जब भी शनि राहु केतु लंबे समय तक किसी राशि से गुजरते हैं तो शरीर के उस भाव अथवा उस राशि से संबंधित परेशानी होने के योग बढ़ जाते हैं | ध्यान रखें की शनि ढाई साल तथा राहु केतु डेढ साल के लिए एक राशि पर गोचर करते हैं |
प्रस्तुत लेख मे हम इन ग्रहो के इसी गोचर पर प्रकाश डाल रहे
हैं |
शनि को प्राकृतिक रूप से 6/8/12 भाव का स्वामी माना गया हैं
जो दुख,तकलीफ,परेशानी,लंबी बीमारी अधरग,हड्डी टूटना फ्रेक्चर,आयु संबंधी बीमारियाँ,दैनिक जीवन की दिक्कते अथवा मृत्यु जैसे प्रभाव देता है |
राहु केतु को पाप ग्रह इसलिए माना जाता है क्यूंकी वह अचानक
कुछ भी बुरा करवा सकते हैं जैसे कि चोट लगना,गंभीर बीमारी होना,पागलपन के दौरे इत्यादि पडना,कैंसर,पार्किंसन,अज्ञात भय जैसे हालत उत्पन्न कर सकते हैं |
हम जानते हैं की सारा ब्रह्मांड ग्रहों के अधीन चल रहा है शनि उसे आगे बढ़ाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं हैं क्योंकि वह वृद्धावस्था के स्वामी हैं,शनि वृद्ध अवस्था 42 की आयु से आरंभ करते हैं तथा 42 से 49 वर्ष के समय
सबसे ज़्यादा
प्रभाव देते हैं इसलिए इस
दौरान
अर्थात 42 से 49
के मध्य जातक
विशेष
के
बाल
सफेद
हो
जाते
हैं,गंजापन आ जाता है,आर्थराइटिस
हो
जाती
है,दांत व आंखों
की
परेशानियां,पैरों में दर्द,हार्ट में ब्लॉकेज,कोलेस्ट्रॉल बढ्ने जैसी समस्याएं होती हैं | शनि 44-45 की उम्र में ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं जिससे जातक विशेष को इसी समय हृदय
अथवा
रीड
की
हड्डी
से
संबंधित
परेशानी
होती
है
विटामिन
बी 12,विटामिन सी और विटामिन ई शनि के स्वामित्व में आती हैं जिस कारण आयु वृद्दि को रोकने के लिए हमें इन विटामिनो का
ज़्यादा से ज़्यादा सेवन इस आयु मे करना चाहिए |
आइए अब शनि,राहु
केतु
का
गोचर
देखते
हैं
|
26 अक्टूबर 2017 को शनि ने धनु राशि में प्रवेश किया और 24 जनवरी 2020 तक वह इसी राशि में रहें | राहू ने 17 अगस्त 2017 से 6 मार्च 2019 तक कर्क राशि में प्रवेश किया था तथा उसके बाद वह मिथुन
राशि
में
चले
जाएंगे
जिससे पता चलता है कि सितंबर 2018 से सितंबर 2020 के बीच धनु,कर्क और मिथुन राशि शनि और राहु केतु
के प्रभाव में रहेंगी जिससे इन राशियो से संबंधित भावों में कोई ना कोई बीमारी अवश्य हो सकती थी |
धनु राशि निचली कमर, एल4 एल5 तथा एल एस डिस्क,साइटिका,स्नायु रोग,कूल्हे की
हड्डी
और
जांघ का प्रतिनिधित्व करती है |
कर्क राशि स्वशन प्रणाली,पैंक्रियास,गाल
ब्लैडर,लीवर,पाचक
संस्थान,स्तन तथा नसों से संबंधित होती है |
मिथुन राशि ट्रेकिया,सांस लेने की नली,कंधे,भुजाएं,उंगलियां
तथा
प्रोस्टेट
का
पता
बताती
हैं
|
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सितंबर 2018 से सितंबर 2020 के बीच इन भाव से संबंधित शरीर के भागों में परेशानी हो सकती थी |
जब राहु कर्क राशि में था तो लिवर समस्या,पीलिया,सांस की नली में इन्फेक्शन,निमोनिया,स्तन कैंसर नसों का बंद होना,रक्त संबंधी बीमारियां मार्च 2019 तक देखने को मिली हैं |
जब राहु मिथुन राशि में
आ
गया
है
तो
ऊपरी श्वशन तंत्र मे
इन्फेक्शन साइनस,लैरिंजाइटिस,ब्रोंकाइटिस,सांस नली में
सूजन,कंधे का दर्द,हाथों में दर्द या हाथ में फ्रैक्चर,किडनी में पथरी होना,प्रोस्टेट संबंधी दिक्कत होना,थायराइड में दिक्कत होना,स्त्रीयों मे ट्यूब्स व हार्मोनल परेशानी के अलावा राहू के मिथुन मे होने से कोई
नया जीवाणु जनित सांस का रोग भी पैदा हो सकता हैं |
शनि का धनु राशि में होना कूल्हे संबंधी परेशानियां
इनसे
संबंधित
दुर्घटनाएं,फ्रैक्चर,एल 4/एल 5,एल 5 तथा एस 1 संबंधी डिस्क
में
परेशानी,साइटिका,स्नायु
रोग
तथा
जांघों तथा पैरो में दर्द की परेशानी दे सकता है यह सभी परेशानीया अगले 2 वर्ष में देखी जा सकती है,इसका
ये अर्थ नहीं है कि सभी जातको को यह परेशानीया होगी
परंतु
जो
भी
व्यक्ति
मिथुन,कर्क,धनु
लग्न अथवा राशि के हैं तथा जिनके 6/8/12 भाव में यह राशिया
पड़ती
थी और
उनमे जन्म समय पाप
ग्रह था तो
उनको
इससे
परेशानी
अवश्य हुई होगी |
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