शुक्रवार, 10 मार्च 2023

कमजोर चन्द्र के उपाय

ग्रहों में सबसे तीव्र गति से चलने वाला चन्द्रमा लग्न से द्वादश भाव तक अर्थात सभी राशियो की एक महीने में  परिक्रमा पूर्ण कर लेता है ! प्रत्येक राशि को पार करने में लगभग सवा दो दिन का समय लेता है ! चन्द्रमा सौम्य ग्रह है और इसकी सप्तम दृष्टि ही पूर्ण दृष्टि होती है ! चन्द्रमा किसी भी ग्रह या भाव पर कभी भी अशुभ दृष्टि नहीं डालता है ! सभी नक्षत्रों से इसकी अंतरग मित्रता है, वहीं रोहणी नक्षत्र इसका सबसे प्रिय नक्षत्र है !

रोहणी, हस्त, श्रवण नक्षत्रों एवं कर्क राशि का स्वामित्व इसके पास है ! चन्द्रमा कभी भी वक्री नहीं होता ! चन्द्रमा किसी भी भाव या नक्षत्र में स्थित होने पर पीड़ित नहीं होता ! चन्द्र मन, हृदय, बायां नेत्र, माता, जल, तरल पदार्थ एवं रक्त का कारक होता है ! शरीर मे अंगो मे इसका अधिकार हमारे सीने पर रहता है !

चन्द्रमा कब कमजोर होता है |

1 - चन्द्रमा जब 0 से 6 डिग्री, या 24 से 30 डिग्री का रहता है तब वह बहुत ही कमजोर रहता है !

2 - चन्द्रमा अमावस्या व पूर्णिमा तिथियों पर सूर्य से युति व दृष्टि से प्रभावित होने के कारण कमजोर व पीड़ित रहता है !

3 - कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि तक चन्द्रमा स्थितवश कमजोर होता है !

4 - शनि के साथ युति या शनि से तीसरे सातवें दशवें भाव में स्थित होने पर विष योग बनने के कारण पीड़ित हो जाता है !

5 - राहु के साथ युति अथवा सातवीं दृष्टि में होने पर ग्रहण दोष के कारण पीड़ित हो जाता है !

6 - चन्द्रमा दिन के समय भी सूर्य के प्रभाव के कारण पूर्ण प्रभाव देने में सक्षम नहीं होता !

7 - चन्द्रमा मिथुन व कन्या राशि में स्थित होने पर पीड़ित होता है !

8 - चद्रमा सप्तम भाव का स्वामी होकर सप्तम भाव में स्थित होने पर अच्छा फल नहीं देता है !

9 - चन्द्रमा चतुर्थ भाव का स्वामी होकर चतुर्ध भाव में ही स्थित होने पर शुभ फल देने में सक्षम नहीं होता !

10 - चंद्रमा वृश्चिक राशि में 3 डिग्री तक बुरा फल देता है, इसके बाद सामान्य अवस्था में होकर न अच्छा फल देता है न बुरा !

11 - चन्द्रमा केवल शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर राहु या केतु के साथ 10 डिग्री से कम दूरी पर रहकर युति करने पर ही ग्रहण दोष से ग्रसित होता है अन्य तिथियों पर नहीं !

12 - चतुर्थ और सप्तम भाव के अतिरिक्त चन्द्र अन्यत्र किसी भी भाव में होने पर बहुत अधिक प्रभावशाली होता है !

यदि चंद्रमा कमजोर या पीड़ित होता है तब निम्न रोग होने की सम्भावना रहती है |

मानसिक रोग, नेत्र रोग,पागलपन, अनिंद्रा, रक्त-विकार, मासिक धर्म, मूत्र कृच्छ,सर्दी - जुकाम, टी बी,अस्थमा, हृदय रोग, जल की अधिकता या कमी से संबंधित रोग, जल घात इत्यादि !

यदि कुण्डली में चंद्रमा पीड़ित या कमजोर है तब शुक्ल पक्ष के सोमवार के दिन चन्द्रोदय होने पर, चांदी की अंगूठी में असली प्राकृतिक मोती, चन्द्रमा के मंत्रोच्चार के बाद दाहिने हाथ की (महीलाओं को वांयी) कनिष्ठिका अंगुली में धारण करना चाहिए ! जब तक आपके पास मोती धारण करने की व्यवस्था नहीं है, तब तक आप चंद्रमा का मंत्र जाप कर सकते हैं,सफेद चंदन का तिलक लगा सकते हैं अथवा खिरनी पौधे की जड़ भी धारण कर सकते हैं !

चन्द्रमा का तांत्रिक मंत्र -

" ॐ श्रां  श्रीं  श्रौं  सः चन्द्रमसे नमः !"

पूर्णिमा की रात्रि को खीर बनाकर छत पर चंद्रमा की रोशनी में रख दें, ( उसे चलनी से ढक देना चाहिए ताकि कोई कीड़ा मकोड़ा उसमें ना गिर जाय, ) दूसरे दिन प्रातः उसको स्नान के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण करें !

चंद्रमा किसी भी ग्रह को शत्रु दृष्टि से नहीं देखता है ! बहुत कम ही देखा गया है कि चंद्रमा प्रबल होकर किसी प्रकार की  परेशानी करे परंतु फिर भी यदि ऐसा होता है तो चंद्रमा से संबंधित दान एवं उपाय करना चाहिए !

दान:-  सफेद-वस्त्र, दूध, चावलशंख, मोती, सफेद चंदन, मिश्री, खीर (सोमवार को माता के समान किसी स्त्री को दान करें) !

वैसे तो हमारे जीवन में नौ ग्रहों में सभी का अपना महत्व है परंतु ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से चंद्रमा का सबसे ज्यादा महत्व है ! हमारे जन्म कुंडली में चंद्रमा जिस राशि में विराजमान रहते हैं वही हमारी जन्म राशि भी होती है ! जन्म राशि के हिसाब से ही कई लोग अपना नाम रखते हैं एवं जन्म राशि के हिसाब से ही किसी भी शुभ कार्य के लिए  मुहूर्त देखा जाता है ! चंद्रमा एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य को छोड़कर बाकी सभी ग्रहों के दोष को ठीक कर सकता है !

"चंद्रमा को अष्टम भाव या द्वादश भाव का स्वामी होने का दोष नहीं लगता है" !

हमारा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि चंद्रमा चाहे किसी भी भाव का स्वामी हो पीड़ित या कमजोर नहीं रहना चाहिए !  जब किसी भी बच्चे का जन्म के समय में चंद्रमा कमजोर या पीड़ित रहता है तब बालारिष्ट योग का निर्माण होता है ! बालारिष्ट योग मे जन्मे बच्चों की जन्म से 12 वर्ष तक स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्या होने की बहुत अधिक सम्भावना रहती है ! कई कुण्डली में ऐसा देखा गया है कि स्वास्थ्य एवं आयु के अच्छे योग होने के बावजूद चंद्रमा के अधिक पीड़ित होने के कारण बच्चा अक्सर बीमार व कमजोर रहता है, यहाँ तक जन्म के कुछ महीने के बाद ही या कुछ दिनों के बाद ही ऐसे बच्चों की मृत्यु भी होना सम्भव रहता है  ! इसलिए जब भी बच्चे का जन्म होता है, उस समय उसकी कुण्डली में चंद्रमा की स्थिति अवश्य देखना चाहिए | यदि चंद्रमा पीड़ित है या कमजोर है तब मोती अवश्य धारण करवाना चाहिए !  इसमें कारक अकारक कुछ भी देखने की आवश्यकता नहीं रहती | बहुत से ऐसे लोग हैं जिनकी कुण्डली में चंद्रमा अष्टम या द्वादश भाव का स्वामी था परंतु पीड़ित होने के कारण ऐसे लोग मानसिक परेशानी से ग्रसित रहते थे !  ऐसे लोगों को मोती धारण करने  से अच्छा लाभ हुआ और उन्हें किसी प्रकार का कोई नुकसान भी नहीं हुआ !  ज्योतिष ग्रंथों में जो भी बातें लिखी हुई है हमें उसका अध्ययन करने के साथ-साथ अपने अनुभव के हिसाब से भी लोगों के जीवन में होने वाली समस्याओं को ठीक करने का प्रयत्न करना चाहिए ! 

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि चंद्रमा के पीड़ित होने के कारण व्यक्ति के मन में बुरे विचार उत्पन्न हो जाते हैं ! यदि किसी की कुण्डली में कोई बुरे विचार के योग बने हुए हैं और साथ साथ में चंद्रमा भी पीड़ित हो जाए तब यह योग और प्रबल हो जाता है ! कई बार ऐसा भी देखा गया कि यदि लग्नेश की स्थिति ठीक नहीं है और साथ में चंद्रमा भी पीड़ित हो गया हो तब ऐसे लोग आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगते हैं !

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