हम सब जानते हैं शनि हमें इस जन्म मे कर्म करना बताता है,हमे क्या कर्म करना पड़ेगा ये शनि की स्थिति से जाना जा सकता हैं | राहु हमारी पूर्व जन्म से सम्मिलित इच्छाओं की पूर्ति के लिए हमें जन्म देता है तथा केतू हमारे पूर्व जन्म के किए गए कर्मों को बताता है जो हमने पूरे कर लिए थे |
कुंडली में शनि की स्थिति को देखें वह जिस भाव और जिस राशि में है उसके स्वामी को उसके नक्षत्र स्वामी को भी देखें तथा वह किस भाव को दिखाता है यह भी देखें यदि किसी ग्रह से शनि की युति हैं तो उसे
भी
देखें
उन भावो से
संबंधित
ही
आपके
कर्म
इस जन्म मे होंगे,यदि शनि वक्री हो तो आपके और अधूरे कर्म
होंगे
जो आपको पूरे करने
होंगे |
उदाहरण के लिए शनि नवे भाव में है तो आपके धर्म संबन्धित पूर्व जन्मो के कर्म जो आपने ईश्वर से कहे थे वह पूरे नहीं हुए हैं जिसके लिए आपका जन्म हुआ है यह हमारा निश्चित भाग्य क्षेत्र है इस कारण आपका भाग्य इस जन्म मे रुका
हुआ
है
और आपकी कोई तरक्की नहीं हो रही है इस जन्म मे इस
दिशा
में
किए
गए
कर्म
आपको तरक्की
प्रदान करेंगे |
राहु आपकी वह इच्छा बता रहा है जो आपके किसी पूर्व जन्म
से
अब
तक
नहीं
पूरी नहीं हुई है आप उसकी पूर्ति के लिए इस जीवन
में
आए
हैं
इसके
लिए
राहु
की
राशि
का
स्वामी
नक्षत्र
नक्षत्र
का
स्वामी
युति सब को देखें इससे आपको इस जन्म में
क्या
करना
चाहिए
पता
चलता
है
यदि
आप
उसी
क्षेत्र
में
चलते
हैं
तो
आपका
वह
कर्म पूरा हो जाता है और आपकी इच्छा की पूर्ति हो जाती हैं |
उदाहरण के लिए यदि राहु सूर्य के साथ हो तो आपके रुके में इच्छित कर्म
पिता
सरकार
अथवा
राजनीति
से
संबंधित
है
आपको यह कर्म अवश्य ही पूर्ण करने होंगे
चाहे आप चाहे ना चाहे आपकी परिस्थिति आपको उस तरफ धकेलेगी |
केतु आपको उस क्षेत्र,कारक,भाव अथवा घर से अलग
हटाएगा जिससे
संबन्धित वह कुंडली मे बैठा
हैं अथवा जिस ग्रह से वह संबंधित हो,ग्रह
की
युति
हो,नक्षत्र हो क्योंकि आपने वह कर्म अपने पूर्व जन्म मे पूरा किया हुआ है जिस कारण केतू हमे उस
कर्म
से अलग कर रहा हैं और हम अलग हो रहे हैं जो कि हमें इस जीवन में मिला हुआ है और अब हम जब तक इस जन्म मे कोई नया कर्म नहीं करते
हैं वह हमे कर्म
करने नही देगा तथा इस
जन्म
को
हम आगे लेकर नहीं जा पाएंगे |
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