शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

प्रसिद्दि दिलाते कुछ ज्योतिषीय योग

 

कमल योग - यह योतब बनता है जब समस्त शुभ एवं ने अशुभ ग्रह केवल केन्द्रीय भावों यानी कुण्डली के प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव में हों । इस योग में जन्म लेने वाला जातक यशस्वी, धन-सम्पत्ति से परिपूर्ण, सलाहकार या अधिकारी होता है ।

मुसल योग - जन्मकुण्डली में जब समस्त ग्रह स्थिर राशियो अर्थात वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि में हो, तो मूसल योग बनता है । इस योग में जन्म लेने वाला जातक ज्ञानी, धनी, प्रसिद्धि पाने वाला और उच्चाधिकारी हो सकता है ।

यूप योग - जन्म लग्न से लगातार चार स्थानों में सभी ग्रह स्थिति हो, तो यूप योग बनता है । यह योग राजनीतिक के क्षेत्र में जातक को अनेक प्रकार के लाभ दे सकता है ।

नल योग - जन्म कुण्डली में जब समस्त ग्रह द्वि-स्वभाव राशियों में स्थित हो तो नल योग बनता है । इस योग में जन्मा जातक अति चतुर - धन संग्रह करनेवाला, राजनीतिक में दक्ष और चुनावों में सफलता प्राप्त करने वाला होता है ।

माला योग - बुध गुरू और शुक यदि चतुर्थ, सप्तम, और दशम भाव में हो, तो माला योग बनता है । इस योग में जन्मा जातक धनी, वस्त्रआभूषण से परिपूर्ण, सुखी एवं राजनीति के क्षेत्र में उंचे ओहदे पर विराजमान होता हैं ।

चक्र योग - लग्न से प्रारंभ कर एकांतर में छह स्थानों में यानी प्रथम, तृतीय, पंचम, सप्तम, नवम और एकादश भाव में सभी ग्रह स्थित हो, तो यह योग बनता है । इस योग का जातक सर्वोच्च पदों पर जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गवर्नर आदि तक पहुंचता है ।

छत्र योग - जन्म कुण्डली में जब सप्तम भाव से आगे के सात स्थानों में समस्त ग्रह हों तो छत्र योग बनता है । इस योग का जातक लोकप्रिय, अपने कार्य के प्रति ईमानदार और उच्च पद प्राप्त करता हैं |

श्रीनाथ योग - सप्तमेश दशम भाव में हो और दशमेश नवम भाव से युक्त हो तो श्रीनाथ योग बनता है । इस योग का जातक आकर्षक, ईश्वर का भक्त होता है और राजनीति के क्षेत्र में सफल रहता है ।

अधि योग - चन्द्रमा से षष्ठम, सप्तम व अष्टम भाव में यदि सभी ग्रह हों और उन पर पाप ग्रहों की दृष्टि या युति न हो, तो अधियोग बनता है । इस योग का जातक अध्ययनशील व तीव्र बुद्धि का होता है । राजनीति के क्षेत्र में या सेना में उच्च पदों तक पहुंचता है ।

लग्नाधि योग - लग्न से षष्ठम सप्तम व अष्टम भाव में यदि शुभ ग्रह हो और उन पर पाप ग्रहों की दृष्टि या पाप युति न हो, तो यह योग बनता है । इस योग का जातक महान विद्वान, सुख व ऐश्वर्य से युक्त होता है । राजनीति में वह अच्छी सफलता प्राप्त करता है ।

लक्ष्मी योग - यदि लग्नेश बलवान हो और भाग्येश अपने त्रिकोण में उच्च का या स्वराशि में स्थित होकर केन्द्रस्थ हो, मूल तो. लक्ष्मी योग बनता है । इस योग का जातक पराक्रमी धनी, यशस्वी, गुणी व निरोग रहकर राजपद पाता है ।

काहल योग - यदि लग्नेश बली हो, सुखेश और गुरु परस्पर केन्द्रगत हों या सुखेश और दशमेश एक साथ उच्च का या स्वराशि में हो, तो काहल योग बनता है । इस योग का जातक बली, साहसी, उन्नत जीवन जीने वाला, अच्छा वक्ता, प्रोफेसर आदि बनता है ।

पर्वत योग - यदि सप्तम व अष्टम भाव में कोई ग्रह नहीं हो और समस्त शुभ ग्रह केन्द्र में हो तो पर्वत योग बनता है । इस योग का जन्म जातक भाग्यवान, प्राध्यापक, यशस्वी लेखक, वक्ता और स्थिर काम करने वाला होता है ।

शंख योग - यदि लग्नेश बली हो या पंचमेश तथा षष्ठेश परस्पर केन्द्र में हो या भाग्येश बली हो तथा लग्नेश और दशमेश चर राशि में हो, तो शंख योग बनता है । इस योग का जन्मा जातक दयालु, बुद्धिमान, धर्मात्म और दीर्घायु होता है |

चामर योग - लग्नेश अपने उच्च में होकर केन्द्र में हो और उस पर गुरू की दृष्टि हो या शुभ ग्रह सप्तमेश, नवम और दशम भाव में हो, तो चामर योग बनता है । इस योग का जातक कुशल वक्ता व कलाकार होता है । अतः अभिनय के क्षेत्र में सफल रहता हैं |

दाम योग - जन्म कुण्डली में यदि समस्त ग्रह किन्ही भी छह राशियों में हो, तो दाम योग बनता है । इस योग का जातक परोपकारी ऐवर्श्यवान एवं प्रसिद्ध होता है |

कुसुम योग - स्थिर राशि लग्न में शुक केन्द्र में तथा चन्द्रमा में त्रिकोण में शुभ ग्रहों से युक्त हो और शनि दशम भाव में स्थित हो तो कुसुम योग बनता है । इस योग का जातक सुखी, विद्वान, प्रभावशाली राजनीतिज्ञ होता है ।

महाराज योग - लग्नेश पंचम में और पंचमेश लग्न में हो आत्मकारक और पुत्रकारक दोनों लग्न या पंचम में होकर अपने उच्च के नवांश या राशि में शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो महाराज योग बनता है । इस योग का जातक कोई न कोई राजपद पाता है |

 

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