गृह आरंभ करने से पहले यह जरूरी है कि वास्तु पुरुष, गणेशजी तथा अन्य देवताओं की श्रद्धा के अनुसार पूजा की जाए ।
गृह आरंभ के लिए बहुत सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ।
प्रायः सभी ग्रंथों में ज्योतिष की बातों का ध्यान रखना जरूरी समझा गया है ।
जिसमें मास, राशियाँ तथा नक्षत्र आते हैं ।
वास्तुशास्त्र के अनुसार चैत्र (मार्च - अप्रैल) के महीने में मकान आरंभ
करना अच्छा नहीं होता,यह शोक तथा परेशानियाँ पैदा करता है ।
वैशाख (अप्रैल - मई) के महीने में गृह-आरंभ करना बहुत अच्छा
माना गया है । इससे उस घर में रहने वाले व्यक्तियों के लिए आर्थिक लाभ होता है तथा
सुख के लिहाज से शुभता प्राप्त होती हैं ।
ज्येष्ठ (मई - जून) के महीने में गृह आरंभ करना बहुत ही
अशुभ तथा मृत्युकारक होता है ।
इसी तरह आषाढ़ (जून – जुलाई) के महीने में भी गृह-आरंभ करना अशुभ होता है ।
अतः इस मास में भी गृह निर्माण
नहीं करवाना चाहिए |
सावन (जुलाई - अगस्त) के महीने में गृह-आरंभ करना धन के लिए बहुत शुभ होता है ।
भाद्रपद (अगस्त - सितंबर) मास में गृह-आरंभ करने से शुभ फल मिलते हैं और दरिद्रता
का नाश होता है तथा मित्रों का पूर्ण सहयोग मिलता है ।
आश्विन (सितंबर–अक्तूबर) मास में ग्रह आरंभ करने से पत्नी के लिए शुभ
नहीं होता,कलह व लड़ाई-झगड़ा होता रहता है ।
कार्तिक (अक्तूबर – नवंबर) मास में गृह-आरंभ करने से पुत्र, आरोग्य एवं धन की प्राप्ति होती है ।
मार्गशीर्ष (नवंबर – दिसंबर) मास में गृह-आरंभ करना शुभ होता है। इससे उत्तम भोज्य
पदार्थों की प्राप्ति होती है तथा धन के लिए भी यह शुभ फल का कारक है ।
पौष (दिसंबर – जनवरी) मास में गृह आरंभ करना अच्छा नहीं होता, इससे चोरों का भय सदा बना रहता है ।
माघ (जनवरी – फरवरी) मास में गृह आरंभ करने से घर में अग्नि के प्रकोप से कष्ट
तथा हानि होती है ।
फाल्गुन मास (फरवरी – मार्च) में गृह-आरंभ करना धन तथा सुख के लिए शुभ फल का
कारक है।
इस प्रकार देखे तो वैशाख
(अप्रैल - मई),श्रावण (जुलाई - अगस्त),भाद्रपद (अगस्त-सितम्बर),कार्तिक
(अक्टूबर-नवम्बर),मार्गशीर्ष (नवम्बर - दिसम्बर)
व फाल्गुन (फरवरी - मार्च) मास गृह आरंभ करने के लिए शुभ होते हैं |
राशि - विचार और गृह - आरंभ
विशेष महीनों में सूर्य विशेष राशियों में प्रवेश करता है
जिसका गृह निर्माण से बहुत गहरा रिश्ता है । नारद मुनि के कथन के अनुसार
मेष राशि (15 अप्रैल से 15 मई) में गृह आरंभ करना शुभ फल देता है और गृह पूरा
होने पर भी उसमें खुशी व शांति रहती है ।
वृष राशि (मई – जून) में गृह आरंभ करना आर्थिक उन्नति का कारक है ।
मिथुन राशि (जून - जुलाई) में गृह-आरंभ करना
मृत्युकारक है ।
कर्क राशि (जुलाई – अगस्त) में गृह आरंभ करना शुभ फल देता है और घर में खुशी रहती है ।
सिंह राशि में (अगस्त – सितंबर) गृह-आरंभ करने से सेवक यानि नौकरों में वृद्धि
होती हैं और जीवन सुखी रहता है ।
कन्या राशि में (सितंबर - अक्तूबर) गृह-आरंभ करना रोग का कारक होता है ।
तुला राशि में (अक्तूबर - नवम्बर) गृह आरंभ करना सुखकारक होता है ।
वृश्चिक राशि में (नवंबर – दिसंबर) यदि गृह आरंभ किया जाये तो इससे धन में वृद्दि होती हैं |
धनु राशि में (दिसंबर - जनवरी) गृह आरंभ करना अति नुकसानदायक होता है ।
मकर राशि में (जनवरी - फरवरी) भी गृह आरंभ करने से आर्थिक लाभ होता है ।
कुंभ राशि (फरवरी - मार्च) में गृह आरंभ करना अच्छा समझा गया है ।
मीन राशि में (मार्च – अप्रैल) यदि गृह आरंभ किया जाये तो वह घर भय या डर पैदा
करने वाला होता है ।
दिन और गृह का निर्माण
लगभग सभी वास्तुकारों के अनुसार सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार, ये
वार गृह आरंभ के लिए बहुत शुभ समझे गये हैं ।
रविवार और मंगलवार को गृह का आरंभ कभी नहीं करना चाहिए ।
इससे घर में रहने वालों के लिए हमेशा परेशानी रहती है तथा धन के लिए भी अच्छा फल
नहीं मिलता ।
एक अन्य बात पर ध्यान रखने की आवश्यकता है कि गृह हमेशा
शुक्ल पक्ष में आरंभ करना चाहिए । यदि कृष्ण पक्ष में गृह आरंभ किया जाये तो
चोर-डाकुओं का भय रहता है ।
नक्षत्र और गृह का निर्माण
नक्षत्रों के अनुसार अश्विनी, रोहणी, मृगशिर, पुष्य, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल,
उत्तराषाढ़, श्रवण,
उत्तरा भाद्रपद और रेवती, ये नक्षत्र गृह आरंभ के संबंध में शुभ समझे जाते हैं ।
ज्योतिष के लगभग सभी ग्रंथों में ईशान कोण को बहुत शुभ माना
गया है और गृह निर्माण के संबंध में जब बुनियादी ईंट या शिलान्यास का आरंभ किया
जाये तो यह जरूरी है कि नींव की खुदाई ईशान कोण से आरंभ करनी चाहिए । ईशान दिशा
में खुदाई शुरू की जाये तो ईशान हल्का हो जायेगा और नैऋत्य भारी हो जायेगा । इससे
ईशान व नैऋत्य दोनों दिशाओं का शुभ प्रभाव प्राप्त हो सकता है । वैसे भी ईशान एक
तरह का पुण्य का स्थान है,
अतः इस तरफ कोई बहुत भारी चीज नहीं
रखनी चाहिए और इसको पवित्र व साफ-सुथरा रखना बहुत जरूरी है ।
खुदाई के समय कहा है कि ईशान कोण से खुदाई शुरू करनी चाहिए
। इसी तरह नैऋत्य से वायव्य की ओर तथा आग्नेय से ईशान की ओर तथा वायव्य से ईशान की
ओर खुदाई की जानी चाहिए।
वास्तु के कुछ ग्रंथों में जिक्र आता है कि गृह बनाने में
पत्थर का प्रयोग नहीं करना चाहिए । पत्थर केवल राजमहल या मंदिरों के लिए ही शुभ है
किन्तु एक आम आदमी के घर के लिए पत्थर शुभ फल नहीं देता । पत्थर का प्रयोग केवल
मंदिर या धर्मस्थान या राजमहल में अच्छा रहता है ।
पूरे वर्ष भर में गृहारंभ और गृह प्रवेश के लिए पंचांग
देखने पर बहुत कम ही मुहूर्त मिल पाते हैं, ऐसे
में आप निम्नलिखित मुहूर्तों का सहारा ले सकते हैं ।
शुभ मास – शुभ तिथि – शुभ वार
वैशाख – 2,11 - सोमवार
श्रावण - 3,13 – बुधवार
मार्गशीर्ष - 5,15 – गुरुवार
पौष – 7 – शुक्रवार
फाल्गुन - 10 - शनि
शुभ नक्षत्र : अश्विनी,रोहिणी, शतभीषा, धनिष्ठा, उ.षा., मृगशिरा, पुनर्वसु,पुष्य,उ.फा, हस्त,चित्रा,स्वाति,अनुराधा, मूल, श्रवण ।
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