त्रैलोक्यपूजिते देवि कमले विष्णुवल्लभे ।
यथा त्वचमला
कृष्णेतथा भव मयि स्थिरा ।।
कमला चंचला
लक्ष्मीश्चला भूतिर्हरिप्रिया ।
पद्मा पद्मालया
सम्यगुच्चैः श्रीपद्मधारिणी ।।
द्वादशैतानि
नामानि लक्ष्मी संपूज्य यः पठेत् ।
स्थिरा
लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्रदारादिभिः सह ।।
इस स्तोत्र का
केवल एक जप ही पर्याप्त होता है, दीपावली की रात्रि को यदि दक्षिणावर्ती
शंख के सामने इस स्तोत्र का 108 बार जप कर दिया जाय, तो
उसकी मनोवांछित कामना अवश्य पूरी हो जाती है |
शंख में जल
भरकर इस स्तोत्र का मात्र 11 बार जप कर उस जल को घर में छिड़कने से घर
में शांति और समृद्धि प्राप्त होती है । यदि दक्षिणावर्ती शंख पर इस स्तोत्र का
नित्य 21 बार जप तथा यह प्रयोग 11
दिन तक करें, तो व्यापार में विशेष अनुकूलता प्राप्त होती है
तथा उसे मनोवांछित फल प्राप्त होता है ।
यदि पांच दिन तक
नित्य शंख में जल भरकर इस स्तोत्र के 11 पाठ करके उस जल
को दुकान के दरवाजे के आगे छिड़क दिया जाये तो उस दुकान की बिक्री में वृद्धि होती
है ।
यदि शंख में
चावल भरकर इस स्तोत्र के 11 पाठ कर उन चावलों को अस्वस्थ व्यक्ति
के ऊपर घुमाकर दक्षिण दिशा की ओर फेंक दिया जाये तो उस रोगी की व्याधि सदा के लिए
समाप्त हो जाती है
।
प्रयोग की
समाप्ति पर शंख को तिजोरी में स्थापित कर देना चाहिए । इस प्रयोग का प्रत्येक
गृहस्थ व्यक्ति को अनुसरण करना चाहिए ।
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