मंगलवार, 28 जून 2022

सुमिरत राम चरण चिह्न रेखा

 पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि गिद्दराज जटायु श्रीराम के पिता महाराज दशरथ जी के मित्र थे । वनवास के दौरान पंचवटी में भगवान् श्रीराम से उनकी भेंट हुई । भगवान् श्रीराम ने उन्हें पिता तुल्य मानकर बहुत आदर दिया । गिद्दराज ने कहा कि दोनों भाइयों की अनुपस्थिति में वे सीताजी की रक्षा करेंगे ।

'सीतां च तात रक्षिष्ये त्वयि याते सलक्ष्मणे।' (वा०रा० ३।१४।३४)

भगवान् श्रीराम नंगे पाँव वन में विचरते अनेक वर्ष पंचवटी में रहे थे । जटायु एक अत्यन्त ऊँचे महावृक्ष पर रहते थे । वन में जहाँ - तहाँ जो प्रभु - चरण प्रगटे थे, उनमें स्थित चरण - चिह्नों को जटायु आसानी से अच्छी तरह से हमेशा देखते थे क्योंकि गिद्दों की दृष्टि तीव्र और अपार होती है । गिद्दराज जटायु सदैव भगवान के चरण - चिह्नों का ध्यान करते थे । रावण के द्वारा घायल हो जाने से पीड़ा - ग्रस्त अवस्था में उनकी आँखें बन्द थीं, अतः पहले जो चरण - चिह्न देखे थे, उन्हीं का वे मन में स्मरण कर रहे थे । उन चरण चिह्नों के विषय में यहाँ कुछ विवेचन प्रस्तुत है |

श्री रामचरितमानस मे गोस्वामी तुलसीदास जी ने प्राय: पाँच ही चिह्नो का वर्णन किया हैं – ध्वज,वज्र,अंकुश,कमाल और उध्व्र रेखा |

महात्मा श्रीनाभादास जी ने 'भक्तमाल' में भगवान राके केवल २२ चिह्नों का उल्लेख किया है,महर्षि अगस्त्य के 'श्रीरघुनाथ – चरण – चिह्न - स्तोत्र' में केवल १८ चिह्नों (अम्बुज,अंकुश,यव,ध्वजा,चक्र,ऊर्ध्वरेखा,स्वस्तिक, अष्टकोण,वज्र,बिन्दु,त्रिकोण,धनुष,वस्त्र,मत्स्य,शंख,अर्धचन्द्र,गोपद और घट का वर्णन मिलता है । श्रीयामुनाचार्य जी ने सात चरणचिह्नों (शंख, चक्र, कल्पवृक्ष, ध्वजा, कमल, अंकुश और वज्र) का ही वर्णन किया है । महारामायण में ४८ चरण – चिह्नों का वर्णन किया गया है । भगवान श्रीराम जी के प्रत्येक चरण - कमल में २४ - २४ चिह्न हैं अर्थात् २४ चिह्न दक्षिण पदारविन्द में तथा २४ चिह्न वाम पदारविन्द में हैं । यह उल्लेखनीय है कि जो चिह्न श्रीरामजी के दक्षिण पदारविन्द में हैं, वे भगवती सीता के वाम पदारविन्द में हैं । इसी प्रकार जो चिह्न श्रीरामजी के वाम पदारविन्द में हैं, वे भगवती सीता के दक्षिण पदारविन्द में हैं ।

यह ध्यान देने योग्य हैं की इतने चिह्न भगवान के किसी और अवतार के स्वरूप मे नहीं हैं इन 48 चरण चिह्नो के संबंध मे जो श्लोक प्राप्त हैं उनका भाव अनुवाद इस प्रकार से हैं |

चित्त चेतन ध्यान करू नित चरण चिह्न श्री राम के |

पतितपावन मन लुभावन परम प्रिय अभिराम के॥

ऊर्ध्व रेखा, स्वस्ति, है वसुकोण, कमला, शर, हलम्।

शेष, मूशल, कमल, अम्बर, लखत ललित ललाम के॥

सौम्यरथ, पुनि बज्र, यव प्रिय देवतरु, अंकुश, ध्वजा ।

चक्र, क्रीट, सुचमर, सिंहासन, थकित छवि काम के॥

छत्र, पुनि यमदण्ड, माला, नर, सहित चौबीस हैं ।

श्रीरामभद्र पदाब्ज दक्षिण चिन्हप्रद हरिधाम के॥

सुभग सरयू धेनुपदक्षिति, घट पताका, दिव्य हैं ।

जम्बु फल, शंखार्ध शशि, षट कोण, जीवन जाम के॥

त्रिकोण, गदया, जीवविन्दु सुशक्ति अमृतसर, सही ।

त्रिवलि झष शशि पूर्ण,वीणा वंशि वनि घनश्याम के ||

धनु शरासन, चन्द्रिका, मनहरण हंस. विलोकिये ।

पावन दुख नसावन चिह्न पद श्रीवाम के॥

युगल चरणों  में सुशोभित चिह्न अड़तालिस भने ।

इन चरण बिनलगननिसदिन 'टहल' बिन बेकाम के॥

'महारामायण' तथा 'भक्तमाल' की वार्तिक प्रकाश टीका में इन चिह्नों के रंग, कार्य तथा महत्त्व की विस्तृत विवेचना की गयी है । अपनी - अपनी उपासना – पद्धति के अनुसार लोग भगवान के चरणारविन्द के चिह्नों का ध्यान कर श्रीराम की भक्ति का रसास्वादन करते हैं । इन चिह्नों का ध्यान करने से मन तथा हृदय पवित्र होते हैं और संसार सागर के भय, पीड़ा एवं क्लेश का नाश होता है।

भगवान् श्रीराम के दक्षिण चरणारविन्द के चिह्न

1) ऊर्ध्व रेखा - इसका रंग गुलाबी है । इसके अवतार सनक, सनन्दन, सनतकुमार और सनातन हैं । जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें महायोग की सिद्धि होती है और वे भवसागर से पार हो जाते हैं ।

2) स्वस्तिक - इसका रंग पीला है । इसके अवतार श्रीनारद जी हैं । यह मंगलकारक एवं कल्याणप्रद है । इस चिह्न का ध्यान करनेवालों को सदैव मंगल एवं कल्याण की प्राप्ति होती है ।

3) अष्टकोण – यह लाल और सफ़ेद रंग का हैं यह यंत्र हैं | इसके अवतार श्री कपिलदेव जी हैं | जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें अष्ट सिद्धियाँ सुलभ हो जाती हैं ।

4) श्री लक्ष्मी जी  - इनका रंग अरुण उदय काल की लालिमा के समान बहुत ही मनोहर है अवतार साक्षात लक्ष्मी जी ही हैं जो लोग इस चिन्ह का ध्यान करते हैं उन्हें ऐश्वर्या तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है |

5) हल - इसका रंग श्वेत है तथा अवतार बलराम जी का हल है यह विजय प्रदाता है जो लोग इसका ध्यान करते हैं उन्हें विमल विज्ञान एवं विजय की प्राप्ति होती है |

6) मुसल - इसका रंग धुए जैसा है जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं उनके शत्रु का नाश हो जाता है |

7) सर्प (शेष) - इसका रंग श्वेत है । इसके अवतार शेषनाग हैं । जो लोग इस चिह्न का ध्यान करते हैं, वे भगवान की भक्ति तथा शान्ति प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं |

8) शर (बाण) - इसका रंग सफेद, पीला, गुलाबी और हरा है । इसका अवतार बाण है । इसका ध्यान करने वालों के शत्रु नष्ट हो जाते हैं।

9) अम्बर (वस्त्र) - इसका रंग नीला और बिजली के रंग - जैसा है । इसके अवतार वराह भगवान् हैं । जो लोग इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उनके भय का नाश हो जाता है ।

10) कमल - इसका रंग लाल गुलाबी है । इसका अवतार विष्णु - कमल है । इसका ध्यान करने वाले के यश में वृद्धि होती है तथा उनका मन प्रसन्न रहता है ।

11) रथ - यह चार घोड़ों का है । रथका रंग अनेक प्रकार का होता है तथा घोड़ों का रंग सफेद है । इसका अवतार पुष्पक विमान है । जो व्यक्ति इसका ध्यान करते हैं, उन्हें विशेष पराक्रम की उपलब्धि होती है ।

12) वज्र - इसका रंग बिजली के रंग - जैसा है,इसका अवतार इन्द्र का वज्र है । जो लोग इसका ध्यान करते हैं, उनके पापों का क्षय होता है तथा बल की प्राप्ति होती है ।

13) यव - इसका रंग श्वेत है । अवतार कुबेर हैं । इससे समस्त यज्ञोंकी उत्पत्ति होती है । इसके ध्यान से मोक्ष मिलता है, पाप का नाश होता है । यह सिद्धि, विद्या, सुमति, सुगति और सम्पत्ति का निवास स्थान है ।

14) कल्पवृक्ष - इसका रंग हरा है । इसका अवतार कल्पवृक्ष है । जो व्यक्ति इसका ध्यान करता है, उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष प्राप्त होता है और सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं ।

15) अंकुश - इसका रंग श्याम हैं जो इसका ध्यान करता है, उसे दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है, संसार जनित मल का नाश होता है और मन पर नियन्त्रण सम्भव होता है ।

16) ध्वजा - इसका रंग लाल है । इसे विचित्र वर्ण का भी कहा जाता है । इसके ध्यान से विजय तथा कीर्ति की प्राप्ति होती है ।

17) मुकुट - इसका रंग सुनहला है । इसका अवतार दिव्य भूषण है । इसका ध्यान करने वालों को परम पद की प्राप्ति होती है ।

18) चक्र - इसका रंग तपाये हुए स्वर्ण - जैसा है । इसका अवतार सुदर्शन चक्र है । इसका ध्यान करने वाले के शत्रु नष्ट हो जाते हैं।

19) सिंहासन - इसका रंग सुनहला है । इसका अवतार श्रीराम का सिंहासन है । जो लोग इसका ध्यान करते हैं, उन्हें विजय एवं सम्मान की प्राप्ति होती है ।

20) यमदण्ड - इसका रंग कांसे के रंग के समान है । इसके अवतार धर्मराज हैं । इस चिह्न के ध्यान करने वालों को यम यातना नहीं होती और उन्हें निर्भयता प्राप्त होती है |

21) चामर - इसका रंग सफेद है,इसका अवतार श्रीहयग्रीव हैं । जो लोग इसका ध्यान करते हैं, उन्हें राज्य एवं धन की प्राप्ति होती है । ध्यान में निर्मलता आती है, विकार नष्ट होते हैं तथा चन्द्रमा की चन्द्रिका के समान प्रकाश का उदय होता है ।

22) छत्र - इसका रंग शुक्ल है । इसका अवतार कल्कि हैं । जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें राज्य एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है । दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों से उनकी रक्षा होती है और मन में दयाभाव आता है ।

23) नर (पुरुष) - इसका रंग गौर है । इसके अवतार दत्तात्रेय हैं । इसका ध्यान करने से भक्ति, शान्ति तथा सत्त्वगुणों की प्राप्ति होती है ।

24) जयमाला - यह बिजली के रंग का है अथवा इसको चित्र विचित्र भी कहा जाता हैं जो व्यक्ति इसका ध्यान् करते हैं उनकी भगवद विग्रह के शृंगार तथा उत्सव आदि मे प्रीति बढ़ती हैं |

भगवान श्री राम के वाम चरणारविंद के चिह्न

1) सरयू - इसका रंग श्वेत है । इसके अवतार विरजा - गंगा आदि हैं । जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उन्हें भगवान् श्रीरामकी भक्तिकी प्राप्ति होती है तथा कलिमूल का नाश होता है ।

2) गोपद - इसका रंग सफेद और लाल है। इसका अवतार कामधेनु है। जो प्राणी इस चिह्न का ध्यान करते हैं, वे पुण्य, भगवद्भक्ति तथा मुक्ति के अधिकारी होते हैं ।

3) पृथिवी - इसका रंग पीला और लाल है। इसका अवतार कमठ है । जो व्यक्ति इस चिह्न का ध्यान करते हैं, उनके मन में क्षमाभाव बढ़ता है ।

 4) कलश - यह सुनहला और श्याम रंगका है। इसे श्वेत भी कहा जाता है । इसका अवतार अमृत है इसका ध्यान करनेवालों को भक्ति, जीवन्मुक्ति तथा अमरता प्राप्त होती है ।

5) पताका - इसका रंग विचित्र है। इसके ध्यानसे मन पवित्र होता है । इस ध्वजा चिह्न से कलि का भय नष्ट होता है ।

6) जम्बूफल - इसका रंग श्याम है। इसके अवतार गरुड़ हैं। यह मंगलकारक होता है। इसका ध्यान करने वालों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्षकी प्राप्ति होती है।

7) अर्धचन्द्र - इसका रंग उजला है । इसके अवतार वामन भगवान् हैं । जो व्यक्ति इसका ध्यान करते हैं, उनके मनके दोष दूर होते हैं, त्रिविध ताप नष्ट होते हैं, प्रेमाभक्ति बढ़ती है और भक्ति, शान्ति एवं प्रकाश की प्राप्ति होती है ।

8) शंख – इसका रंग लाल और सफ़ेद हैं इसके अवतार हंस,वेद व शंख हैं इसका ध्यान करने से दम्भ, कपट एवं मायाजाल से छुटकारा मिलता है, विजय प्राप्त होती है और बुद्धिका विकास होता है । यह अनाहत - अनहद नाद का कारण है।

9) षट्कोण- इसका रंग श्वेत है, लाल भी कहा जाता है । इसके अवतार श्रीकार्तिकेय हैं। इसका जो ध्यान करते हैं, उनके षट्विकार-काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद एवं मत्सर का नाश होता है । यह यन्त्र रूप है । इसका ध्यान षट्सम्पत्ति - शम, दम, उपरति, तितिक्षा,श्रद्दा एवं समाधान प्रदाता हैं |

10) त्रिकोण - यह भी यंत्र रूप है इसका रंग लाल है इसके अवतार परशुराम जी और हयग्रीव है इसका ध्यान करने वालों को योग की प्राप्ति होती है |

11) गदा - इसका रंग श्याम है अवतार महाकाली और गदा है इसका ध्यान करने से विजय प्राप्त होती है तथा दुष्टों का नाश होता है |

12) जीवात्मा - इसका रंग प्रकाशमय है और अवतार जीव है इसका ध्यान शुद्धता बढ़ाने वाला होता है |

13) बिंदु - इसका रंग पीला तथा अवतार सूर्य एवं माया है इसका ध्यान करने वाले के वश में भगवान हो जाते हैं समस्त पुरुषार्थों की सिद्धि होती है और पाप नष्ट हो जाते हैं इसका स्थान अंगूठा है |

14) शक्ति - यह श्याम शीत रक्त वर्ण का होता है इसे लाल गुलाबी और पीला भी कहा जाता है इसके अवतार मूल प्रकृति शारदा महामाया है इसका ध्यान करने से श्री शोभा और संपत्ति की प्राप्ति होती है |

15) सुधा कुंड - इसका रंग सफेद एवं लाल है इसका ध्यान अमरता प्रदान करता है |

16) त्रिवली - यह तीन रंग का होता है हरा लाल और सफेद किसके अवतार श्री वामन है इसका चिन्ह वेद स्वरूप है जो व्यक्ति इसका ध्यान करते हैं वह कर्म उपासना और ज्ञान से संपन्न हो भक्ति रस का आस्वादन करने के अधिकारी होते हैं |

17) मीन - इसका रंग उजला एवं रुपहला होता इसका ध्यान सुखद होता है । यह काम की ध्वजा है, वशीकरण है । इसका ध्यान करनेवालेको भगवान के प्रेम की प्राप्ति होती है ।

18) पूर्णचन्द्र - इसका रंग पूर्णतः श्वेत है तथा अवतार चन्द्रमा है । इसका ध्यान करने से मोहरूपी तम तथा तीनों तापों का नाश होता है और मानसिक शान्ति, सरलता एवं प्रकाशकी वृद्धि होती है ।

19) वीणा - इसका रंग पीला, लाल तथा उजला है । इसके अवतार श्री नारद जी हैं । इसका ध्यान करने से राग-रागिनी में निपुणता आती है और भगवान के यशोगान में सफलता प्राप्त होती है ।

20) वंशी (वेणु ) - इसका रंग चित्र-विचित्र है और अवतार महानाद है । इसका ध्यान मधुर शब्दसे मनको मोहित करनेमें सफलता प्रदान करता है ।

21) धनुष - इसका रंग हरा-पीला और लाल है। इसके अवतार पिनाक और शार्ङ्ग हैं । इसका ध्यान मृत्युभय का निवारण करता है तथा शत्रु का नाश करता है ।

22) तूणीर – यह चित्र - विचित्र रंग का होता है और इसके अवतार श्रीपरशुराम जी हैं। इसके ध्यान से भगवान के प्रति सख्य रस बढ़ता है । ध्यान का फल सप्त भूमि - ज्ञान है ।

23) हंस – इसका रंग श्वेत और गुलाबी हैं अवताव हंस हैं इसके ध्यान से विवेक व ज्ञान बढ़ता हैं संत महात्माओ के लिए इसका ध्यान सुखद होता हैं |

24) चन्द्रिका - इसका रंग सफेद पीला और लाल है । इसका ध्यान कीर्ति बढ़ाने में सहायक होता हैं |

इस प्रकार भगवच्चरणारविन्द के सभी चिह्न मंगलकारी हैं। भक्त श्रीभारतेन्दु हरिश श्रीरामचन्द्रजीके इन्हीं ४८ चरण - चिह्नोंका वर्णन किया है और कहा है कि श्री चरण में जो चिह्न हैं, वे श्रीजानकीजी के बार्य और जो चिह्न श्रीरामजी के बायें श्रीजानकीजी के दायें चरण में हैं । इनकी महिमा का वर्णन करते हुए वे कहते हैं कि सब कुछ छोड़कर चरणचिह्नों का ध्यान करना चाहिये – भजू सब तजु' हरिचंद अब ।'

ये चिह्न समस्त विभूतियों, ऐश्वयं मुक्ति और भुक्तिके अक्षय कोष हैं । जिन प्राणियों को भगवान् श्रीराम के चरण कमाल चिह्नो का ध्यान व चिंतन प्रिय हैं उनका जीवन वस्तुत: धन्य,पुण्यमय,सफल और सार्थक हैं |

 

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