शाहरुख
ने इस फिल्म मे ये प्रूफ करके दिखा भी दिया हैं जहां तक फिल्म के कमाई की बात हैं तो
बेहतरीन पीआर के चलते आप इस फिल्म को एक सप्ताह
तो चलाकर दिखा सकते हैं उसके बाद तो सबको पता चल ही जाएगा की कितनी कमाई हुई हैं,बताया जा रहा हैं की इस फिल्म ने पहले सप्ताह मे करीब 400 करोड़
कमा लिए हैं जिसमे से 300 करोड़ तो इसकी लागत ही हैं |
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