प्रायः जब भी व्यक्ति विशेष के जीवन में कोई कष्ट या परेशानी आती है वह अपनी ग्रह दशा दिखाने पंड़ित अथवा ज्योतिषी के पास जाता है, तब पंडित उसे उसके जन्मचक्र से ग्रह दशा व उनके फल अनुसार उपाय बतला देते है जिनसे व्यक्ति विशेष को राहत प्रदान हो जाती है ।
प्रस्तुत लेख में मैने प्रत्येक ग्रह
की अवस्था व दशानुसार कुछ सरल उपाय बताने
का प्रयास किया हैं जिनसे अत्यधिक राहत व शांति प्राप्त होती है |
महर्षि पराशर जी ने कुल 42 दशा
पद्धतियां बताई हैं जिनमें प्रथम् विंशोतरी दशा मानी गई है जो कि 120 वर्ष के जीवन
काल हेतु रखी गई है । मानसागरी में भी विंशोतरी दशा को ही प्रमुखता दी गई है तथा
कहा गया है कि कलयुग में नक्षत्रदशा विंशोत्तरी फलप्रद हो जाऐगी ।
जन्म समय के चंद्र नक्षत्र से आगामी 120 वर्षो की दशा विभिन्न ग्रहो के अनुसार
मानी जाती है दशानुसार ( नक्षत्र द्वारा ) ग्रहों का क्रम निम्न रूप से बनता है, जिनसे दशा निर्धारित होती है |
केतु = 07 वर्ष
शुक्र =
20
सूर्य = 6
चंद्र = 10
मंगल =7
राहु = 18
गुरू =16
शनि =19
बुध =17 वर्ष
कुल =
120 वर्ष
1. केतु ग्रह दशा फल : - केतु ग्रह का
अपना कोई शरीर नही माना गया है इसे स्वभाव व कर्मो के आधार पर मंगल के समान कहा
गया है मंगल ग्रह की ही भाँति केतु तेज ग्रह माना गया है यह शुभ व अशुभ दोनो
प्रभाव दिखाने में बहुत तेजी करता है । उत्तर कालामृत में कहा गया है कि केतु शुभ
हो तो अपनी दशा में विजय दिलाता है, राज्य प्राप्ति तथा शत्रु नाश करवाता है । फलदीपीका मे कहा गया है, कि अशुभ ग्रहों, नीच ग्रह व अस्त ग्रह के संग व आठवें व
बारहवें भाव में होने से हृदयरोग, मान-हानि, पशु-नाश, पुत्र - पीड़ा होती है | दूसरे या
सातवें भाव से संबंध होने से रोग, कष्ट तथा बन्धु वियोग होता है । अशुभ फल प्राप्ति में निम्न उपाय
करने चाहियें :
(1) दुर्गा और मृत्युजंय मंत्र का जप करें
अथवा करायें ।
(2) शिव सहस्त्रनाम का पाठ रोजाना करें ।
(3) भगवान गणेश की पूजा अर्जना करनी चाहिये ।
(4) एक से अधिक रंग के जानवर गाय अथवा कुत्ते को भोजन करायें ।
(5) कच्चा कोयला या काले तिल काले वस्त्र में बाँधकर बहते पानी में बहायें ।
(6) लोबान मिले जल से स्नान करें ।
2. शुक्र ग्रह दशाफल: - शुभ अवस्था में होने पर शुक्र दशा में स्त्री, पुत्र व धन लाभ, वाहन प्राप्ति, राजा से सम्मान व लाभ, गृह निर्माण, व्यवसाय में लाभ आदि होते हैं । यदि
शुक्र 6, 8, 12 भाव में हो, पाप ग्रह से दृष्ट या युत हो तो चोर भय, स्त्री नाश व पीड़ा राजा से वैर होता
है | 2 या 7 भाव का स्वामी हो तो रोग, मृत्यूतुल्य कष्ट अथवा मृत्यु भी हो
सकती है । अशुभ फल निवृति हेतु निम्न उपाय करने
चाहियें :
(1) माँ दुर्गा का जाप व गाय का दान करना
चाहिये ।
(2) भोजन से कुछ हिस्सा गाय को खिलाया करें ।
(3) शुक्रवार
को गौशाला मे चारा दान करे |
(4) सुगंधित पदार्थ का प्रयोग करें, छोटी इलाइची का सेवन करे |
(5) शुक्र की वस्तुयें दान करें ।
3. सूर्य दशा फल: - सूर्य अशुभ अवस्था होने पर 6, 8, 12 भाव में होने पर, नीच व पाप प्रभाव में होने से सूर्य
अपनी दशा मे मानहानि, पिता
अरिष्ट, धन-धान्य की हानि, मित्रो से विरोध प्रवास रोग, शत्रुता आदि प्रदान करता है । ऐसे में
निम्न उपाय करने चाहियें ।
(1) महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिये
।
(2) सूर्य को अर्घ्य देना चाहिये ।
(3) गुंड़, ताँबा, गेंहु दान करना
चाहिए |
(4) पिता की सेवा करनी चाहिये ।
(5) लाल
वस्तुए प्रयोग करनी चाहिए |
(6) मुँह मीठाकर पानी पीकर ही काम करना
चाहिये ।
4. चंद्र दशा फल : - चन्द्रमा पाप गृह
से पीड़ित, नीच राशि गत् 6, 8, 12 वें भाव मे हो तो धन का नाश, मन में संताप, माता को कष्ट, धन व द्वव्य की कमी, दुःख व बन्धन तथा 2 व 7 भाव का स्वामी
होतो शरीर में जड़ता, मानसिक कष्ट व बीमारी तथा जल द्वारा
मृत्यु दे सकता है । इस हेतु निम्न उपाय लाभकारी हैं :
(1) सफेद गाय का दान करें ।
(2) माता की सेवा करें ।
(3) शिवपूजन तथा शिव सहस्त्रनाम का पाठ
करना चाहिये ।
(4) प्राणायाम व ध्यान करना लाभदायक
होता हैं |
(5) चंद्र मंत्र का जाप करना चाहिये ।
5. मंगल दशा फल: - अशुभ भाव में, पाप प्रभाव में 6, 8, 12 में होने से मंगल सूजाक, प्रमेह और फोड़े-फुंसियां देता है | 2 या 7 भाव का स्वामी हो तो शरीर मे आलस्य
मानसिक कष्ट देता है । धनधान्य की हानि तथा पशुहानि भी होती है | ऐसे में निम्न उपाय करने चाहियें |
(1) रूद्र जप व अभिषेक करें या करायें ।
(2) बैल (वृष) का दान करें ।
(3) हनुमान जी का पूजन करे, मंदिर में चोला चढ़ायें ।
(4) मित्रो, भाइयों को प्रसन्न रखें ।
(5) दक्षिण मुखी मकान में ना ।
6. राहु दशा फल: - इस ग्रह की अपनी कोई राशि नही होती है जिस राशि में
यह होता है उसी के प्रभाव में कमी या तेजी कर देता है । यह शनि की भाँति हो अभाव
एवं आलस का कारक माना गया है, परन्तु इसके प्रभाव में अनिश्चतता होती है । अष्टम, द्वादश मे होने से या इन भावो के
स्वामी संग होने से,
पाप
प्रभाव में होने से,
मानहानि, धनहानि, लाइलाज बीमारी, दरिद्रता तथा अभाव यह ग्रह प्रदान करता
है । इसके निवारण हेतु यह उपाय करना चाहिये -
(1) भगवान् शिव का पूजन एवं स्वर्ण प्रतिमा का दान करना चाहिये ।
(2) रूद्राभिषेक व महामृत्युंजय का पाठ करें या करायें ।
(3) सफेद चन्दन की माला धारण करें या तिलक लगायें ।
(4) सर्पो को मुक्त करायें ।
(5) मंदिर में नाग प्रतिष्ठा करानी चाहिये
।
(6) सात प्रकार का अनाज दान करें या जल प्रवाह करें ।
(7) बहतें जल मे कोयला,लोहा या नारियल बहायें ।
7. गुरू ग्रह दशा फल: - गुरू ग्रह के अशुभ होने पर, अशुभ व पाप प्रभाव में होने पर, नीच राशि, अस्त होने पर 6, 8, 12 वें भावों में होने पर नीचों की संगति, अपमृत्यु का भय, पुत्र - स्त्री से वियोग, धन–धर्म का नाश, गुरूओं द्वारा तिरस्कार मिलता हैं
I इसके निवारण हेतु निम्न
उपाय करे |
(1) शिव सहस्त्रनाम का जो रूद्रा
अष्टाध्यायी का जप करना चाहिए |
(2) गाय का दान करना चाहिए |
(3) पीली वस्तुएं धर्म स्थान में देनी
चाहिए |
(4) पीपल के वृक्ष पर बृहस्पति के बीज
मंत्र से जल अर्पण करें |
(5) भगवान विष्णु की पूजा करें |
(6) गुरुजन ब्राह्मण व पितामह की सेवा
करें |
(7) केले के वृक्ष में जल चढ़ाएं तथा
केले की जड़ धारण करें |
8॰ शनि ग्रह दशा
फल : -- यह
बहुत धीमी गति से चलने वाला ग्रह है देरी व अभाव का कारक भी है इसलिए सब देरी से
ही देता है | यदि 6,8,12 भाव में व अपनी नीच राशि में पाप
ग्रह से युक्त हो तो विष शस्त्र से पीड़ा,रक्त स्राव, दुर्घटना,वात जनित रोग,देश त्याग,चोरी का भय,मानसिक कष्ट तथा 2-7 का स्वामी हो तो
अपमृत्यु तथा भयंकर दुर्घटना करवाता है | इसकी शांति हेतु निम्न उपाय करना चाहिए |
(1) हनुमान जी की पूजा नित्य करें |
(2) काली वस्तुएं दान करें |
(3) महामृत्युंजय का जाप करें |
(4) विकलांगों कोढियों और असहायों को
भोजन कराएं |
(5) छाया पात्र दान करें |
(6) पीपल वृक्ष पर तिल का तेल का दिया
जलाए |
9॰ बुध ग्रह दशा फल: - इस ग्रह को राजकुमार का दर्जा दिया गया है दु:ख
स्थानों 6,8,12 भावो में पाप ग्रह द्वारा युक्त या दृष्ट होने पर,2-7 का स्वामी होने पर राजा से द्वेष,मानसिक कष्ट,विदेश यात्रा,बंधुओं से कष्ट,धन हानि,नसों संबंधित रोग,वात जनित पीड़ा,पांडुरोग,कृषि हानि,स्त्री कष्ट आदि मिलते हैं | ऐसे में उपाय करने चाहिए |
(1) विष्णु सहस्रनाम का पाठ पढे |
(2) बकरी का दान करें |
(3) किन्नरों को हरी वस्तु दान करें |
(4) मां दुर्गा एवं गणेश की पूजा करें |
(5) पक्षियों को हरी मूंग खिलाए |
(6) मां दुर्गा को छत्र चढ़ाएं |
(7) दुर्गा सप्तशती का पाठ करें या
कराएं |
यह सभी विभिन्न ग्रहो हेतु सरल उपाय
हैं जो ग्रह विशेष की दशा आने पर अवश्य किए जाने चाहिए यहां यह भी ध्यान रखें की
दशा विशेष के आने पर कुछ विद्वान ज्योतिषी रत्न धारण करने का सुझाव भी देते हैं जो
कि ग्रह की रश्मियों को बढ़ाने हेतु दिया जाता है | यदि वह ग्रह कुंडली
अनुसार अशुभ
है तो उसका रत्न धारण करने से नुकसान होगा लाभ नहीं | अत: रत्न सोच विचार द्वारा ही पहने चाहिए जबकि
उपाय हर अवस्था में किए जा सकते हैं |
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