1)लोहवान युक्त
वर्तिका कड़वे तेल के दीपक में डालकर सन्ध्या समय पीपलवृक्ष के नीचे ज्योति जलाऐं ।
2)बन्दरों को
प्रत्येक शनि तथा मंगलवार को चना गुड़ खिलायें ।
3)भीगे हुए उड़द पक्षियों को डालें ।
4)काले तिल,
मिश्रित कड़वे तेल का शरीर
मे मर्दन करें ।
5) गरीब,अपाहिज व असहाय लोगो को भोजन करवाएं ।
6)काले कम्बलादि वस्त्रो का दान करे ।
7)11 या 21 कच्चे
नारियल संख्यानुसार सिर से घुमाकर बहते जल में छोड़ दें |
8)दसनाम
शनि स्त्रोत का पाठ नित्य करे |
कोंणस्थ पिंगलो
बभ्रुः कृष्णो रौदन्तको यमः ।
सौरिः शनैश्चरो
मंदः पिप्पलादेन संस्तुतः ॥
एतानि दशनामानि
प्रातरुत्थाययः पठेत् ।
शनैश्चर कृता
पीड़ा न कदाचित भविष्यति ॥
इन सभी उपायो के शनि का ग्रहदोष शान्त
होकर मस्तिष्क हल्का हो जायेगा । धनायु कारोबार की वृद्धि से सौख्य-समृद्धि बढ़ेगी,
मंगलोत्सव की खुशी होगी ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें