रविवार, 30 मार्च 2025

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2025 - नववर्ष प्रवेश लग्न

29 मार्च, 2025 को 16:28 बजे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ नव संवत्सर का आरम्भ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र एवं ब्रह्मयोग में और सिंह लग्न (दिल्ली के अक्षांश-रेखांश पर) में होगा । लग्नेश सूर्य अष्टम भाव में चन्द्रमा, बुध, शुक्र और राहु के साथ मिलकर पंचग्रही युति बना रहा है,जो कि शुभ नहीं कहा जा सकता । यह एक ओर जहाँ राजनीतिक अस्थिरता एवं कानून व्यवस्था के सम्बन्ध में अशुभ फलों का संकेत दे रहा है,वहीं दूसरी ओर अनुसंधान,विज्ञान एवं तकनीकी तथा अन्तरिक्षीय अनुसंधान के क्षेत्र में बेहतर फल प्राप्ति का योग भी बना रहा है ।

आयेश - धनेश बुध की अष्टम भाव में अस्तंगत स्थिति काले धन की अर्थव्यवस्था में वृद्धि का संकेत दे रही है, तो वहीं देश की आर्थिक विकास दर एवं प्रतिव्यक्ति आय में अपेक्षानुरूप वृद्दि ना होने के संकेत भी दे रही हैं |

इस प्रकार अर्थव्यवस्था की दृष्टि से अच्छे संकेत नहीं मिल रहे हैं । इस अवधि में विदेशी व्यापार में भी उतार-चढाव देखने को मिल सकते हैं । अन्तरराष्ट्रीय परिदृश्य में बदलाव के चलते भी अर्थ व्यवस्था प्रभावित हो सकती है । इस वर्ष शेयर मार्केट में भी अधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं । महँगाई में वृद्धि भी वर्ष पर्यन्त रहने की सम्भावना है, तो वहीं भ्रष्टाचार आदि में भी वृद्धि देखने को मिल सकती है ।

तृतीयेश-दशमेश शुक्र का लग्नेश सूर्य के साथ युति सम्बन्ध अच्छा माना जाता है, परन्तु यह युति सम्बन्ध अष्टम भावगत होने से तथा शुक्र के अस्तंगत होने से इसके अपेक्षानुरूप प्रतिफलों की प्राप्ति होना कठिन ही है । सरकार की पहल करने की क्षमता उसके साहस एवं निर्णय लेने की क्षमता में कमी देखने को मिल सकती है |सरकार से अपेक्षानुरूप शासन-प्रशासन नहीं होने से भी व्यवस्थाएँ असंतुलित हो सकती है ।

अष्टम भाव में पंचग्रही युति के चलते सीमाओं पर तनाव एवं घुसपैठ की घटनाएँ देखने को मिल सकती हैं | सप्तम भाव में कुम्भ राशि और उसमें शनि की उपस्थिति पड़ोसी देशों के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाए रखने में बाधक दिखाई दे रही है ।

चतुर्थेश मंगल की एकादश भाव में उपस्थिति रिअल सेक्टर के लिए कुछ अच्छा संकेत माना जा सकता है । इस सेक्टर में तेजी देखने को मिल सकती है । साथ ही, प्रॉपर्टी की कीमतों में भी वृद्धि दिखाई दे सकती है । बिजली एवं अन्य आधारभूत संरचनाओं में यह सुदृढ़ता का भी संकेत है | दशम भाव में गुरु की उपस्थिति सरकार की लोककल्याणकारी नीतियों में वृद्धि का संकेत भी कर रही है।

अष्टम भाव में पंचग्रही युति प्राकृतिक आपदाओं का भी संकेत कर रही है । इसके अतिरिक्त सरकार को सीमाओं पर ध्यान रखने की भी चेतावनी दे रही है । साथ ही, कानून और व्यवस्था के समक्ष बड़ी चुनौतियों तथा साइबर क्राइम में वृद्धि, सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि तथा नशा एवं मादक द्रव्यों की तस्करी और सीमापार से अपराधों में वृद्धि देखने को मिल सकती है ।

कुलमिलाकर नवसंवत्सर की यह कुण्डली राजनीति, अर्थव्यवस्था, महँगाई, कानून और व्यवस्था तथा सीमा के सम्बन्ध में चेतावनी दे रही है, तो वहीं आधारभूत संरचना एवं लोककल्याणकारी नीतियों के सम्बन्ध अच्छा संकेत दे रही है । 

भारतीय नववर्ष - विक्रम संवत 2082


30 मार्च, 2025 को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से विक्रम संवत् 2082 का शुभारम्भ हो रहा है । वर्षारम्भ में गुरुमान से सिद्धार्थ' नामक संवत्सर है वर्ष-प्रबोध' आदि ग्रन्थों के अनुसार सिद्धार्थ संवत्सर में प्रजा ज्ञान और वैराग्य से युक्त होती है तथा सम्पूर्ण पृथ्वी पर अधिक उपज एवं वर्षा होती है |

सिद्धार्थवत्सरेभूयोज्ञानवैराग्ययुक्प्रजाः ।

सकलावसुधाभातिबहुसस्यार्घवृष्टिभिः ।।

संवत्सर संहिता नामक ग्रन्थ के अनुसार –

तो पूर्णाः भवेन्मेघो बहुसस्या च मेदिनी ।

सुखिन: पार्थिवाः सर्वे सिद्धार्थे वरवर्णिनि ।।

सिद्धार्थ संवत्सर में अच्छी वर्षा, अच्छी फसल और शासन की स्थिरता बनी रहती है

संवत् 2082 की ग्रहपरिषद् में राजा का पद सूर्य को प्राप्त हुआ है । राजा के अलावा सूर्य मन्त्री और मेघेश भी है । बुध सस्येश और नीरसेश, चन्द्रमा धान्येश, शुक्र रसेश, शनि फलेश और दुर्गेश तथा मंगल धनेश के पद पर रहेंगे

1. राजा सूर्य का फल: विक्रम संवत् 2082 का राजा सूर्य है । सूर्य राजा होने से फलों के उत्पादन में कमी, वर्षा एवं जल की कमी तथा गाय एवं प्रजाजन को पीड़ा होती है । साथ ही खाद्यान्न की कमी, वृक्षों से कम फलों की प्राप्ति, चोरी आदि अपराधों की अधिकता, अग्निकाण्ड जैसी बाधाएँ तथा सत्तापक्ष के लिए अशुभ फलों की प्राप्ति होती है सूर्ये नृपे स्वल्पफलाश्च मेघाः स्वल्पं पयो गोषु जनेषु पीडा ।

स्वल्पं सुधान्यं फलमल्पवृक्षाश्चौराग्निर्बाधा निधनं नृपाणाम्।।

संवत्सर संहिता के अनुसार सूर्य यदि संवत् का राजा हो, तो उस वर्ष कृषि उपज एवं अन्य उत्पादन कम होते हैं। समय पर बारिश नहीं होने से फसलों का नाश होता है तस्करों, चारों पाखण्डियों, अपराधियों और लुटेरों का प्रभाव बढ़ता है । रोगों का प्रसार, अग्निकाण्ड, शस्त्रास्त्रों का खुलेआम उपयोग, शासक दलों में मतभेद उत्पन्न होते हैं । इस अवधि में जंगलों में आग की आशंका रहती है । शिशिर ऋतु में कम सर्दी तथा साल में अधिक गर्मी होती है । जंगली जानवरों, या रैंगने वाले जीवों का इंसानी बस्तियों में प्रवेश अधिक होता है । सदाचारी लोगों को कष्ट, पशुओं की हानि आदि फल भी प्राप्त होते हैं

तीक्ष्णोऽर्कः स्वल्पसस्यश्च गतमेद्योऽतितस्करः।

बहुरोगव्याधिगणो भास्कराब्दो रणाकुलः।।

2. मन्त्री सूर्य का फल: इस वर्ष मन्त्री का पद भी सूर्य को प्राप्त हुआ है । वर्षप्रबोध के अनुसार सूर्य यदि मन्त्री हो, तो राजा, रोग और अपराधियों का भय बढ़ता है । पृथ्वी पर धन और धान्य की अधिकता होती है तथा तरल पदार्थों (गुड़-चीनी आदि) का संग्रह अधिक होता है और महँगाई बढ़ती है |

नृपभयं गदतोऽपि हि तस्करात्प्रचुर धान्यधनादि महीतले ।

रसचयं हि समर्घतमं तदा रविरमात्यपदं हि समागतः ।

राजा और मंत्री पद दोनों सूर्य को प्राप्त होने से अशुभ फलों की अधिकता होती है

3. सस्येश बुध का फल: इस वर्ष बुध सस्येश है, जिसके फलस्वरूप खरीफ की फसलों के लिए अच्छी बारिश होती है, सुख-समृद्धि होती है तथा उपद्रव नहीं होते । साथ ही ब्राह्मणगण वेद-पाठ करते हैं-

जलधरा जलराशिमुचो भृशं सुख-समृद्धि निरुपद्रवम्।

द्विजगणा: स्तुति पाठरता: सदा प्रथमसस्यपतौ सति बोधने ।।

4. धान्येश चन्द्रमा का फल चन्द्रमा इस वर्ष धान्येश है, फलत: इस वर्ष रबी की फसलों में अधिक उत्पादन होने, गेहूँ, सरसों और गाय के दूध के उत्पादन में वृद्धि होने की सम्भावना रहेगी

चन्द्रेधान्याधिपेजातेप्रजावृद्धिः प्रजायते ।

गोधूमाः सर्षपाश्चैवगोषुक्षीरं तदाबहु ।

5. मेघेश सूर्य का फल: इस वर्ष मेघेश का पद भी सूर्य को ही प्राप्त हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप इस वर्ष वर्षा में कमी, अनाज की पैदावार में कमी, जनता में भय, आडम्बर और पीड़ा में वृद्धि होने की सम्भावना है |

रवौ मेघाधिपे जाते स्वल्प तोयप्रदा घनाः ।

स्वल्पो धान्योद्भवो लोके भयाडम्बर पीडनम्।

6. रसेश शुक्र का फल: नवसंवत् में रसेश का पद शुक्र को प्राप्त हुआ है । शुक्र रसेश हो, तो अच्छी वर्षा के कारण जनता में सन्तोष, सुख और सुभिक्ष रहता है तथा शासन भी तत्परता से चलता है

भृगुसुते रसनायकतां गते जनपदा जलतोषित-मानसाः ।

सुखसुभिक्षप्रमोदवती धरा धरणिपा नरपालनतत्पराः ।।

7. नीरसेश बुध फल: विक्रम संवत् 2082 का नीरसेश बुध है । इसके फलस्वरूप रंगीन और फैशन के कपड़े, शंख, चंदन, सोना इत्यादि पदार्थों में तेजी रहने की सम्भावना रहेगी । -

चित्रवस्त्रादिकं चैव शंख-चन्दन हाटका: ।

महर्घाः सन्ति वर्षे च नीरसेशो बुधो यदा।।

8. फलेश शनि का फल: इस वर्ष फलेश का पद शनि को प्राप्त हुआ है, जो कि शुभफलप्रद नहीं माना जाता। संवत्सर संहिता में इसके फलों का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि शनि के फलेश होने पर लोगों में आपसी कलह, जंगली पेड़ों और फूलों की अधिकता, दुष्टों से सामान्यजनों को भय तथा राज्य पर जनसंख्या का भारी दबाव रहता है

अथ शनौ फलपे कलहो भवेत् वनजपादपपुष्पगणो घनः ।

अपि च दुष्टजनाकृतं भयं जनपदा जनराशिसमाकुलाः ।।

9. धनेश मंगल का फल : धनेश का पद मंगल को प्राप्त हुआ है । फलत: इस वर्ष शरद् ऋतु में तापमान अधिक रहने और वर्षा न होने से गेहूँ आदि तृण फसलों में कमी देखने को मिल सकती है । साथ ही देश में अस्थिरता का माहौल रह सकता है और शासक जनविरोधी भी हो सकता है-

धरणिपे धननायकतां गते शरदि ताम्रकरास्तुषधान्यहा ।

सकलदेश्यजनाश्चलितास्तदा नरपतिर्नरशोकविधायकः ।

10. दुर्गेश शनि का फलदुर्गेश शनि के फलों का वर्णन करते हुए संवत्सर संहिता में कहा गया है कि शनि के दुर्गेश होने पर चारों ओर हड़कम्प मचा रहता है । लोगों में परस्पर वैर पनपता है तथा कृषि धन भी अच्छा नहीं रहता- रविसुतो यदि दुर्गपतिर्भवेत् सकलदेशजनाश्चलितास्तदा।

विविधवैरविशेषितनागराः कृषिधनं लभते न जनः क्वचित् ।।

रोहिणीवास

इस वर्ष रोहिणी का निवास 'तट' पर रहेगा, जो कि शुभ फलप्रद माना है । इसके फलस्वरूप वर्षा पर्याप्त होती है और सामान्यतः अन्न एवं धन की वृद्धि होती है

यदिविधिधिष्ण्यपततितटस्थम्।

शुभजलवृष्टिर्धनकणवृद्धिः॥

समय का वास

समय (संवत्) का वास धोबी के घर में रहेगा, जो शुभफलदायक है । इसके फलस्वरूप वर्षा बेहतर रहेगी, जिससे जलाशयों में पानी पर्याप्त रहेगा |

वापी कूपतडागानि नदीनदवनानि च

जलपूर्णानि दृश्यन्ते वासो रजके।।

समय का वाहन

वर्षप्रबोध के अनुसार समय का वाहन अश्व है, जो कि शुभ नहीं कहा जाता । इसके फलस्वरूप शासक वर्ग में मतभेद, वर्षा की कमी, महँगाई में वृद्धि, भूकम्प आदि प्राकृतिक आपदाओं से सम्बन्धित अधिक भय की आशंका रहती है

राजानो विग्रहं यान्ति वृष्टिनाशो महर्घता।

भूमिकम्पो भयं घोरं हयारूढ़े तु वत्सरे।।

नील मेघ के फल

नवमेघों में इस वर्ष 'नील' नामक मेघ है, जो कि प्राय: शुभफलप्रद माना जाता है, जिससे पर्याप्त वर्षा, गोवंश की अधिकता, वस्त्रादि की पर्याप्त उपलब्धता होती है तथा सम्पूर्ण जनता को सन्तोष प्राप्त होता है -

सत्यपयोदिशति गोकुलपूर्णा वस्त्रताखिल महीपरिपूर्णा ।

नीलनाम्नि जलदे जलवृष्टिः जायते सकलमानवतुष्टिः ।।

चार स्तम्भ

इस वर्ष जल स्तम्भ लगभग 85 प्रतिशत है,तृण स्तम्भ 100,वायु स्तम्भ 11 प्रतिशत तथा अन्न स्तम्भ लगभग 22 प्रतिशत है | इस प्रकार एक ओर जहाँ जल और तृण स्तम्भ की अधिकता से जल पर्याप्त होगा तथा पशुओं के लिए चारा भी मिलेगा, परन्तु वायु स्तम्भ के कमजोर होने से फलों में रोग आदि का प्रकोप होगा और प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होगी । इसके अतिरक्त अन्न स्तम्भ के कमजोर होने से फसलों का उत्पादन भी अपेक्षानुरूप न रह पाने की सम्भावना भी दिखाई दे रही है । 

शुक्रवार, 28 मार्च 2025

मीन राशि शनि के धनु राशि पर प्रभाव

 धनु राशि

ये, यो, भा, भी, भु, धा, , , भे

धनु राशि वालों के लिए शनि का मीन राशि में गोचर उनकी जन्मराशि से चतुर्थ भाव में रहेगा, जिसे 'चतुर्थ ढय्या' के नाम से जाना जाता हैं जो सामान्यतः शुभ नहीं कही जाती । इस गोचर के दौरान आर्थिक, पारिवारिक और स्वास्थ्य सम्बन्धी कई चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं । इस अवधि में आपको सतर्क रहने की जरूरत होगी ।

चतुर्थ भाव में गोचर के दौरान शनि अपनी तीसरी दृष्टि से षष्ठ भाव को देखेंगे, जिसके फलस्वरूप शत्रु एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं में वृद्धि देखने को मिल सकती हैं । पुलिस एवं कचहरी के चक्कर लग सकते हैं, तो वहीं पहले से चल रहे मुकदमों में भी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । इस अवधि में स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है । पहले से चले आ रहे रोगों में भी तीव्रता देखने को मिल सकती है | ननिहाल पक्ष से अपेक्षित सहयोग की प्राप्ति नहीं होने से भी निराशा हो सकती है । ननिहाल पक्ष से सम्बन्धित कोई चिन्ता भी परेशान कर सकती है । वित्तीय स्थिति प्रभावित हो सकती है, जिसके चलते ऋणादि लेने की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं |

चतुर्थ भाव में गोचररत शनि की सप्तम दृष्टि दशम भाव पर रहेगी, जिसके चलते आजीविका से सम्बन्धित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । उच्चाधिकारियों एवं सहयोगियों के साथ तालमेल की भी समस्या रह सकती है। माता-पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए ।

चतुर्थ भाव में गोचररत शनि की दशम दृष्टि लग्न पर रहेगी, जिसके चलते स्वास्थ्य प्रभावित हो सकते है साथ ही, स्वभाव में क्रोध और झुंझलाहट की अधिकता रह सकती है । आत्मविश्वास में कमी के अतिरिक्त आलस्य एवं कार्यों को टालने की प्रवृत्ति में भी वृद्धि देखने को मिल सकती है |

स्वास्थ्य पर प्रभाव शनि का मीन राशि में गोचर स्वास्थ्य के लिहाज से अनुकूल नहीं माना जाता है विशेष रूप से हृदय और छाती से सम्बन्धित बीमारियाँ परेशानी का कारण बन सक हैं । यदि आप पहले से ही किसी दीर्घकालिक रोग से ग्रस्त हैं, तो इस अवधि में आपको और अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता होगी इस अवधि में अपनी सेहत का ध्यान रखना आवश्यक है । नियमित स्वास्थ्य जाँच कराना, खानपान में सावधानी बरतना, और शारीरिक सक्रियता बनाए रखना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है । किसी भी स्वास्थ्य समस्या के होने पर विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें और इलाज में किसी प्रकार की चूक से बचें ।

पारिवारिक जीवन पर प्रभाव शनि का मीन राशि में गोचर पारिवारिक जीवन के लिए कुछ चुनौतियाँ ला सकता है घर में सुख-शान्ति प्रभावित हो सकती है । विवाह योग्य युवक-युवतियों को भी इस समय कुछ इंतजार करना पड़ सकता है । पारिवारिक मामलों में विवाद और तनाव से बचने के लिए आपको संयम बनाए रखने की आवश्यकता होगी |

आर्थिक स्थिति पर प्रभाव : शनि का मीन राशि गोचर आपके आर्थिक जीवन में भी उतार-चढ़ाव ला सकता है । इस दौरान आपके आय के नियमित स्रोतों से धन आने में बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं । इसके अलावा खर्चों में भी वृद्धि हो सकती है, जिससे आपकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है | सम्पत्ति सम्बन्धी विवाद उत्पन्न हो सकते हैं,जोखिमपूर्ण निवेश करने से बचना चाहिए ।

नौकरी और कॅरिअर पर प्रभाव: इस गोचर अवधि में रोजगार के क्षेत्र में भी बहुत अधिक अनुकूल परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती । नौकरीपेशा लोगों के लिए कार्यस्थल पर तनाव रह सकता है । कार्य की अधिकता और बदलते माहौल के कारण आपको मानसिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है । उच्चाधिकारियों से सम्बन्धों में तनाव हो सकता है और सहकर्मियों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल सकता है । स्थानान्तरण या नौकरी परिवर्तन की संभावना बन सकती है और प्राइवेट नौकरी में तो आकस्मिक छंटनी भी हो सकती है । अगर आप नौकरी बदलने का विचार कर रहे हैं, तो इस समय सावधानी से निर्णय लें |

कैसा रहेगा धनु राशि वाले जातकों का व्यवसाय?

धनु राशि के व्यवसायियों के लिए मीन राशि शनि का गोचर, जो उनकी जन्म राशि से चतुर्थ भाव में रहेगा, जो एक अशुभ और चुनौतीपूर्ण अवधि की शुरुआत कर सकता है । यह गोचर विशेष रूप से व्यवसाय की दृष्टि से चिंता का कारण बन सकता है, क्योंकि चतुर्थ भाव से शनि का गोचर उनके व्यापार में अस्थिरता और कठिनाइयाँ ला सकता है । इस समयावधि में व्यापार में रुकावटें और परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे आपकी योजनाओं में बाधाएँ आ सकती हैं । नए क्षेत्रों में व्यापार विस्तार की जो योजनाएँ थीं, वे भी प्रगति नहीं कर पाएँगी, और व्यवसायी को कुछ हद तक निराशा का सामना करना पड़ सकता है ।

शनि का गोचर चतुर्थ भाव में होने के कारण, व्यवसायियों को कई तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । आय में कमी और खर्चों में वृद्धि जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जो उनकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकती हैं । अगर व्यवसाय परिवार के साथ मिलकर चलाया जा रहा है, तो इस अवधि में परिवार के सदस्यों के साथ मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं, जो व्यापार के लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं ।

षष्ठ भाव पर शनि की दृष्टि के कारण ऋणों का भार भी बढ़ सकता है नए ऋण लेने की परिस्थितियाँ बन सकती हैं । इसके अलावा वाद- विवाद और मुकदमेबाजी में वृद्धि हो सकती है, जिससे व्यवसायी को कानूनी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है । इस गोचरावधि में सरकारी नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिए ।

दशम भाव पर शनि की दृष्टि के प्रभाव से व्यवसाय में शारीरिक परिश्रम की अधिकता हो सकती है । इसके अलावा, श्रम आधारित व्यवसायों की ओर झुकाव बढ़ सकता है । इस अवधि में व्यवसायी को कार्यों में अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है, लेकिन उसके परिणामस्वरूप उतना लाभ नहीं मिल सकता है, जितना कि वे उम्मीद करते हैं |

लग्न पर शनि की दृष्टि के परिणामस्वरूप आलस्य और कार्यों को टालने की प्रवृत्ति बढ़ सकती है । यह मानसिक स्थिति व्यवसायी के लिए समस्या का कारण बन सकती है, क्योंकि नकारात्मक विचारों और मानसिक दबाव के कारण वे अपनी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाते हैं । इस अवधि में आत्मविश्वास में कमी और मानसिक असंतुलन भी महसूस हो सकता है ।

राहतकारी उपाय : शनि के मीन राशि में गोचर से उत्पन्न अशुभ प्रभावों से राहत पाने के लिए कुछ उपायों का पालन करना चाहिए |

सातमुखी रुद्राक्ष माला सोमवार या किसी शुभ मुहूर्त में धारण करें ।

ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः' का जप करें |

भगवान शिव और माता पार्वती की नित्य पूजा करें ।

मंगलवार तथा शनिवार को सुंदरकाण्ड का पाठ करें ।

पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएँ और वहाँ तेल का दीपक जलाएँ।

मुख्यद्वार पर काले घोड़े की नाल ‘U’ आकार में लगाएँ और नाल का छल्ला मध्यमा अंगुली में पहनें ।

 

गुरुवार, 27 मार्च 2025

शनि मीन राशि गोचर का वृश्चिक राशि पर प्रभाव

 वृश्चिक राशि

तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू

शनि का मीन राशि में गोचर वृश्चिक राशि वालों लिए शुभ फलदायक नहीं कहा जा सकता हालाँकि इस राशि परिवर्तन से एक ओर आपको चतुर्थ ढैया से मुक्ति मिल रही है, वहीं दूसरी ओर कण्टक शनि का आगमन भी हो रहा है, जो इस गोचरावधि में कई समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है । यह गोचर स्वास्थ्य, पारिवारिक सुख, आर्थिक स्थिति, कॅरिअर और व्यवसाय के क्षेत्रों में कठिनाइयाँ ला सकता है |

जन्मराशि से पंचम भाव में गोचर कर रहे शनि की तीसरी दृष्टि सप्तम भाव पर होगी, जो कि वैवाहिक एवं पारिवारिक सुख की दृष्टि से शुभ नहीं कही जा सकती , इस अवधि में जीवनसाथी से सम्बन्धित कुछ समस्याएँ परेशान कर सकती हैं,उनके स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने की आवश्यकता होगी । व्यवसाय में भी कुछ सांगठनिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । बिजनेस पार्टनर के साथ सम्बन्धों में भी तनाव देखने को मिल सकता है,परस्पर अविश्वास की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं| स्वास्थ्य के क्षेत्र में उदर और मूत्र उत्सर्जन तन्त्र से सम्बन्धित कुछ नवीन समस्याएँ देखने को मिल सकती हैं |

पंचम भाव में गोचररत शनि की एकादश भाव पर दृष्टि रहेगी, जिसके चलते आय में वृद्धि की दर धीमी होगी और आय में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं । मित्रों, बड़े भाई और बहिन तथा चाचा-ताऊ आदि से सम्बन्धित रिश्तों को लेकर भी कुछ समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । परिश्रम एवं प्रयासों के अनुरूप प्रतिफलों की प्राप्ति नहीं होने से भी कुछ निराशा हो सकती है

शनि दशम दृष्टि द्वितीय भाव पर होगी। इससे वित्तीय स्थिति प्रभावित हो सकती है । सेविंग्स में कमी देखने को मिल सकती है, तो वहीं पुस्तैनी सम्पत्ति को लेकर भी विवाद हो सकते हैं । इन दिनों सर्वाइकल पेन, दाँतों में दर्द, मुँह में छाले एवं नेत्र सम्बन्धी समस्याएँ हो सकती हैं

स्वस्थ्य पर प्रभाव : स्वस्थ्य की दृस्टी से गोचर के परिणाम अच्छे नहीं दिख रहे हैं । वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए इस समयावधि में स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं ,विशेष रूप से यदि आप पहले से किसी दीर्घकालिक रोग से पीड़ित हैं, तो आपको इस अवधि में अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता होगी । आपके स्वभाव में झुंझलाहट और चिड़चिड़ापन भी आ सकता है |

पारिवारिक सुख में कमी : पारिवारिक जीवन में भी इस गोचर के प्रभाव से चुनौतियाँ आ सकत हैं घर में क्लेश, जीवनसाथी से अनबन, बच्चों को लेकर चिन्ता और अन्य पारिवारिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं । कण्टक शनि की स्थिति के कारण जीवनसाथी के साथ रिश्तों में कटुता आ सकती है, जो आगे चलकर विवाद और कानूनी समस्याएँ भी उत्पन्न कर सकती हैं । यदि आप किसी रिश्ते में हैं, तो विचारों में भिन्नता या आपसी विश्वास की कमी के कारण सम्बन्धों में तनाव उत्पन्न हो सकता है । सामाजिक मान-सम्मान के मामलों में भी कठिनाइयाँ आ सकती हैं, इसलिए अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है

आर्थिक स्थिति पर असर : आर्थिक दृष्टि से भी शनि का यह गोचर शुभ नहीं है इस समयावधि में खर्चों में वृद्धि सम्भव है, जिससे आपकी जमा पूँजी में कमी आएगी । यहाँ तक कि ऋण के जाल में फँसने की आशंका है, जो आपके लिए और भी कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है । आय के स्रोतों में कमी आ सकती है, जिससे आर्थिक संकट उत्पन्न होगा । जोखिमपूर्ण निवेश से बचें, क्योंकि इसमें हानि का सामना करना पड़ सकता है

नौकरी और कॅरिअर : नौकरीपेशा वर्ग के लिए यह समय विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है । कार्यस्थल पर कार्य की अधिकता से परेशान हो सकते हैं । । कार्यालय राजनीति और सहकर्मियों का सहयोग न मिलने के कारण उच्चाधिकारियों और सहकर्मियों से व्यवहार में तनाव हो सकता है | इसलिए इस समय अपनी मेहनत और समर्पण पर आप मानसिक तनाव का सामना कर सकते हैं । स्थानान्तरण या नौकरी परिवर्तन की परिस्थितियाँ भी बन सकती हैं । इस समय, आपको अपने कर्तव्यों को निष्ठा से निभाने की आवश्यकता है

वृश्चिक राशि जातको का व्ययसाय

वृश्चिक राशि वाले व्यवसायियों के लिए मीन राशि में शनि का गोचर उनके जन्मराशि से पंचम भाव में होने जा रहा है,जो कि सामान्यतः शुभ फलदायक नहीं माना जा सकता है । यह गोचरावधि सावधानी और सतर्कता की माँग करती है । इस अवधि में व्यापार विस्तार या किसी प्रकार के जोखिमपूर्ण निवेश से बचना चाहिए

पंचम भाव में शनि के गोचर को कण्टकसंज्ञक माना जाता है । यह न केवल पंचम भाव को प्रभावित करता है, वरन् सप्तम, एकादश और द्वितीय भाव को भी अपनी दृष्टि से प्रभावित करता है । पंचम भाव का सम्बन्ध निर्णय लेने की क्षमता और बौद्धिकता से होता है और इसमें शनि होता है, तो यह व्यवसाय में वित्तीय संकट और निर्णयों में गलतियाँ करने का कारण बन सकता है । इस गोचरावधि में वित्तीय योजनाएँ और व्यापार विस्तार की योजनाएँ सफल नहीं हो पातीं, क्योंकि शनि की दृष्टि आर्थिक संकट उत्पन्न कर सकती है । गलत निर्णयों का परिणाम आर्थिक नुकसान के रूप में सामने आ सकता है |

शनि की तीसरी दृष्टि सप्तम भाव पर पड़ती है, जिससे साझेदारों, सप्लायरों और ग्राहकों के साथ रिश्तों में तनाव उत्पन्न हो सकता है । यह स्थिति व्यापार में किसी भी प्रकार के विवाद की सम्भावना बढ़ा सकती है । इस दौरान लेनदेन में सतर्कता बरतने की जरूरत है |

एकादश भाव पर शनि की दृष्टि आय प्राप्ति में कठिनाई उत्पन्न कर सकती है कभी-कभी भुगतान में देरी, उधारी वसूली में रुकावटें या अन्य वित्तीय समस्याएँ पैदा हो सकती हैं । इसलिए इस अवधि में अधिक उधार देने से बचना चाहिए और भुगतान सम्बन्धी कार्यों में अतिरिक्त सतर्कता रखनी चाहिए । कार्यों में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने से मानसिक दबाव भी बढ़ सकता है, जिससे मन में अशांति और मानसिक तनाव हो सकता है

द्वितीय भाव पर शनि की दृष्टि आपके संचित धन में कमी और परिवार के सदस्यों से अपेक्षित सहयोग न मिलने की ओर इशारा करती है | इस दौरान कुटुम्बी सम्पत्ति में विवाद हो सकता है और व्यक्तिगत या पारिवारिक मुद्दों में भी परेशानी आ सकती है । इसलिए परिवार के मामलों में ध्यान रखने की आवश्यकता है और यदि कोई विवाद हो, तो उसका समाधान शांतिपूर्वक किया जाना चाहिए । इसके अलावा, कार्यों की सफलता में रुकावटों के कारण भी मन में तनाव उत्पन्न हो सकता है |

राहतकारी उपाय : शनि के इस गोचर के अशुभ प्रभावों को शान्त करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं.

सातमुखी रुद्राक्ष माला सोमवार अथवा किसी शुभ मुहूर्त में गले में धारण करना चाहिए

दशरथकृत शनि स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से भी कण्टक शनि के प्रभावों में अशुभ कमी की जा सकती है

शनिदेव के मन्त्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः का प्रतिदिन जप करना चाहिए

मंगलवार और शनिवार को तुलसीकृत सुंदरकाण्ड का पाठ करें

त्रिलोह का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करें |

पुराणों और अन्य धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करने से शनि के प्रभाव को कम किया जा सकता है |