आपके मन में विचार आता होगा कि बहुत से पूज्य देवों में से किसकी पूजा अर्चना करें ? अपना आराध्यदेव किसे चुनें ? आप अपने इष्टदेव को अपनी जन्मकुण्डली से आसानी से जान सकते हैं ।
इष्टदेव
निर्धारण के सम्बन्ध में भी कई प्रकार के सिद्धान्त हैं । एक मत के अनुसार
आत्मकारक ग्रह की पूजा करनी चाहिए । कुछ विद्वान् लग्न कुण्डली में पाँचवें और
नवें भाव में स्थित ग्रहों में, जो भी बली है, उसकी
पूजा करने का निर्देश देते हैं । एक मत यह भी है कि लग्न कुण्डली के केवल पाँचवें
भाव में स्थित राशि के स्वामी को ही अपना आराध्य मानना चाहिए । निष्कर्षतः
पंचमेश जन्मकुण्डली में किसी भी स्थिति में स्थित हो, उसे
नमन करना चाहिए । इसी प्रकार नवमेश की उपासना भी आवश्यक है ।
विभिन्न लग्नों
में पंचमेश और नवमेश तदनुसार आराध्य देव निम्नांकित तालिका में सुविधा की दृष्टि
से दिए जा रहे हैं । इनके अनुरूप आप अपने इष्टदेव का निर्धारण कर सरलता से कर सकते
हैं ।
लग्न - पंचमेश - पंचमेश के
अनुसार पूजनीय देवता
मेष - सूर्य - भगवान् विष्णु,
सूर्यदेव
वृषभ – बुध
- भगवान्
गणेश
मिथुन – शुक्र - माँ लक्ष्मी
कर्क – मंगल - हनूमान् जी,
स्वामी कार्तिकेय
सिंह – गुरु - भगवान्
विष्णु
कन्या – शनि - हनूमान्
जी एवं भैरव
तुला – शनि - हनूमान् जी एवं
भैरव
वृश्चिक - गुरु - भगवान्
विष्णु
धनु – मंगल - हनूमान् जी
मकर - बुध – श्री गणेश
कुम्भ - बुध – श्री गणेश
मीन – चन्द्र – भगवती दुर्गा,पार्वती
नवमेश - नवमेश
के अनुसार पूजनीय देवता
मेष लग्न - गुरु - भगवान् विष्णु
वृष लग्न - शनि - भैरव एवं
हनूमान् जी
मिथुन लग्न - शनि - हनूमान् जी एवं
भैरव
कर्क लग्न - गुरु - भगवान् विष्णु
सिंह लग्न - मंगल - हनूमान् जी, स्वामी
कार्तिकेय
कन्या लग्न - शुक्र - महालक्ष्मी
तुला लग्न - बुध - भगवान् गणेश
वृश्चिक लग्न - चन्द्रमा - माँ दुर्गा
धनु लग्न - सूर्य - भगवान् विष्णु, सूर्यदेव
मकर लग्न - बुध - भगवान् गणेश
कुम्भ लग्न - शुक्र - माँ लक्ष्मी
मीन लग्न - मंगल - हनूमान् जी, स्वामी
कार्तिकेय
उदाहरण के लिए
आपकी लग्न मिथुन है, तो आपको पंचमेश के अनुसार लक्ष्मी एवं नवमेश के अनुसार हनुमान जी एवं भैरव जी की उपासना करनी
चाहिए ।
जन्मपत्रिका के
अनुरूप आराध्यदेव की पूजा अर्चना और नमन करने से अवश्य ही लाभ होता हैं और संकट दूर होंते हैं ।
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