गुरुवार, 30 जनवरी 2025

सूर्य व चन्द्र परिवार

सूर्य और चंद्रमा को एक-एक राशियां प्रदान की गई हैं तथा सूर्य से आगे की ओर तथा चंद्रमा से पीछे की ओर जाने पर हमें क्रमश: बुध,शुक्र,मंगल,गुरु शनि की राशियां क्रम से मिलती हैं जो हमारे ब्रह्मांड में सौर परिवार अथवा चंद्र परिवार स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं अब यदि इसी क्रम को समझे तो राजा और रानी को सर्वप्रथम राजकुमार अर्थात बुद्ध की आवश्यकता होती है उसके बाद शुक्र (अमात्य कारक) मंगल (सेनापति) गुरु (ज्ञान कारक) तथा शनि (सेवक) की आवश्यकता क्रम अनुसार जीवन भर चलती रहती है यही हमारे ज्योतिष का मूलभेद है आप चाहे चंद्र परिवार से आए चाहे सूर्य परिवार से आए आपको नियमित यही क्रम लिया जाएगा यदि आप चंद्र परिवार से आते हैं तो आपको 10 वर्ष शुरू के पश्चात 17 वर्ष बुद्ध के 20 वर्ष शुक्र के 7 वर्ष मंगल के 16 वर्ष गुरु तथा 19 वर्ष शनि सेवक के चाहिए होते हैं यही हमारी विशोन्तरी दशा का क्रम निर्धारण करती हैं मानव जीवन का प्रभाव भी कुछ ऐसा ही चलता है | आप देखें जब आपका जन्म होता है तो उसके 17 वर्ष आपको शिक्षा साथी भाई बहन यार दोस्त विनोद हास्य खेलकूद के मिलते हैं जो बुद्ध के होते हैं उसके बाद 20 वर्ष जो की वैवाहिक जीवन भोग विलास जीवनसाथी से संबन्धित होते हैं उसके बाद 7 वर्ष आपको स्वयं को साबित करने (मंगल) में लगते हैं तथा यह 7 वर्ष गुजरने के बाद 16 वर्ष आपको गुरु अथवा पिता का मार्गदर्शन चाहिए होता है जिसके तहत आप धर्म - कर्म अध्यात्म की ओर बढ़ते हैं इसके आगे 19 वर्ष की आयु जो शेष रह जाती है उसमें आपको सेवक की आवश्यकता पड़ती है जो शनि ग्रह से संबंधित देखे जाते हैं |

इसी को अगर हम सूर्य के क्रम से देखें तो वहां भी ऐसा ही होता है परंतु सूर्य की विशोन्तरी दशा चन्द्र दशा से थोड़ी कम अर्थात 6 वर्ष की होती है | इस कारण सूर्य से आगे की ओर राशि वाले लोग अपने जीवन में सफलता थोड़ी जल्दी प्राप्त कर लेते हैं जिनमें क्रमशः सिंह कन्या तुला वृश्चिक धनु और मकर राशि के लोग होते हैं जबकि चंद्र परिवार से संबंधित लोग जिनमे क्रमशः मिथुन वृषभ मेष मीन और कुंभ आती है इनका जीवन में थोड़ा देर से उदय होता है |

इस प्रकार यदि हम देखें तो सूर्य और चंद्रमा आकाश में विचरण करते हुए अपने दो परिवारों का निर्माण करते हैं जिनसे धरती पर जीवन चलता रहता है पुरुष राशियों में हम जानते ही हैं विषम राशियाँ रखी गई हैं तथा चंद्र राशियों में सम राशियों को रखा गया है इस आधार पर भी आप देखे तो दोनों और बराबर बराबर स्त्री पुरुष राशियाँ बनती हैं परंतु फिर भी जीवन के उदाहरण को आप ज्योतिष के तरीके से देखें तो आप पाएंगे कि सूर्य परिवार के लोगों ने चंद्र परिवार के मुकाबले ज्यादा तरक्की की है जिसको जितनी कम अवस्था में सफलता प्राप्त हो जाएगी उसको उतना ही धरती पर सफल माना जाता है वहीं कुछ व्यक्तियों को एक उम्र के बाद सफलता नसीब होती है और यह प्रत्येक लग्न के अनुसार अलग - अलग हो सकती है इसलिए जब भी कभी कम उम्र में किसी जातक को आप सफल या प्रसिद्ध पाएंगे तो अवश्य ध्यान रखिएगा की काफी हद तक उसके लग्न अथवा चन्द्र लग्न का सौर परिवार से संबंध हो सकता है यहां यह भी देख लीजिएगा की लग्न और लग्न के स्वामी की क्या स्थिति है यहां चंद्र परिवार से संबंधित जातक लोग ज्यादा सांसारिक रूप से कामयाब देखे गए हैं जबकि सूर्य परिवार से जन्मे लोग अध्यात्म की दृष्टि से ज्यादा कामयाबी की ओर बढ़ते हुए दिखाई देते हैं परंतु फिर भी देखने में आया है कि सूर्य परिवार के लोग जल्दी सफलता प्राप्त कर लेते हैं शायद इसी कारण उनको जल्दी अध्यात्म अथवा धर्म कर्म रास आ जाता है और वह सांसारिक जीवन की सच्चाई को समझ जाते हैं अपना आत्मिक उत्थान करने के लिए आगे की यात्रा की ओर बढ़ जाते हैं |

यह भी ध्यान मे रखे की आपके जन्म के समय जो लग्न आपको मिला है उसके अनुसार कौन सा ग्रह आपको किस भाव या किस राशि के फल आपको प्रदान कर रहा है ज्योतिष के ऐसे बहुत सारे भेद हैं जो आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं |

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