मंगल ग्रह - 1,2,4,5,7,8,9 एवं 12वें भावों में स्थित मंगल, बुध अथवा शनि आदि ग्रहों से दृष्ट या युक्त, या अपनी नीचराशि (कर्क) में अशुभ कारक होता है । जन्म कुण्डली या वर्ष कुण्डली में मंगल अशुभ एवं बाधाकारक हो, तो निम्न मन्त्रों में से किसी एक का कम से कम 10 हज़ार की संख्या में, शुभ मुहूर्त्त, मंगलवार को लाल पुष्प, लाल, अक्षत (चावल), गंगाजल लेकर संकल्प पूर्वक पाठारम्भ करें । सुनिश्चित संख्या पाठोपरान्त पाठ का दशमांश संख्या में हवन करना चाहिए ।
तन्त्रोक्त भौम मन्त्र - ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नमः ।
पुराणोक्त भौम मन्त्र - ह्रीं धरणी
गर्भसम्भूतं विद्युत् कान्ति समप्रभम् ।
कुमारं - शक्तिं हस्तं तं मंगल
प्रणमाम्यहम् ॥
भौम गायत्री मन्त्र - ॐ अंगारकाय
विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात् ॥
उपरोक्त मन्त्र जाप के अतिरिक्त
अनिष्टकर मंगल की शान्ति के लिए मंगलवार का व्रत श्री हनुमान उपासना, मंगल स्तोत्र पढ़ना, लाल वर्ण की गाय को चारा डालना, मूँगा पहनना,औषधि स्नान करना,मांस, मछली, शराब आदि से परहेज़ रखना,विधिपूर्वक बना भौम यंत्र धारण करना,उध्यापन के दिन
ब्राह्मण भोजन कराना शुभ होता हैं |
मंगल शांति हेतु दान योग्य वस्तुएं -
मसूर की दाल,कनेर के फूल,लाल वस्त्र,लाल चंदन,केसर,सेब,लाल मूंगा,तांबा,गुड़ के बने मीठे चावल,ब्राह्मण भोजन आदि कराना शुभ एवं
कल्याणकारी रहता है | मंगल
ग्रह पराक्रम साहस भूमि भाई पुत्र रक्त अथवा बल का कारक भी है अतः अशुभ हो तो
रक्तदोष,भात्र कष्ट आकस्मिक दुर्घटना तथा बिना
वजह विवाद करवाता है |
उपाय - जब कुंडली में मंगल शुभ एवं योग
कारक होता हुआ भी अशुभ फल दे रहा हो तो निम्नलिखित उपाय करने चाहिए |
1)तांबे की अंगूठी में मूंगा धारण करना
चाहिए अथवा तांबे का कड़ा पहनना चाहिए |
2)मंगलवार को घर में गुलाब का पौधा
लगाना चाहिए तथा 108 दिन तक रात को तांबे के बर्तन में पानी रखकर प्रात: उस गुलाब
के पौधे पर चढ़ाना चाहिए |
(3) मंगलवार का व्रत रखकर 27 मंगल किसी अपाहिज को मीठा विशेषकर गुड़ से निर्मित
भोजन खिलाना ।
(4) नारियल को तिलक करके तथा लाल कपड़े में लपेटकर लगातार 3 मंगलवार चलते पानी में बहाएँ ।
(5) लाल रंग की गाय या लाल रंग के कुत्ते को भोजन खिलाना शुभ होगा ।
(6) मंगलवार का व्रत रखना चाहिए विशेषकर उन
कन्याओं को जिनकी कुण्डली में मंगल मंगलीक योग बनकर विवाह में बाधा,विलम्ब उत्पन्न कर रहा हो उन्हें
मंगलागौरी का व्रत लगातार 7 मंगलवार रखना चाहिए ।
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