प्रत्येक युवक - युवती का सपना होता है कि उसे सर्वश्रेष्ठ जीवनसाथी मिले । इसके लिए विवाह की उम्र होते ही माता - पिता अपने बच्चो के वर अथवा वधू की तलाश शुरू कर देते है, परन्तु बहुत प्रयास करने के बाद भी विवाह होने में कई अड़चनें आती रहती हैं । इन विवाह अड़चनों को दूर करने हेतु अनेको उपाय करने के बाद भी कुछ जातको का विवाह नहीं हो पाता है जिससे पूरा जीवन बिना जीवनसाथी के गुजारना पड़ता है ।
जन्मपत्रिका में
ऐसे कौन से योग होते हैं, जिनके कारण जातक उपाय करवाने के बाद भी
अविवाहित रह जाता है । ऐसे ही कुछ योगो
को यहां दिया
जा रहा है ।
1. सप्तम भाव
में शुक्र स्वराशि का हो
और उस पर पाप ग्रह की दृष्टि हो, तो
विवाह नहीं होता हैं ।
2. सप्तम भाव
में राहु हो तथा उस पर
पापग्रह का प्रभाव होतो विवाह नहीं होता और यदि विवाह हो भी जाए, तो
जीवनसाथी की मृत्यु/विच्छेद होने की संभावना रहती है ।
3. प्रथम,
सप्तम, द्वादश भाव में पापग्रह तथा पापग्रह की
राशि में क्षीण चन्द्रमा पंचम भाव में हो, तो जातक
अविवाहित रहता है । (क्षीण चन्द्रमा कृष्णपक्ष की पंचमी से शुक्लपक्ष की पंचमी के
मध्य होता है)
4. पंचम,
सप्तम अथवा नवम भाव में मंगल -
शुक्र की युति विवाह में अवरोधक होती है ।
5. यदि
जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और शुक्र साथ में स्थित हों और उनसे सप्तम भाव में शनि -
मंगल की युति हो, तो विवाह में
अड़चन आती है । ऐसा जातक स्वयं ही संबंध को नकारता रहता है
।
6. यदि मकर लग्न
हो, लग्नेश शनि सप्तम भाव में हो,सप्तमेश
चन्द्रमा बारहवे भाव
में स्थित हो, तो अविवाहित योग बनता है ।
7. शुक्र, बुध की सप्तम
भाव में युति विवाह सुख प्रदान नहीं करती ।
8. सप्तम भाव
में स्थित मंगल विवाह विच्छेद प्रदान करता है । इस पर शनि की दृष्टि एक से अधिक
विवाह का योग भी प्रदान
करती है ।
9. सप्तम भाव
बली हो, शुभ
ग्रह की दृष्टि हो, परन्तु
अगर भोग भाव (द्वादश भाव) निर्बल हो, शत्रु ग्रह स्थित हों, तो विवाह होने
में परेशानी आती है ।
10. लग्नेश नीच
का हो तथा नवांश में शत्रु राशि में स्थित हो, तो
विवाह नहीं होता अथवा स्त्री छोड़कर चली जाती है |
11. चन्द्रमा और
शुक्र पापयुक्त हो, तो स्त्री सुख में कमी करता है ।
12. सप्तम भाव
पापयुक्त हो एवं एक से अधिक ग्रह की दृष्टि हो, तो
स्त्री प्राप्ति में व्यवधान आता है।
13. सप्तम भाव
में चन्द्रमा हो, सप्तमेश व्यय स्थान में हो
तथा स्त्रीकारक ग्रह शुक्र निर्बल हो, तो विवाह सुख
प्राप्त नहीं होता ।
14. सप्तम भाव
में पापग्रह हों एवं सप्तमेश निर्बल हो, तो स्त्री सुख
में कमी प्रदान करता है ।
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