सोमवार, 16 अक्टूबर 2023

शनि की दृस्टी का प्रभाव

 

शनि लग्न को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक श्याम वर्णी, नीच स्त्रीरत, स्वस्त्री से विमुख, और लम्पट होता है ।

शनि दूसरे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक 36 वर्ष तक धननाशक, कुटुम्ब विरोधी, 19 वे वर्ष मे शारीरिक कष्ट, नाना रोगो का शिकार होता है ।

शनि तीसरे भाव  को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक पराक्रमी, अधार्मिक, भाइयो के सुख से रहित, नीच संगती प्रिय, बुरे कार्य करने वाला होता है ।

शनि चौथे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक को प्रथम वर्ष मे शारीरिक कष्ट पाने वाला, 35-36 उम्र मे  मे राज्याधिकार मे वृद्धि प्राप्त करने वाला और लाभ पाने पाने प्रतिष्ठित व्यक्ति होता है ।

शनि पांचवे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक नीचविद्या विशारद, नीच जनप्रिय, और नीच कार्य करने वाला, संतान हानि वाला होता है ।

शनि छठे भाव  को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक शत्रु नाशक, मातुल कष्टकारक, नेत्र रोगी, मधुमेह रोगी, धर्म से विमुख, कुकर्मरत होता है ।

शनि सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो कलहप्रिय, 36 आयु वर्ष मे मृत्युतुल्य कष्ट, धन नाशक और मलिन स्वभाव का होता है ।  

शनि अष्टम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो कुटुम्ब विरोधी, राज्य हानि उठाने वाला, 36 वर्ष की उम्र तक पिता का धन नाशक, रोगी होता है ।

शनि नवम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक देशाटन करने वाला, भाइयो से विरोध, प्रवासी, धन प्राप्त करने वाला, नीच कर्म रत, पराक्रमी, धर्महीन, निंदक होता है ।

शनि दशम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक पिता के सुख से वंचित, माता को कष्टकरक, भूमिपति, राजमान्य, सुखी होता है ।

शनि एकादश भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक पुत्र से सुखी, अनेक भाषाओ का ज्ञाता, साधारण व्यापार से लाभ प्राप्त करने वाला होता है ।

शनि द्वादश भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक अशुभ कार्यो मे धन खर्च करने वाला, माता को कष्टकारक, शत्रु नाशक, सामान्य लाभ प्राप्त करने वाला होता है । 

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