सोमवार, 30 अक्तूबर 2023

औषधि के रूप मे मसाले

 

वैसे तो हम भोजन में रोजाना ही मसाले खाते हैं, लेकिन जानकारी हो तो यही मसाले कई बड़े-बड़े रोगों से भी मुक्ति दिला सकते हैं । मसालों का उपयोग सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाने के लिए ही होता है, ऐसा नहीं है । मसाले अपने आप में अपार चिकित्सकीय गुण समेटे हुए हैं ।

विशेषज्ञ अब यह मानने लगे हैं कि ये मसाले जहां एक ओर बहुत-सी बीमारियां दूर करते हैं, वहीं इनमें मोटापा कम करने का गुण भी है, हाल ही में किए गए एक शोध से पता चला है कि अगर मिर्च, काली मिर्च और कुछ दूसरे मसालों को लगातार प्रयोग में लाया जाए तो न सिर्फ पाचन शक्ति मजबूत होती है बल्कि शरीर पर जमी चर्बी भी घटती है ।

खासकर अजवायन, लौंग,हल्दी, जीरा, धनिया, सौंफ, सोंठ आदि हमारे लिए उपयोगी मसाले हैं ।


मसाले के रूप में प्रयुक्त होने वाली लौंग के नियमित सेवन से मुंह की बदबू व दांतों की सड़न दूर होती है । लौंग का तेल दांत दर्द में लाभकारी है,यह खुद दंत चिकित्सक मानते हैं । मसूड़ों की सूजन व मुंह के भीतर किसी भी प्रकार के घाव की यह रामबाण औषधि है ।




पाचन की दृष्टि से अजवायन बहुत गुणकारी मानी गई है। विभिन्न प्रकार के भोजन को सरलता से पचाने में यह मदद करती है। अफारा, पेट दर्द, उदर- कृमि, वायु-गोला, अपचन, शूल, वमन आदि बीमारियों के उपचार में अजवायन कारगर भूमिका निभाती है। साथ ही हिचकी, डकार व मिचलाहट जैसी सामान्य तकलीफों को भी यह दूर करती है। अजवायन का सेवन फेफड़े संबंधी रोगों में भी राहत प्रदान करता है। नजला, जुकाम व सिर दर्द जैसी सामान्य अवस्थाओं में अजवायन का महीन चूर्ण बनाकर सूंघने से राहत मिलती है। अजवायन को गुड़ में मिलाकर तीन बार कुछ दिन तक खिलाने से उदर कृमि बाहर निकल जाते हैं तथा सोते हुए बच्चों द्वारा बिस्तर गीला करने की शिकायत भी दूर होती है। अजवायन का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी में आराम लिता है तथा कफ धीरे-धीरे निकल जाता है।



छोटा-सा जीरा बड़े औषधीय गुणों को समेटे है । मकड़ी काटे के दाग मिटाने के लिए नियमित रूप से जीरा पानी में पीसकर लेप करें। जीरे को पानी में उबालकर पीने से पाचन ठीक होता है और मूत्र साफ आता है। बिच्छू काटने पर घी, शहद, नमक व जीरा चूर्ण मिलाकर लेप करने से राहत मिलती है। मुंह के छालों को दूर करने के लिए पानी में थोड़ा-सा जीरा चूर्ण तथा थोड़ी-सी भुनी फिटकरी मिलाकर कुल्ला करने से लाभ होगा। गर्भवती महिला को पित्त के साथ उल्टियां हों तो जीरा चूर्ण, नींबू के रस में मिला कर देने से आराम मिलता है। पथरी व पेशाब की रुकावट में जीरा चूर्ण मिश्री के साथ लेने से लाभ होता है। काले जीरे को भूनकर दही के साथ खाने से दस्त ठीक हो जाते हैं। काले जीरे को घी में भूनकर हुक्के में पीने से जुकाम दूर हो जाता है। इसके चूर्ण को गुड़ के साथ खाने पर स्त्री के दूध में वृद्धि होती है ।



मसाले के रूप में सौंफ का भी औषधीय उपयोग है। सौंफ आंतों की कार्यक्षमता बढ़ाती है और खुश्की दूर करके कब्ज ठीक करती है। यह उल्टी, अजीर्ण एवं पेट दर्द में लाभदायक है। मुंह के छाले दूर करने के लिए भी सौंफ का बड़ा महत्व है। मूत्र एवं पाचन तंत्रिकाओं के विकार भी सौंफ के नियमित सेवन से नियंत्रित होते हैं। जिन लोगों को रतौंधी की शिकायत है, उन्हें सौंफ दोनों वक्त भोजन के उपरांत नियमित रूप से खानी चाहिए। सौंफ का नियमित सेवन करने से खट्टी डकारें और सांस की बदबू दूर होती है। साथ ही उदर विकारों में भी आराम मिलता हैं | बच्चों को पेट दर्द की शिकायत होने पर सौंफ का काढ़ा बनाकर पिलाने से लाभ मिलता है । सोंठ और सौंफ को घी में भूनकर, उसका चूर्ण बनाकर सेवन करने से आम का पाचन होता है और आमातिसार में लाभ होता है ।


काली मिर्च भी कई जटिल रोगों के इलाज में सहायक है । काली मिर्च कफ़नाशक हैं और दूषित बलगम को निकालकर नाक व फेफड़ों को साफ करती है । गला बैठने पर भोजन के साथ इसका चूर्ण घी में मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद खाने से आराम मिलेगा । पित्त उछलने की स्थिति में काली मिर्च को घी के साथ खाने से आराम मिलता है ।


हल्दी भी औषधीय दृष्टि से उपयोगी मसाला है । हल्दी का धुआं सूंघने पर नाक में पानी आना, सांस की तकलीफ और हिचकी आना बंद हो जाता है। हल्दी का चूर्ण बुरकने से घाव जल्दी भरता है । हल्दी का चूर्ण दो-तीन ग्राम की मात्रा में दूध में मिला कर पीने से खांसी में आराम मिलता है तथा यह बहते रक्त को भी रोक देता है । इसके अलावा आंवले का चूर्ण या रस हल्दी चूर्ण में मिला कर शहद के साथ चाटने से शूगर की बीमारी में आराम आता है ।



मसाले के तौर पर धनिए का महत्व भी कम नहीं है । बुखार के साथ उल्टी और सिरदर्द होने पर इसके पत्तों का रस या काढ़ा पीने से आराम मिलता है । इसके बीजों के चूर्ण को रात भर पानी में डाल कर सुबह मसलकर छानकर पीने से पेशाब की रुकावट, शरीर में जलन व आंतों की गर्मी दूर होती है ।


सोंठ भी उपयोगी मसाला है। हृदय की दुर्बलता होने पर सोंठ के गर्म काढ़े में नमक मिला कर पीने से आराम मिलता है । सोंठ अग्निवर्द्धक है,यह पेट की तकलीफों को दूर करती है । बवासीर और पीलिया में दस ग्राम सोंठ गुड़ के साथ लेने से लाभ होता है । पिसी हुई सोंठ को गर्म दूध में मिला कर पीने से हिचकी बंद हो जाती है । सोंठ का चूर्ण पानी के साथ लेने पर दांत के दर्द में आराम मिलता है । अफारा और बवासीर में सोंठ लाभकारी है। सोने से पूर्व सोंठ का काढ़ा पीने से अच्छी नींद आती है ।

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