जन्मपत्रिका
में शनि और
गुरु आमने-सामने स्थित
होकर एक-दूसरे को देखते हैं अर्थात् 180 अंश की दूरी पर स्थित हो, तो जातक अपने जीवन मे अद्भुत व महान सफलता प्राप्त करता हैं इस शनि गुरु के सम सप्तक योग को शास्त्रो मे कही कही क्षेत्र सिंहासन योग भी कहा गया हैं ।
इन दोनों के सम सप्तक होने के योग वाला जातक उच्च शिक्षित, शक्तिशाली और धनी होता है । ऐसा बहुत सी कुंडलियों मे पाया गया हैं |
ब्रह्माण्ड
के सौरमण्डल के ग्रह परिवार में गुरु सर्वाधिक बड़ा ग्रह है । शनि पृथ्वी से
सर्वाधिक दूरी पर स्थित ग्रह है । ये दोनों ग्रह धीमी गति से चलने वाले ग्रह हैं ।
इस कारण इनका प्रभाव पृथ्वी के जीवन पर सर्वाधिक पड़ता है और दीर्घकालीन होता है।
अतः
इन दोनों का आमने- सामने स्थित होने पर गुरु की पूर्ण दृष्टि से शनि में शुभता आ
जाती है । वैसे भी शनि गुरु की राशि में शुभ माना गया है ।
यदि
दोनों आमने-सामने स्थित होकर केन्द्र, त्रिकोण
के भी स्वामी हों, तो
निर्णायक राजयोगकारक होते हैं जैसे; मेष
लग्न एवं सिंह लग्न की जन्मपत्रिका में ।
आगे
हम अपना मत और स्पष्ट करने हेतु प्रत्येक लग्न की एक-एक जन्मपत्रिकाएँ उदाहरण के
रूप में प्रस्तुत कर विवेचना सहित लिखेंगे ।
बी.एस.पी.
सुप्रीमो कांशीराम 12 अप्रैल, 1932
07:00 बजे रोपड़ (पंजाब) मेष
लग्न
कांशीराम
ने विज्ञान विषय में स्नातक डिग्री लेने के बाद गुरु की महादशा में सरकारी नौकरी
प्रारम्भ की । कुछ वर्षों तक नौकरी करने के बाद इन्होंने राजनीति में प्रवेश किया । अपनी
अद्भुत संगठन क्षमता के बल पर सन् 1984 में शनि में गुरु की अन्तर्दशा में बहुजन
समाज पार्टी का गठन कर 1991 में ये लोकसभा के सदस्य चुने गए । फिर मायावती को साथ
लेकर उत्तरप्रदेश की सत्ता पर बहुजनवादी समाज का शासन शुरू किया । 9 अक्टूबर, 2006
को केतु में राहु की अन्तर्दशा में इनका निधन हो गया । जन्मपत्रिका में गुरु
चतुर्थ भाव में उच्च का होकर शनि के सामने स्थित है । यह धर्मकर्माधिपति योग का भी
निर्माण कर रहा है ।
सन्त
ज्ञानेश्वर 09 अगस्त, 1275
जन्म समय : 00:05 बजे पैठान (महाराष्ट्र) वृष लग्न
सन्त
ज्ञानेश्वर का जन्म एक जीवन में गुरु महादशा में की राहु गरीब परिवार में हुआ था ।
इनके माता-पिता
शास्त्रविज्ञ और गुणी थे इनके बचपन में ही माता-पिता का निधन
हो गया था। अनाथ होकर इन्हें भिक्षा माँगकर अपना जीवन गुजारना पड़ा था । आठ वर्ष
की आयु में ही इनके जीवन में गुरु
की महादशा गुरु प्रारम्भ हो गई थी । मात्र 15
वर्ष की आयु में ही इन्होंने श्रीमद्भगवतगीता कण्ठस्थ कर ली थी । इन्होंने 'ज्ञानेश्वरी
गीता' नामक टीका की रचना की थी ।
शास्त्रों का इन्हें अच्छा वर्ष ज्ञान प्राप्त हो गया था । मात्र 21 की आयु में
1296 ई. में इनका देहान्त हो गया था । उस समय इनके जीवन मे गुरु मे राहू की अन्तर्दशा
चल रही थी । जन्मपत्रिका में पंचम भाव में योगकारक शनि और उसके सामने एकादश भाव मे गुरु वक्री
होकर स्थित है । गुरु ज्ञानकारक, किन्तु
मारक भी बना है ।
अमेरिकी
राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन 22 फरवरी, 1732
12:10 बजे वर्जीनिया (अमेरिका)
अमेरिका
का जन्म 1783 में विद्रोह युद्ध और फिर स्वतन्त्रता की सन्धि के बाद हुआ था । सन् 1776
- 1781 तक अमेरिका ब्रिटेन से युद्धरत
रहा था । स्वतन्त्रता के बाद 1783 में गुरु महादशा में चन्द्रमा की अन्तर्दशा में
जॉर्ज वाशिंगटन अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति बने थे । मूल रूप से ये अमेरिका की
संयुक्त सेना के कमाण्डर इन चीफ थे । 14 दिसम्बर, 1799
में शनि में चन्द्रमा की अन्तर्दशा में इनका देहान्त हो गया था । जन्मपत्रिका में
चतुर्थ भाव में गुरु वक्री होकर स्थित है और इसके सामने दशम भाव में शनि स्थित है ।
इस प्रकार क्षेत्र सिंहासन योग ने इन्हें सर्वोच्च सिंहासन पर बिठाया ।
श्री
रामानुजाचार्य 04 अप्रैल, 1017
12:00 बजे पैरम्बदूर (तमिलनाडु) .
दर्शन
की द्वैत धारणा के पोषक रहे श्री रामानुजाचार्य के अनेक लोग शिष्य बने और पूरी उड़ीसा मे इन्होंने
अपना मठ स्थापित किया । श्री रामानुजाचार्य ने गुरु महादशा में राहु की अन्तर्दशा
में गृहस्थ जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण किया । शनि महादशा में इन्होंने अध्यात्म
को पूर्ण रूप से आत्मसात कर उच्च धार्मिक पद प्राप्त किया । गुरु और
शनि की दशा में इनकी हत्या के प्रयास हुए । सन् 1137 में 120 वर्ष की आयु पूर्ण कर
इन्होंने अपना शरीर त्यागा । जन्मपत्रिका में गुरु और शनि क्रमशः द्वादश और षष्ठ
भाव में स्थित होकर आमने-सामने स्थित हैं ।
अभिनेता
सुनील दत्त 06 जून, 1931
11:30 बजे सियालकोट (पाक.)
सुनील
दत्त ने सन् 1955 (गुरु में गुरु की अन्तर्दशा) से फिल्मों में काम करना प्रारम्भ
किया था । 1957 में बनी फिल्म 'मदर
इण्डिया' में इनके अभिनय को सराहा गया । उसी
समय नर्गिस से इनके सम्बन्ध बने और शादी हो गई । बाद में उन्होंने अनेक यादगार
फिल्मों में काम किया और अपनी फिल्म भी बनाई ।
शनि
की महादशा में राजनीति में प्रवेश कर सांसद और फिर मन्त्री बने । इस प्रकार गुरु
और शनि की दशा ने इन्हें शिखर तक पहुँचाया । केतु की महादशा में केतु की अन्तर्दशा
में 25 मई 2005 में इन्होंने शरीर त्याग दिया ।
जन्मपत्रिका
में शनि पंचम भाव में और उसके सामने गुरु एकादश भाव में स्थित होकर एक-दूसरे को
देख रहे हैं । ये केन्द्र-त्रिकोण स्वामी का सम्बन्ध राजयोगकारक है ।
एलिजाबेथ
टेलर 27 फरवरी, 1932
19:25 बजे लन्दन (इंग्लैण्ड)
अपने
जमाने की सर्वाधिक सुन्दर, लोकप्रिय
और ऐश्वर्यशाली अभिनेत्री रही एलिजाबेथ टेलर ने 13 वर्ष की आयु से ही फिल्मों में
काम करना प्रारम्भ कर दिया था । इन्हें दो बार
ऑस्कर अवार्ड भी दिया गया था ।
शनि की महादशा जीवन का स्वर्णिम काल रही थी । इन्होंने आठ विवाह किए और जिन्दगी को
अपनी शर्तों पर जिया । जन्मपत्रिका में शनि पंचम भाव में स्वगृही है और इसके सामने
एकादश भाव में उच्च का गुरु स्थित है ।
सी.एन.
अन्नादुराई 15 सितम्बर, 1909
09:30 बजे काँचीपुरम (तमिलनाडु)
जस्टिस
पार्टी प्रमुख पेरियार से मतभेद होने पर अन्ना ने सन् 1948 में गुरु की महादशा में
गुरु की अन्तर्दशा मे
पार्टी छोड़ दी थी |
सन 1949 मे इनहोने अपनी नई पार्टी डीएमके बनाई सन 1962 मे राज्यसभा के सदस्य बने
सन 1967 में विधानसभा चुनावों में शानदार सफलता
पाकर मुख्यमन्त्री बने । ये एक श्रेष्ठ लेखक और पत्रकार भी रहे। थे । इन्होंने
अनेक पुस्तकें लिखी हैं । गुरु और शनि की महादशा में शानदार राजयोग भोगते हुए 3
फरवरी, 1969 को शनि में केतु की अन्तर्दशा
में इनका निधन हो गया । जन्मपत्रिका में गुरु
द्वादश भावस्थ है और शनि श्रेष्ठ योगकारक होकर षष्ठ भाव मे गुरु के सामने
वक्री होकर स्थित है । इस श्रेष्ठ क्षेत्र सिंहासन योग ने इन्हें मुख्यमन्त्री बनवाया
।
प्रधानमन्त्री
नरेन्द्र मोदी 17 सितम्बर, 1950
12:00 बजे बढ़नगर (गुजरात)
नरेन्द्र
मोदी सन् 2014 में चन्द्रमा की महादशा में गुरु की अन्तर्दशा में देश के
प्रधानमन्त्री बने थे। चन्द्रमा दशम भावस्थ शनि के नक्षत्र में स्थित है और
गुरु-शनि आमने-सामने क्रमशः चतुर्थ- दशम भाव में स्थित होकर द्वितीयेश - चतुर्थेश
होकर प्रबल राजयोग बना रहे हैं। जन्मपत्रिका में गुरु-शनि आमने-सामने स्थित हैं और
दशाकारक भाग्येश चन्द्रमा शनि के नक्षत्र में स्थित है। इस श्रेष्ठ क्षेत्र
सिंहासन योग ने नरेन्द्र मोदी को सिंहासन पर बिठाया।
सुब्रह्मण्यम
चन्द्रशेखर 19 अक्टू., 1910
12:00 बजे लाहौर (पाकिस्तान)
भौतिक
शास्त्र के विद्वान् रहे चन्द्रशेखर ने शिकागो विश्वविद्यालय मे
प्रोफेसर के रूप मे मृत्युपर्यंत 1937-1995 तक सेवा की,इनहोने अमरिका की नागरिकता लेकर
वही अपना निवास बनाया |
गुरु
महादशा सन् 1972 से इनके जीवन में प्रारम्भ हुई थी। इन्होंने इस दशा में अनेक
शोधकार्य किए और पुस्तकें लिखीं । इनको इनके शोध कार्यों के लिए सन् 1983 में
गुरुमें सूर्य की अन्तर्दशा में नोबेल पुरस्कार दिया गया । 21 अगस्त, 1995
में 84 वर्ष की आयु में इनका निधन हो गया था । जन्मपत्रिका में शनि पंचम भाव में
नीच का (नीचभंग प्राप्त ) गुरु के सामने स्थित है । गुरु एकादश भाव में सूर्य-केतु
युति करता हुआ स्थित है । शनि में शुक्र की अन्तर्दशा में इनका
देहान्त हो गया था ।
शहीद
भगत सिंह 28 सितम्बर, 1909
16:06 बजे बंगा (पाकिस्तान)
भगत
सिंह देश के स्वतन्त्रता संग्राम से जुड़े क्रान्तिकारियों से बचपन से ही जुड़ गए
थे। इन्होंने देश की
युवा पीढ़ी जो जगाने के लिए फाँसी के फन्दे को गले लगाया था | 23 मार्च, 1931
को इन्हें फाँसी दे दी गई थी । इन्होंने अंग्रेज सरकार से ना तो
माफी माँगी और न ही फैसले के विरुद्ध अपील की । एक समय तो ऐसा भी आया था कि
भगतसिंह की लोकप्रियता गाँधीजी से भी ऊँची हो गई थी ।
जन्मपत्रिका में तृतीय भाव शनि वक्री होकर वक्री मंगल के साथ
स्थित है और इसके ठीक सामने भाग्य भाव में गुरु स्थित है। यह भी एक श्रेष्ठ
क्षेत्र सिंहासन योग की रचना कर रहा है ।
बी. वी. रमन 08 अगस्त, 1912 19:36 बजे बंगलुरू
(कर्नाटक)
बी.वी. रमन ने अपने दादा सूर्य नारायण
राव के साथ रहकर ज्योतिष विषय का ज्ञान प्राप्त किया था। गुरु महादशा इनके जीवन
में 1937 से प्रारम्भ
हुई। इसके शुरू होते ही इन्होंने एस्ट्रोलॉजिकल मैगजीन को पुनः प्रारम्भ किया।
धीरे-धीरे मैगजीन प्रकाशन का कार्य चालू रखा। अनेक ज्योतिष ग्रन्थों की इन्होंने
रचना की थी। अमेरिका के विश्वविद्यालय ने इन्हें 'डॉक्टर ऑफ साइंस' का सम्मान प्रदान किया । शनि की महादशा
में इन्होंने अमेरिका, यूरोप और
अन्य देशों में ज्योतिष पर कई व्याख्यान दिए । शनि की महादशा में इनको धनलाभ और
ख्याति मिली। खूब जन्मपत्रिका में शनि लग्नेश होकर चतुर्थ भाव
में चन्द्रमा के साथ स्थित है और उसके सामने दशम भाव में गुरु स्थित है ।
डॉ. होमी जहाँगीर भाभा 30 अक्टू., 1909 17:00 बजे मुंबई (महाराष्ट्र)
पारसी परिवार में जन्मे भाभा भारत के
आणविक कार्यक्रम के जन्मदाता और एटम बम विकास को शुरू करने वाले वैज्ञानिक थे । गुरु
की महादशा के
प्रारम्भ में इन्होंने टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ फण्डामेंटल रिसर्च के शोध संस्थान और
फिर एटॉमिक एनर्जी कमीशन (1948) की स्थापना
की थी । गुरु और शनि की महादशा में भारत ने आणविक क्षेत्र में खूब प्रगति की थी । 24 जनवरी, 1966 को शनि में बुध की अन्तर्दशा में इनका एक
हवाई दुर्घटना में देहान्त हो गया था ।
जन्मपत्रिका में शनि लग्न में और गुरु
सप्तम भाव में स्थित होकर आमने-सामने स्थित है। यह एक श्रेष्ठ क्षेत्र सिंहासन योग
बना रहा है।
इस
आलेख में हमने गुरु और शनि के आमने-सामने स्थित होने पर बनने वाले महत्त्वपूर्ण
ज्योतिषीय योग क्षेत्र सिंहासन योग पर चर्चा की है। यह एक अति महत्त्वपूर्ण योग
है। अनेक लग्नों के लिए तो यह केन्द्र- त्रिकोण अथवा अन्य भाव स्वामियों के
सम्बन्ध से भी राजयोगकारक होते हैं जैसे; मेष लग्न नवम - दशम का सम्बन्ध, मिथुन लग्न नवम-दशम का सम्बन्ध, सिंह लग्न केन्द्र-त्रिकोण का सम्बन्ध, कन्या लग्न केन्द्र- त्रिकोण का सम्बन्ध, वृश्चिक लग्न केन्द्र-त्रिकोण का सम्बन्ध, कुम्भ लग्न लग्नेश-द्वितीयेश का सम्बन्ध आदि।
हमने
अपने अध्ययन के दौरान ऐसा पाया है कि इस योग वाले जातक अपने-अपने क्षेत्र में अपने
कार्य विशेष में निपुणता रखते हैं। यह उन्हे सफलता और लोकप्रियता दिलवाता
है। भावार्थ रत्नाकर तुला लग्न के लिए गुरु और शनि दोनों को राजयोगकारक मानता है ।
इसका प्रमुख उदाहरण है महात्मा गाँधी की जन्मपत्रिका । •
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