हमेशा के लिए युवा अथवा जवान बने रहने की चाहत हम सबको होती है यद्यपि उम्र बढ़ने के साथ शरीर में परिवर्तन होना प्रकृति का नियम है परन्तु इस प्रक्रिया को तेज या धीमा करना कुछ हद तक हमारे हाथ में है ।
योग इस समस्या का बेहतर समाधान है ।
योगाभ्यास और संतुलित भोजन से व्यक्ति शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक संतुलन बनाने में
सक्षम हो जाता है । योगाभ्यास के अन्तर्गत आसन, प्राणायाम और ध्यान के अतिरिक्त
यम-नियम का पालन भी होता है ।
आसन - इसके अभ्यास से रक्त संचार
सुचारु हो जाता है,
मांसपेशियां, नसें तथा अस्थियां मजबूत बनती हैं, मांसपेशियां ढीली नहीं पड़तीं तथा उनका
हड्डियों के साथ सामंजस्य लम्बे समय तक बना रहता है । झुर्रियां नहीं पड़तीं, व्यक्ति वास्तविक उम्र से कम दिखता है ।
आंख, नाक, कान, दांत, याददाश्त लम्बे समय तक साथ देते हैं ।
शरीर में लचक बनी रहती है । पाचन - क्रिया दुरुस्त बनी रहती है ।
इस संदर्भ में महत्वपूर्ण योग
आसन
हैं - अर्धचन्द्रासन, त्रिकोणासन, सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, नावासन, जानुशिरासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, कोणासन, वज्रासन, उष्ट्रासन, मंडूकासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, पादोत्तानासन, पवनमुक्तासन, हलासन, सर्वांगासन, मत्स्यासन, शवासन ।
आसनों का अभ्यास सुबह ब्रह्म मुहूर्त
में नित्य क्रियाओं से निवृत्त हो स्नान के पश्चात् खुली हवा में करना चाहिए ।
आसनों के अभ्यास से समस्त प्रणालियां क्रियाशील होती हैं । थॉयराइड ग्रन्थि प्रभाव
में आती है, जिससे यौवन बरकरार रहता है । यह
ग्रन्थि सूर्य नमस्कार, भुजंगासन, सर्वांगासन तथा मत्स्यासन से विशेष रूप
में प्रभाव में आती है । पीनियल ग्रन्थि प्रभाव में आती है, जिससे शरीर पर उम्र का प्रभाव कम दिखाई
पड़ता है । यह ग्रन्थि सूर्य नमस्कार, शशकासन और ध्यान से प्रभाव में आती है । एड्रीनल ग्रन्थि के प्रभाव
में आने से अथक कार्य करने की शक्ति आती है और व्यक्ति अच्छे चरित्र वाला बनता है ।
यह ग्रन्थि सूर्य नमस्कार, जानुशिरासन, पश्चिमोत्तानासन, कोणासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, अग्निसार, कपालभाति तथा भस्त्रिका प्राणायाम से
प्रभाव में आती है ।
आसनों के पश्चात् कम से कम तीन मिनट का
शवासन करें । तत्पश्चात् कुछ मिनट खिलखिला कर हँसें । हँसना एक सम्पूर्ण यौगिक
व्यायाम है, जिससे शरीर की सभी नस-नाड़ियां खुलती
हैं, थकावट दूर हो ताजगी उत्पन्न होती है ।
फेफड़े, गले और मुख की अच्छी कसरत होती है ।
पेट व छाती के स्नायु मजबूत बनते हैं । हँसने से शरीर में कुछ रासायनिक परिवर्तन
आते हैं, जिससे तनाव पैदा करने वाले हार्मोन -
कार्टिसोल के स्तर में कमी आती है और शरीर तनावमुक्त तथा स्वस्थ बनता है ।
प्राणायाम – इसके अभ्यास से शरीर का प्रत्येक तंत्र
तथा शरीर के अंग लम्बे समय तक क्रियाशील रहते हैं, चेहरे पर चमक आती है, त्वचा कांतिमान बनती है, ग्रन्थिस्राव प्रणाली संतुलित होती है, रक्त संचार की गति तीव्र बनती है, रक्त में ऑक्सीजन का अवशोषण होता है, जिससे शरीर ऊर्जावान बनता है और शरीर
में एडोर्फिन नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ती है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में
सहायक है और व्यक्ति जवां बना रहता है, उम्र का असर कम दिखाई पड़ता है । प्राणायाम का अभ्यास कम से कम 15-20
मिनट अवश्य करें ।
ध्यान - ध्यान के अभ्यास से मन की
बिखरी हुई शक्तियां एक स्थान पर केन्द्रित होने लगती हैं । आज हम जिस प्रकार के
सामाजिक परिवेश में जी रहे हैं तनाव, व्यर्थ की चिन्ता, छोटी-छोटी बातों की उलझन, गलतफहमी के कारण घरेलू परेशानियों से हम ग्रसित हैं । जिस प्रकार
लैंस की सहायता से बिखरी हुई किरणों को एक बिन्दु पर केन्द्रित किया जाता है, उसी प्रकार ध्यान के अभ्यास से मन की
बिखरी हुई शक्तियां एकाग्र होती हैं, मनःस्थिति शांत होती है, चित्त शुद्ध होता है, शरीर ऊर्जावान बनता है, शरीर में ऐसे रासायनिक परिवर्तन आते हैं, जो मनुष्य को जवान व तनावमुक्त बनाए
रखते हैं ।
भोजन - शरीर को स्वस्थ एवं जवान बनाए
रखने के लिए भोजन में सभी पोषक तत्वों का समावेश संतुलित तरीके से होना चाहिए ।
शरीर के पोषक तत्व हैं - प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और विटामिन प्रोटीन
प्रोटीन का मुख्य कार्य है नई कोशिकाओं
का निर्माण और पुरानी क्षत-विक्षत कोशिकाओं की मरम्मत ।
स्रोत - दूध व दूध से बने पदार्थ, दालें, सोयाबीन व सूखे मेवे ।
कार्बोहाइड्रेट – कार्बोहाइड्रेट वह पोषक तत्व है, जो शरीर की कोशिकाओं को सबसे जल्दी
ऊर्जा प्रदान करता है ।
स्रोत – अनाज, दालें, चीनी, गुड़, शहद, आलू, शकरकंदी, चुकंदर, केला, आम, अनानास, अंगूर ।
वसा - शरीर की 10 से 30% ऊर्जा की
पूर्ति तेल व वसा से होती है ।
स्रोत - दूध, घी, मक्खन, क्रीम, वनस्पति तेल - सरसों, नारियल, मूंगफली, सोयाबीन का तेल ।
विटामिन – व्यक्ति को बीमारियों से दूर करने के
साथ साथ शरीर
के मेटाबॉलिज्म को भी विटामिन नियंत्रित करते हैं । प्रमुख विटामिन
हैं - विटामिन ए, बी,सी, डी और ई ।
विटामिन ए - मुख्य कार्य आंखों को
स्वस्थ रखना है ।
स्रोत - हरी पत्तेदार सब्जियां, टमाटर, फल, घी, मक्खन, दूध ।
विटामिन बी - मुख्य कार्य हृदय, नाड़ी तंत्र, मस्तिष्क, त्वचा, आंखें व पाचन-तंत्र को सुचारु बनाना ।
स्रोत - साबुत अनाज, दालें, सूखे मेवे, अंकुरित अनाज ।
विटामिन सी - मुख्य कार्य शरीर की रोग
प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना ।
स्रोत - आंवला, संतरा, टमाटर, नींबू, अंगूर, अमरूद ।
विटामिन डी – मुख्य कार्य हड्डियों और दांतों को
मजबूत बनाना ।
स्रोत सूर्य की किरणें, दूध, मक्खन, घी, तेल ।
विटामिन ई – मुख्य कार्य प्रजनन अंगों को शक्ति
प्रदान करना ।
स्रोत - साबुत अनाज, सोयाबीन, मूंगफली, नारियल ।
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