शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

ज्योतिष में पिता का विचार किस भाव से करना चाहिए ?

ज्योतिष में पिता का विचार किस भाव से करना चाहिए ?

बृहद पराशर होरा शास्त्र के 20 अध्याय के चौथे श्लोक में कहा गया है कि यदि भाग्य स्थान से दूसरे अथवा चौथे स्थान अर्थात कुंडली के दशम तथा द्वादश स्थान में नवमेश नीच राशि का हो तो जातक का पिता निर्धन होता है इससे स्पष्ट होता है कि पिता का स्थान कुंडली में नवम है परंतु उसी बृहद पराशर होरा शास्त्र के 11वे अध्याय में कहा गया है कि राज्य,आकाश,आजीविका,पिता व मान सम्मान आदि को दशम भाव से देखा जाना चाहिए | माता के स्थान चतुर्थ से सप्तम होने के कारण दशम भाव पिता हेतु युक्तियुक्त नजर आता है परंतु पुत्र का भाव पंचम होने से पंचम से पंचम नवम भाव का हमारे पिता से संबंध होना चाहिए |

चंद्रकला नाडी के अनुसार नवम भाव तथा उसके स्वामी से पुत्र की कुंडली से पिता की जन्म लग्न ज्ञात की जाती है जिससे स्पष्ट हो जाता है कि पिता हेतु नवम भाव ही देखा जाना चाहिए ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जिनमें पिता का भाव नवम ही दर्शाया गया है परंतु एक अन्य मत के अनुसार यह भी कहा जा सकता है कि नवा भाव जगत पिता का होता है जबकि दसवां भाव हमारे जैविक पिता का होता है

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https://youtu.be/PUQ9HS9Cm4M

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