शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2023

गुरु की दृस्टी का फल


लग्न भाव को बृहस्पति पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक धर्मात्मा, कीर्तिवान, विद्वान् पतिव्रता शुभ आचरण वाली स्त्री का पति होता है ।

दूसरे भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक पितृ धन नाशक, धनार्जन करने वालाकुटुम्बी और मित्रो मे श्रेष्टराजमान्य होता है ।

तीसरे भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक भाग्यवान पराक्रमीभ्रातृ सुखयुक्त, प्रवासी और शुभ आचरण करने वाला होता है ।

चौथे भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक श्रेष्ट विद्याव्यसनी, भूमिपति, वाहन सुखयुक्त, माता-पिता से सुखी होता है ।

पांचवे भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक धनवान, ऐश्वर्यवान, विद्वान्, व्याख्याता, पांच पुत्र वाला और कलाप्रिय होता है ।

छठे भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक व्याधिग्रस्त, धन नष्ट करने वाला, क्रोधी और धूर्त होता है ।

सप्तम भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक सुन्दर, धनवान, कीर्तिवान, भाग्यशाली होता है । 

अष्टम भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक चिन्तित, आठ वर्ष की अवस्था मे मृत्यु तुल्य कष्ट, 26 वर्ष की अवस्था मे कारागारजन्य  कष्ट, राजभय होता है ।

नवम भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक कुलीन, भाग्यवान, शास्त्रज्ञ, धर्मात्मा, स्वतंत्र, संतानयुक्त, दानी, व्रतोपवास करने वाला होता है ।

दशम भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक राजमान, सुखी, धन पुत्रादि युक्त, भूमिपति, ऐश्वर्यवान होता है ।

एकादश भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक बुद्धिमान, पुत्रवान, विद्वान्, स्नेही, 70 वर्ष से अधिक जीवित रहने वाला होता है ।

द्वादश भाव को गुरु पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो जातक रजोगुणी, दुःखी धन खर्च करने वाला, निर्बुद्धि होता है ।
                                                                                                                                                        

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