चन्द्रमा शत्रु एवं क्रूर ग्रह से दृष्ट, युत एवं नीच राशि (वृश्चिक) अथवा 4,6,8,12वें भावों में स्थित हो जहां चन्द्रमा अशुभ माना जाता हैं ।
अशुभ चन्द्र की शान्ति के लिए
निम्नलिखित किसी एक मन्त्र की 11 हज़ार की संख्या जप करना, तदुपरान्त दशमांश संख्या में हवन करना
शुभ रहता है । जप का आरम्भ पूर्णमाशी शुक्ल पक्ष के सोमवार को किसी शुभ मुहूर्त
में करना चाहिए ।
तन्त्रोक्त चन्द्र मन्त्र - ॐ श्रां
श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः ।
पुराणोक्त चन्द्र मन्त्र - ह्रीं दधि
शंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम् ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् ॥
चन्द्रमा गायत्री मन्त्र - ॐ अमृतांगाय
विद्महे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमः प्रचोदयात् ।। चन्द्र अर्घ्य मन्त्र- ॐ सोम्
सोमाय नमः ॥
चन्द्रमा अशुभ हो, तो मानसिक विकार, नेत्र कष्ट, धन हानि, रक्त दोष, स्त्री कष्ट आदि जैसे
अशुभ
फल प्राप्त होते हैं । चन्द्रमा की
शुभता के लिए उपरोक्त मंत्र जाप के अतिरिक्त चाँदी की अंगूठी मे चंद्रकांत मणि
अथवा सफ़ेद मोती धारण करना,विधिवत सोमवार एवं पूर्णमासी
का व्रत करना,चन्द्र मंत्र मुद्रित करवाकर चाँदी का गोल
सिक्का गले मे धारण करना,घर पर सफ़ेद शंख रखना,चन्द्र यंत्र धारण करना,औषधि एवं जड़ी बूटी स्नान तथा
शिव उपासना करना लाभदायक रहता हैं |
चन्द्र
की शुभता बढ़ाने के लिए दान पदार्थ – चावल,सफ़ेद चन्दन,शंख,कपूर,दहि,दूध,घी,चीनी,मिश्री,सफ़ेद वस्त्र,चाँदी का
पात्र,चाँदी के वर्क लगी बर्फी,बलान्वित चन्द्रमा मन, बुद्धि, रक्त, स्त्री एवं माता, धन-सम्पदादि सुखों में वृद्धिकारक होता
है ।
उपाय - (1) चांदी के बर्तनों का प्रयोग करना एवं
चारपाई के पायों में चांदी के कील ठुकवाना ।
(2) सफेद मोतियों की माला अथवा चांदी की अंगूठी में मोती एवं चांदी का
कड़ा धारण करना ।
यदि कुण्डली में चन्द्र अशुभ हो, तो चन्द्रमा के अशुभत्व के निवारण हेतु
उपाय
(3) शीशे के गिलास में दूध, पानी आदि पीने से परहेज़ रखना शुभ होगा
।
(4) पानी में कच्चा दूध मिलाकर चन्द्रमा का
बीज मन्त्र पढ़ते हुए पीपल को डालना ।
(5) लगातार 16 सोमवार व्रत रखकर सायंकाल सफेद
वस्तुओं का दान करना चाहिए तथा पाँच छोटी कन्याओं को खीर सहित भोजन कराना चाहिए ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें