सोमवार, 30 मई 2022

वात,पित्त और कफ



आयुर्वेद ने जीवन के अध्ययन को सरल बनाने के लिए मनुष्य को तीन दोषों यानि व्यक्तित्वों में बांटा हैं । अर्थात प्रत्येक व्यक्ति का निर्माण तीन व्यक्तित्वों के मिलने से होता है । इन तीन व्यक्तित्वों में एक व्यक्तित्व की प्रमुखता होती है एवं शेष दो प्रमुख व्यक्तित्व के सहायक की तरह काम करते हैं | इन तीन व्यक्तित्वों को वात,पित्त व कफ का नाम दिया गया हैं | अपने व्यक्तित्व को जानने के लिए हमें अपनी देह,भावनाओ व विचारो का ज्ञान होना आवशयक हैं जिसके लिए हमे अपने जीवन की किताब खोलकर उसका अध्ययन करना होता हैं जिसे वास्तव मे स्व अध्याय कहा जाता हैं |

तीन व्यक्तित्वों के गुण

वात व्यक्तित्व -

वात व्यक्तित्व वाले लोग प्रायः ही दुबले, पतले होते हैं । उनकी त्वचा शुष्क एवं ठंडी होती है । उनकी निद्रा गहरी एवं शांतिपूर्ण नहीं होती तथा सपनों से भरी होती है,उनकी भूख अनियमित होती है एवं पाचन शक्ति कमजोर होती है,उनके शरीर का भार घटता बढ़ता रहता है तथा ऐसे जातक ऊर्जावान नहीं होते इसी कारण से उनकी शारीरिक श्रम में रुचि नहीं होती |

वाव्यक्तित्व वाले लोग स्वभाव से शर्मीले होते हैं व्यग्र और चिंता में डूबे रहते हैं | उनका जीवन तनाव पूर्ण होता है, किन्तु वे सृजनशील होते हैं । यही कारण हैं की इस प्रकृति के लोगो की लेखक, कवि, चित्रकार, वैज्ञानिक, संगीतकार आदि बनने की पूर्ण संभावना रहती हैं |

असंतुलित वात

अगर किसी व्यक्ति मे वात असंतुलित हो जाये तो वह भय एवं व्यग्रता से भर उठता है । उसका रक्तचाप  कम हो जाता है, नींद कम हो जाती है व भूख कम लगती है । उसका वजन कम हो जाता है, ठंड लगती रहती है, एवं वह अपने को ऊर्जा विहीन महसूस करता है । उसकी दिनचर्या अस्तव्यस्त हो जाती है ।

वात को संतुलित कैसे करें ?

वात व्यक्तित्व वालों के लिए नियमित एवं तनाव रहित जीवन एक आवश्यकता है । पर्याप्त नींद लेना एवं दोपहर को आराम करना उनके लिए आवश्यक है । उन्हें ऐसा भोजन करना चाहिए जो गर्म एवं इस तरह हो की उसमे मीठे, खट्टे एवं नमकीन पदार्थो की अधिकता हो । हल्का व्यायाम, शांति देने वाले योगासन एवं प्राणायाम ऐसे लोगों के लिए लाभकारी हैं । 15 से 20 मिनट ध्यान (मेडिटेशन) इत्यादि करना अत्यधिक वात को संतुलित करता हैं |

इन लोगों को ऐसा कार्य करना चाहिए जो बहुत लम्बे समय तक न चलें एवं तनाव रहित हो किन्तु जिसमे उनकी सर्जनशीलता को अभिव्यक्ति मिल सके । जैसे जैसे व्यक्ति की आयू बढ़ती है उसका वात भी बढ़ता जाता है ।

पित्त व्यक्तित्व

पित्त व्यक्तित्व वाले लोग हट पुष्ट होते हैं । इनकी त्वचा में लालीपन और नमी होती है । देह में गर्माहट, चलने में स्थिरता तथा चुस्ती होती है । ये लोग गहरी नींद सोते हैं एवं ऊर्जावान होते हैं जिसके कारण उनको व्यायाम करने में आनंद आता है । इनको भूख अधिक लगती है तथा पाचन शक्ति अच्छी होती हैं |

पित्त व्यक्तित्व वाले लोग जो भी काम करते हैं उसमें जोश होता है एवं इसी कारण ये लोग कर्मशील, उत्साही, निर्णय लेने वाले होते हैं एवं प्रत्येक क्षेत्र में लीडर बन जाते हैं । इन्ही गुणों के कारण ये समाज, व्यवसाय एवं राजनीति के क्षेत्रों में शीर्ष पर पहुँचते हैं और नए रास्तो को बनाते चलते हैं ।

असंतुलित पित्त

असन्तुलित पित्त वाला व्यक्ति बेचैन रहता है एवं बात बात पर क्रोधित हो उठता है । उसके शरीर पर लाल चकते उभर आते हैं और पेट में पित्त अधिक बढ़ जाने के कारण छाती में जलन रहती है । ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और वह अनिद्रा का शिकार हो जाता है । किसी से मामूली अनबन होते ही वह प्रतिशोध की भावना से भर उठता है । यदि लम्बे समय तक पित्त असंतुलित दशा में चलता है तो डिप्रेशन का कारण बन जाता है ।

पित्त को संतुलित कैसे करें ?

असंतुलित पित्त को संतुलित करने के लिए व्यक्ति को पूरी नींद लेनी चाहिए । उसकी दिनचर्या में तनाव कम होना चाहिए और दूसरों से वाद - विवाद जहां तक हो सके न हो तो बेहतर रहता है । इन्हे अधिक खट्टे और मिर्च वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए । चित को शांत रखने के लिए ठन्डे पदार्थ जो मीठे, कसैले या तिक्त स्वाद वाले हों का सेवन करना इनके लिए लाभकारी रहता है । नियमित व्यायाम, शांति प्रदान करने वाले योग आसन तथा ध्यान (मैडिटेशन) असंतुलित पित्त को संतुलित करते हैं । इन्हे ऐसे कार्य करने चाहिए जिनमें उनकी नेतृत्व क्षमता, कर्मशीलता तथा निर्णय लेने की शक्ति का उपयोग हो सके । कफ प्रकृति वालों से मित्रता करना प्रकृति के व्यक्तियों को सदैव लाभदायक रहता हैं ।

कफ व्यक्तित्व

कफ व्यक्तित्व वाले व्यक्तिओ का शरीर भरा होता है और उनके चलने और बोलने में मधुरता एवं शिष्टता का आभास होता है । उनकी त्वचा, बाल और आँखों में उज्जवलता और चमक होती है । ये लोग गहरी और कम सपनों वाली नींद सोते हैं । ये लोग खाने के शौकीन होते हैं किन्तु उनका पाचन कमजोर होता है । खाने में रूचि होने के कारण उनका वज़न जल्दी बढ़ता है और उसको कम करना मुश्किल हो जाता हैं यद्यपि उनकी –स्मृति तीव्र नहीं होती किन्तु एक बार यदि बात याद हो जाये तो आसानी से नहीं भूलती । अपने मधुर एवं शांत स्वभाव के कारण वे लोग सदा दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं । प्रायः ही शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में इनका प्रचुर योगदान रहता हैं ।

इनकी निर्णय लेने की क्षमता धीमी होती हैं किन्तु एक बार निर्णय ले लेने के पश्चात् ये उस पर अटल रहते हैं । कफ प्रकृति के व्यक्ति अच्छे अनुयायी होते हैं और किसी सन्देश या संस्था को लम्बे समय तक जीवित रखने में सक्षम होते हैं ।

कफ व्यक्तित्व वाले लोगों में मित्र बनाने की सहज क्षमता होती है एवं उनके प्रगाढ़ सम्बन्ध लम्बे समय तक चलते हैं । जीवन साथी के रूप में कफ व्यक्तित्व वाले लोग सबसे उपयुक्त रहते हैं ।

असंतुलित कफ

असंतुलित कफ वाले व्यक्ति के शरीर मे पानी भरना शुरू हो सकता है जिससे शरीर में सूजन आ जाती है तथा वजन बढ़ जाता है,परिणाम स्वरुप ये ऊर्जा हीन हो जाते हैं । उनको जीवन नीरस लगने लगता है एवं वे निष्क्रिय हो जाते हैं । वे ज्यादा सोना शुरू कर देते हैं और डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं ।

कफ को संतुलित कैसे करें

कफ वाले व्यक्तित्व को संतुलित करने का सर्वोत्तम उपाय है शारीरिक एवं मानसिक रूप से सक्रिय रहना । उनको अपनी दिनचर्या को इस प्रकार से ढालना चाहिए की मन और देह चुस्त रहें एवं ऊर्जा से भरे रहें । उन्हें नियमित रूप से भारी व्यायाम करना चाहिए । यदि वे रात में कम सोएं तो अच्छा है,उनका भोजन हल्का, मात्रा में कम एवं पौष्टिक होना चाहिए ताकि शरीर में भारीपन एवं सुस्ती ना आ पाये | भोजन यदि सूखा एवं गर्म हो तो और भी अच्छा है उन्हें मीठे एवं खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए अन्यथा उनका वजन बढ़ सकता है,कफ प्रकृति वालों के लिए बैठ कर काम करने वाला कार्य उपयुक्त नहीं होता उन्हें ऐसा काम करने की कोशिश करनी चाहिए जिसमें कि देह और मन सक्रिय रहे,यह लोग रात की शिफ्ट में आसानी से काम कर सकते हैं |

अपने व्यक्तित्व के इन रूपों को जानना जीवन की पुस्तक पढ़ने के समान है जीवन की यह पुस्तक सर्वश्रेष्ठ और सबसे सुंदर है और इसे पढ़ना ही वास्तविक स्व अध्याय है इस स्वाध्याय से आत्मज्ञान होता है एवं संतुलित जीवन जीने का मार्गदर्शन मिलता है जीवन का एक आधार मिलता है एवं जीवन की इमारत ऊंची बनती जाती है संभवत इसी कारण से ही भारतीय मनीषियों ने आयुर्वेद का आविष्कार एवं विकास किया ताकि व्यक्तित्व एवं सफल होकर को प्राप्त कर सके |

 

 

 

 

 

 

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