चन्द्र को 7वी दृस्टी प्रदान की गयी हैं अर्थात चन्द्र अपने से 7वे भाव पर दृस्टी डालते हैं |
लग्न पर दृष्टि
हो तो जातक प्रवासी, व्यवसायी, भाग्यवान,
शौक़ीन, कृपण और स्त्री प्रेमी होता है ।
द्वितीय पर दृष्टि
हो तो जातक अधिक संतति वाला, सामान्य सुखी, 8
वर्ष की आयु मे शारीरिक कष्ट, धनहानि, जलधात, चोट,
घाव, खरोच आदि से दुःखी होता है ।
तृतीय भाव पर
दृष्टि हो तो जातक धार्मिक, प्रवासी, अधिक बहिन और कम
भाई वाला, 24 उम्र वर्ष से पराक्रमी, सत्संगतिप्रिय,
मिलनसार होता है ।
चतुर्थ भाव पर
दृष्टि हो तो 24 उम्र वर्ष से सुखी, राजमान्य,
कृषक, वाहनादि से सुखी, मातृसेवी
होता है ।
पंचम भाव पर
दृष्टि हो तो जातक व्यवहारकुशल, प्रथम संतान पुत्र प्राप्त करने वाला,
कलाप्रिय होता है ।
छठे स्थान पर
दृष्टि हो तो जातक शांत, रोगी, शत्रुओ से कष्ट
पानेवाला, गुप्त रोगो से आक्रान्त, व्ययी
और 24 उम्र वर्ष में जल से हानि होती है ।
सप्तम भाव पर
दृष्टि होतो जातक सुन्दर, सुखी, सुन्दर स्त्री
प्राप्त करने वाला, सत्यवादी,व्यापर से धनी
और कृपण होता है ।
अष्टम स्थान पर
दृष्टि हो तो जातक पितृधननाशक, कुटुम्ब विरोधी, नेत्ररोगी,
लम्पट होता है ।
नवम भाव पर
दृष्टि हो तो जातक धर्मात्मा, भाग्यशाली, भ्रातहीन,
बुद्धिमान होता है ।
दशम पर दृष्टि हो तो पशु व्यवसायी, धर्मान्तर
मे दीक्षित होने वाला, पितृ विरोधी, चिड़चिड़े
स्वभाव वाला होता हैं ।
ग्यारहवे पर
दृष्टि हो तो लाभ प्राप्त करने वाला, कुशल व्यवसायी,
अधिक कन्या वाला, मित्रप्रेमी होता है ।
बारहवे पर
दृष्टि हो तो शत्रु द्वारा धन व्यय, चिंतायुक्त,
राजमान्य, अंतिम अवस्था मे सुखी होता है ।
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