प्रथम भाव में मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. एक सूखे
नारियल को सिंदूर का टीका
लगाकर मौली एवं लाल वस्त्र में लपेटकर मन्त्र पूर्वक बहते पानी में बहा देवें
(मन्त्र - क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः) ।
2.गेहँ, चने की दाल, बेसन के लड्ड, हल्दी, केले आदि धर्म स्थान में दान करें ।
3. चाँदी की चेन अथवा कड़ा शुक्ल पक्ष के मंगलवार को धारण
करें ।
4. सदाचरण का
पालन करें तथा माता-पिता, गाय एवं
ब्राह्मणों की सेवा करके आशीर्वाद ग्रहण करें ।
द्वितीय भाव मे मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. रेवड़ियां
या पताशे आठ मंगलवार तक पानी में बहावे ।
2. मंगलवार को
व्रत धारण करके मंगलवार की कथा पढें और एक समय भोजन करें ।
3. चाँदी का
चौरस टुकड़ा अपने पास रखे या चांदी की
चेन में धारण करें ।
4. भाईयों से
किसी भी प्रकार के विवाद से बचें ।
5. छोटे बच्चों
में गुड़ की रेवड़ियां,लड्डुओं आदि
का वितरण करें ।
तृतीय भाव में मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. चाँदी का
कड़ा बिना जोड़ वाला, तांबे की
कील लगवा कर पहनें ।
2. खून के
रिश्तों (जैसे भाई-बहन, माता-पिता, चाचा आदि) के साथ सद्व्यवहार रखें ।
3. श्री हनुमान
मन्दिर में हर मंगलवार को सिंदूर एवं प्रसाद
चढ़ाए तथा चालीसा
पाठ करें ।
4. क्रोध व
अहंकार को त्यागकर मधुर भाषी बनने से कल्याण होगा ।
5. मेहमानों की
भोजन के बाद सौंफ, मिश्री आदि
से सेवा करें ।
चतुर्थ भाव में मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. आठ मंगलवार
तक 400 ग्राम चावल
(दूध में धोकर) अथवा रेवड़ियां पानी में बहाएं ।
2. तीन धातु
(सोना, चांदी एवं
तांबे से निर्मित) की अंगूठी अनामिका अंगुली में मंगलवार को पहनें ।
3. आठ मंगलवार
तक मीठी रोटियां, तंदूर में
लगवाकर गाय को खिलावें ।
4. श्री हनुमान
कवच का पाठ करना शुभ होगा ।
पंचम भाव में मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. रात को सोते
समय सिरहाने ताम्र बर्तन में पानी रखकर सोएं, सूर्योदय के
बाद उस पानी को पौधों में डाल देवें ।
2. अपनी संतान
के मित्रों की आवभगत करें ।
3. मंगलवार का
व्रत रखकर श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें ।
4. अपने चाल
चलन (चरित्र) का पालन करें, दूध व चीनी
का दान करें ।
षष्ठ भाव में मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. श्रीगणेश
चौथ के व्रत तथा गणेश पूजन करना शुभ होगा ।
2. चावल, चीनी एवं चांदी का दान करना शुभ होगा ।
3. बच्चे के
शरीर पर सोना अथवा तांबा न पहनाएं ।
4. अपनी बहन व
बहनोई की खास सेवा करना शुभ होगा।
5. छोटी छः कन्याओं में श्वेत वस्तुएं (जैसे-दूध, खीर, बरफी, रसगुल्ले आदि) हर मंगलवार को बांटना शुभ होगा ।
सप्तम
भाव में मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. अपनी बहन या
बुआ को लाल वस्त्र (कम्बल), मिष्ठान्नादि
भेंट स्वरूप देवें ।
2. चांदी की
ठोस गोली अपनी पाकिट में रखना अच्छा होगा ।
3. जातक अपना
चरित्र (चाल-चलन) ठीक रखें।
4. हर मंगलवार
को मसर की दाल लाल कपड़े में लपेटकर मंगल का बीज मन्त्र पढ़ते हुए जल में प्रवाह
करें ।
5. प्रत्येक
मंगलवार को श्री सुन्दर कांड का पाठ करना शुभ रहेगा ।
अष्टम भाव में मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. दादी या
माता से चांदी लेकर मंगलवार को पूर्णमाशी को गले में पहने ।
2. तीन धातु
(सोना, तांबा व
चांदी) की अंगूठी बनवाकर शुक्लपक्ष के मंगलवार को पहनें ।
3. हर मंगलवार
को तंदूरी मीठी रोटियां कुत्तों को डालें ।
4. 800 ग्राम
रेवड़ियां/पताशे या दाल मसर चलते पानी में बहावें ।
5. लाल वस्त्र न पहने तथा घर में लाल रंग के
पर्दे न लगवाएं ।
6. रात को तांबे के बर्तन में पानी रखकर हर
मंगलवार को बड़ वृक्ष की जड़ों में डालें।
नवम भाव में मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. मंगल के दिन
श्री हनुमान जी को सिंदूर चढ़ावें तथा
बर्फी, गुड़, चावल, दूध चीनी एवं दक्षिणा श्रद्धापूर्वक
चढ़ावें ।
2. लाल रंग के
रूमाल सदा अपने पास रखें ।
3. सोने की
अंगूठी में मूंगा जड़वा कर धारण करें ।
4. भाई एवं
भाभी की सेवा करें ।
5. खाने का बाद
सौफ एवं देसी खांड मेहमानों को खिलावें ।
दशम भाव में मंगल अशभ फलकारक होने पर
मंगल वार का व्रत
रखकर श्रीहनमान चालीसा का पाठ संकटमोचन सहितकर तथा श्री हनुमान जी को जलेबी अथवा फलो का भोग लगाकर स्वयं भी एक समय मीठा भोजन करे |
एकादश भाव में मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. हर मंगलवार
श्री हनुमान जी की मूर्ति सिंदूर चढ़ाकर दीपक
प्रज्वलित करें ।
2. अपने घर में शहद की बोतल अथवा किसी छोटे पात्र
में शहद भर कर रखें ।
3. यदि यहां पर
मंगल मकर या वृश्चिक राशि का हो तो मूंगा धारण करना शुभ फल देगा ।
4. अपनी खानदानी
सम्पत्ति अथवा कोई वस्तु बेचना अशुभ फल देगा ।
5. घर में
काला/सफेद कुत्ता पालना शुभ फल देगा ।
6. ब्राह्मण और
गाय की सेवा करना शुभ होगा ।
द्वादश भाव में मंगल अशुभ फलकारक होने पर
1. प्रतिदिन
ताम्र बर्तन में थोड़ा गुड़,लाल पुष्प
एवं शुद्ध जल डालकर सूर्यदेव को मन्त्रपूर्वक अर्ध्य प्रदान करें ।
2. जातक चावल या चांदी अपने पास रखें ।
3. मंगलवार का
व्रत रखना तथा इस दिन श्रीहनुमान चालीसा पाठ के बाद, मन्दिर में जाकर लड्डू व बताशे बांटने
शुभ होंगे ।
4.गुरु, ब्राह्मण एवं गौओं की सेवा करने से
द्वादशस्थ भौम की अशुभता में कमी होगी ।
5. तामसिक भोजन
से परहेज रखें ।
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