1)प्रातः काल हर रोज जल से दांत साफ करने से मंगल का उत्तम फल होगा |
2)वट अथवा बरगद के वृक्ष को
मीठा दूध (दूध में चीनी मिलाकर) डाले, वृक्ष के नीचे
की दुध से भीगी मिट्टी का तिलक करें (पेट की खराबियों को दूर करने के लिए)
3)आग की घटनाओं
के समय चीनी की खाली बोरियां मकान या दुकान फैन्ट्री की छत पर रखे ।
4)फोड़े-फुन्सी
निकलते रहते हो तो देसी चीनी (शक्कर) फोड़े-कुन्नी के मुह पर लगाये |
5)मिट्टी का बर्तन शहद से भरकर बाहर शमशान में दबाये (निःसंतान होने
के समय या स्त्री-संतान को कष्ट के समय))
6)चांदी का चौरस टुकडा हमेशा अपने पास रखें ॥
7)मकान का कोई
भी दरवाजा दक्षिण दिशा में हो तो लोहे से कील देवे ।
8)काले-काने
निःसंतान, अंगहीन, गंजे व्यक्ति से
दूर रहे ।
9) मंगल के
मित्र ग्रहों (बृहस्पति, सूर्य और चन्द्र) को कायम करे ।
बृहस्पति - सोना,
बुजुर्ग, साधु, पुखराज आदि |
चन्द्र - कुंआ,
घोड़ा, चांदी, मोती, आदि
|
10)
चिड़े-चिडियों को मीठा देवे |
11) हाथी दांत
पास रखें शुभ फल होगा (जब राहु तृतीय भाव में न हो)
12) चांदी का
कड़ा बिना जोड़ तांबे की
कील लगवा कर
पहने (पुरुषों के लिये)
13) चांदी की
चूड़ी बिना जोड़ लाल रंग करके बायें हाथ में पहने (स्त्रियों के लिये ।
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