शुक्रवार, 10 मार्च 2023

H3N2 वायरस की दस्तक

इन्फ्लुएंजा वायरस, जो फ्लू के रूप में जानी जाने वाली संक्रामक बीमारी का कारण बनता है, चार अलग-अलग प्रकार के होते हैं: ए, बी, सी और डी । इन्फ्लुएंजा ए को अलग-अलग उप प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है और उनमें से एक H3N2 है । संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, H3N2 वाइरस 1968 की फ्लू महामारी का कारण बना  था जिसके कारण दुनिया भर में लगभग दस लाख लोगों की मौते हुई और अकले अमेरिका में लगभग 100,000 लोग मारे गए थे

नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि इस वायरस के विभिन्न प्रकार पिछले पांच दशकों में नाटकीय रूप से विकसित हुए हैं क्योंकि 1960 और 1970 के दशक के अंत में पैदा हुए लोग इससे बच्चों के रूप में संक्रमित हुए थे ।

H3N2 वाइरस के लक्षण क्या क्या हैं?

इस वाइरस के लक्षण सामान्य रूप से किसी भी अन्य फ्लू की तरह ही होते हैं । जिनमे खांसी, बुखार, शरीर में दर्द और सिरदर्द, गले में खराश, बहती या भरी हुई नाक और अत्यधिक थकान शामिल हैं । इसके अतिरिक्त जी मिचलाना, उल्टी और दस्त जैसे लक्षण बहुत कम मामलों में देखे गए हैं ।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अनुसार, H3N2 से होने वाला संक्रमण आमतौर पर पांच से सात दिनों तक रहता है और तीन दिनों के बाद बुखार उतरना शुरू हो जाता है । हालांकि, खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है ।

कौन सा आयु वर्ग अधिक असुरक्षित है?

आईएमए के मुताबिक, यह वायरस आमतौर पर 15 साल से कम या 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाता है । बच्चे और अस्थमा, मधुमेह, हृदय रोग, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और न्यूरोलॉजिकल या न्यूरोडेवलपमेंटल स्थितियों जैसी सह-रुग्णताओं वाले लोगों को इससे अधिक खतरा होता है ।

इसे फैलने से कैसे रोका जाए?

डॉक्टर्स के अनुसार H3N2 वाइरस के प्रसार को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है खाने से पहले हाथ धोना या अपने चेहरे, नाक या मुंह को छूना, पॉकेट सैनिटाइज़र साथ रखना, और पहले से ही वायरस या किसी अन्य मौसमी फ्लू से संक्रमित लोगों से बचना | ये कुछ ऐसे कदम हैं जो आपको सुनिश्चित रूप से बीमार पड़ने से बचा सकते हैं । इसके अलावा, एक स्वस्थ आहार जिसमें भरपूर मात्रा में फल और सब्जियां शामिल हों, वह भी प्रतिरक्षा में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है । बहुत सारे तरल पदार्थ पीने और घर का बना, कम मसाले वाला और कम वसा वाला भोजन खाने से भी आपको इससे बचाव मे मदद मिल सकती है ।

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