हमारे ज्योतिष
शास्त्र में विवाह अथवा
पाणिग्रहण संस्कार के लिए कुछ शुभ तिथियां बताई गई हैं,
जिनमें विवाह करने से भावी दांपत्य जीवन काफी सफल रहता है ।
प्रस्तुत इस लेख
में हमने यह बताने की कोशिश की है कि अलग-अलग तिथियो में विवाह करने से क्या प्रभाव मिलते हैं ।
1) प्रथमा - वर पक्ष के लिए कन्या दुखों को जन्म
देती हैं ।
2) द्वितीया - वर
को कन्या का भरपूर प्यार मिले, जीवन प्रेममय रहे |
3) तृतीया - कन्या
भाग्यवान हो ।
4) चतुर्थी – वर - वधू
के धन का नाश करना ।
5) पंचमी - दोनों
का जीवन मंगलमय हो ।
6) षष्ठी - विवाह
होते ही हर काम में रुकावटें आने लगे
|
7) सप्तमी - हर
प्रकार से सुख देने वाली कन्या की प्राप्ति हो ।
8) अष्टमी - किसी
भी प्रकार का फल न मिले ।
9) नवमी – दूल्हे को हर समय मातम
देने वाली दुल्हन मिलती हैं
।
10) दशमी - सुख देने
वाली दुल्हन, जिससे पूरे परिवार को सुख मिले ।
11) एकादशी - दुल्हन
के आने से पूरे परिवार में खुशियां आए ।
12) द्वादशी -
दुल्हन जो सभी सुखों को प्रदान करती है ।
13) त्रयोदशी - ऐसा
विवाह जिससे मान सम्मान बढ़ता है जिससे नाम कमाने वाले बच्चे पैदा होते हैं।
14) चतुर्दशी -
परिवार को कलंकित
करने वाला विवाह
होता हैं ।
15) पूर्णमासी - ऐसा
विवाह होना चाहिए जो हर प्रकार से सुख-समृद्धि प्रदान करे ।
16) अमावस्या - असफल
विवाह, या तो तलाक या दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाती हैं ।
इस प्रकार स्पष्ट रूप से कहा जा सकता हैं की विवाह के लिए द्वितीया,
तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी,
एकादशी, द्वादशी,त्रयोदशी और
पूर्णमासी को विवाह करना शुभ होता है |
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