अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे जो साबरमती रिवर फ्रंट बनाया गया है उसे देखकर लगता है की नदियों की देखभाल किस प्रकार से की जानी चाहिए क्योंकि देश के शीर्ष दो व्यक्ति गुजरात से आते हैं अच्छी तरह जानते हैं कि व्यापार कैसे किया जाता है रिवर फ्रंट को देखकर समझ में आ जाता है कि व्यापार की दृष्टिकोण से उसका कितना महत्व है गुजरात के रहने वाले लोग अच्छी तरह जानते हैं की साबरमती नदी का रिवर फ्रंट बना देने से उन्हें बहुत सारी आमदनी होगी और जिससे उनकी अर्थव्यवस्था पर बहुत सारा फर्क पड़ेगा क्योंकि गुजरात के लोकल लोग ही रात में रहते हैं |
अब बात करें दिल्ली की दिल्ली की आबादी
का 60% लोग दिल्ली के मूल निवासी नहीं है
उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि वहां बह रही यमुना कितनी अच्छी स्वच्छ
या साफ सुथरा है या नहीं उन्हें फर्क पड़ता है इस बात से कि उनको नित्य जीवन में आ
रही कठिनाइयों से किस प्रकार से राहत प्रदान की जाए उनके लिए मुफ्त बिजली पानी का
होना यमुना की सफाई से कई गुना बढ़िया है क्योंकि यमुना उनकी अपनी नदी तो है नहीं
और यह बात माननीय केजरीवाल जी भी अच्छी तरह से जानते हैं इसीलिए उन्होंने पिछले 10 सालों में यमुना के लिए कुछ भी नहीं
किया और ना ही वह आगे कभी करने वाले हैं |
यदि केजरीवाल व्यापारिक घराने से आते तो वह समझते
की यमुना जहां
दिल्ली में प्रवेश करती है वहां से लेकर जमुना बैंक तक
अगर यमुना रिवर कॉरिडोर बनाया जाता और उसमें बहुत सारे लोगों को काम धंधा दिया जाता
तो एक बहुत बड़ा अर्थव्यवस्था दिल्ली के लिए पैदा की जा सकती थी परंतु केजरीवाल
यह भी
भली भांति से
जानते हैं की यमुना नदी के चाहने वाले जो दिल्ली
के मूलनिवासी हैं उन्हें
वोट नहीं देने वाले उन्हें वोट देने वाले वह लोग हैं जिनको रोज बिजली पानी मुफ्त
मे चाहिए | यमुना नदी दिल्ली में साफ
हो ना इस
बात से इन बाहरी लोगो को कोई फर्क नहीं पड़ता है |
व्यापार की दृष्टिकोण से यमुना
रिवर फ्रंट बनाने की बात सुनने में भले ही अच्छी लगे परंतु इसमें बहुत सारे खर्चे
की योग भी बनेंगे बस यही छोटी सोच माननीय केजरीवाल को मोदी जी
जैसे नेताओं से
अलग बनाती है केजरीवाल छोटे सोच को लेकर चलते हैं जबकि मोदी जैसा बड़ा
विजन उनके बस
में नहीं है वरना देने वालों ने तो उन्हें 10 साल दिए थे वह चाहते तो दिल्ली को बहुत आगे ले जा सकते थे और आगे
भविष्य में प्रधानमंत्री भी बन सकते थे अब उनकी इसी छोटी सोच के चलते पार्टी को भी
लाले पड़ने लगे हैं आने वाले एक-दो साल में आम आदमी पार्टी समझौता समाप्ति की ओर
जा रही है |
यह तो तय है कि अगर इस बार के चुनाव
में भारतीय जनता पार्टी आती है तो जमुना रिवर फ्रंट अवश्य बनेगा क्योंकि उससे
व्यापार मिलना है और हम सभी जानते हैं कि दिल्ली
में पैसा कहीं से नहीं पाया जा सकता बनाया ही जा सकता है जो की शीर्ष के दो
गुजराती भली - भांति जानते हैं |
पिछले 10
सालो मे अरविंद
केजरीवाल समझ ही नहीं पाए की वो
भारत देश की दोनों
बड़ी पार्टियों के द्वारा बेवकूफ बनाकर दिल्ली के सी एम बना दिए गए दोनों बड़ी पार्टी भलीभांति
जानती हैं कि दिल्ली मे कमाई तो हो सकती नहीं हैं और केंद्र मे जो सरकार रहेगी
उसका हस्तक्षेप
अवश्य ही दिल्ली पर बना रहेगा ऐसे मे दिल्ली
की सरकार किसी
की भी बने उससे कोई फर्क पड़ने वाला
तो है नहीं |
वैसे आज की
स्थिति देखे तो लग
रहा है कि आम आदमी पार्टी कांग्रेस के साथ मिलकर इस बार सरकार बना लेगी पूर्ण
बहुमत किसी भी पार्टी को मिल पाना थोड़ा सा मुश्किल नजर आ
रहा हैं |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें