सोमवार, 20 मार्च 2023

अपना इष्टदेव कैसे चुने ?


आपके मन में विचार आता होगा कि बहुत से पूज्य देवों में से किसकी पूजा अर्चना करें ? अपना आराध्यदेव किसे चुनें ? आप अपने इष्टदेव को अपनी जन्मकुण्डली से आसानी से जान सकते हैं ।

इष्टदेव निर्धारण के सम्बन्ध में भी कई प्रकार के सिद्धान्त हैं । एक मत के अनुसार आत्मकारक ग्रह की पूजा करनी चाहिए । कुछ विद्वान् लग्न कुण्डली में पाँचवें और नवें भाव में स्थित ग्रहों में, जो भी बली है, उसकी पूजा करने का निर्देश देते हैं । एक मत यह भी है कि लग्न कुण्डली के केवल पाँचवें भाव में स्थित राशि के स्वामी को ही अपना आराध्य मानना चाहिए । निष्कर्षतः पंचमेश जन्मकुण्डली में किसी भी स्थिति में स्थित हो, उसे नमन करना चाहिए । इसी प्रकार नवमेश की उपासना भी आवश्यक है ।

विभिन्न लग्नों में पंचमेश और नवमेश तदनुसार आराध्य देव निम्नांकित तालिका में सुविधा की दृष्टि से दिए जा रहे हैं । इनके अनुरूप आप अपने इष्टदेव का निर्धारण कर सरलता से कर सकते हैं ।

लग्न - पंचमेश - पंचमेश के अनुसार पूजनीय देवता

मेष - सूर्य - भगवान् विष्णु, सूर्यदेव

वृषभ – बुध - भगवान् गणेश

मिथुन – शुक्र - माँ लक्ष्मी

कर्क – मंगल - हनूमान् जी, स्वामी कार्तिकेय

सिंह – गुरु - भगवान् विष्णु

कन्याशनि - हनूमान् जी एवं भैरव

तुला – शनि - हनूमान् जी एवं भैरव

वृश्चिक - गुरु - भगवान् विष्णु

धनु – मंगल - हनूमान् जी

मकर - बुध – श्री गणेश  

कुम्भ - बुध – श्री गणेश

मीन – चन्द्र – भगवती दुर्गा,पार्वती 

नवमेश - नवमेश के अनुसार पूजनीय देवता

मेष लग्न - गुरु - भगवान् विष्णु

वृष लग्न - शनि - भैरव एवं हनूमान् जी

मिथुन लग्न - शनि - हनूमान् जी एवं भैरव

कर्क लग्न - गुरु - भगवान् विष्णु

सिंह लग्न - मंगल - हनूमान् जी, स्वामी कार्तिकेय

कन्या लग्न - शुक्र - महालक्ष्मी

तुला लग्न - बुध - भगवान् गणेश

वृश्चिक लग्न - चन्द्रमा - माँ दुर्गा

धनु लग्न - सूर्य - भगवान् विष्णु, सूर्यदेव

मकर लग्न - बुध - भगवान् गणेश

कुम्भ लग्न - शुक्र - माँ लक्ष्मी

मीन लग्न - मंगल - हनूमान् जी, स्वामी कार्तिकेय

उदाहरण के लिए आपकी लग्न मिथुन है, तो आपको पंचमेश के अनुसार लक्ष्मी एवं नवमेश के अनुसार हनुमान जी एवं भैरव जी की उपासना करनी चाहिए ।

जन्मपत्रिका के अनुरूप आराध्यदेव की पूजा अर्चना और नमन करने से अवश्य ही लाभ होता हैं और संकट दूर होंते हैं

 

 

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