(1) सप्तमेश का
शनि के साथ राशि परिवर्तन होना विवाह में विलंब कराता है ।
(2) सप्तमेश शनि
के नक्षत्र में हो तथा शनि से दृष्ट हो तो भी विवाह में विलंब होता है ।
(3) सप्तमेश नीच
राशि में हो, सप्तम भाव पर मंगल / शनि की दृष्टि या युति हो
तो जातक के विवाह में विलंब होता है ।
(4) सप्तम भाव
का कारक गुरू (लड़की के लिये) और शुक्र (लड़के के लिये) निर्बल हो, सूर्य
के साथ स्थित होकर अस्त हो अथवा नीच राशि में स्थित हो तो विवाह में विलंब होता है
।
(5) सप्तम भाव
पर सूर्य, शनि, मंगल, राहु
और केतु का प्रभाव होने पर विवाह विलंब से होता है । यदि शीघ्र विवाह हो जाता है
तो विवाहोपरांत जीवन साथी से पृथकता हो सकती है या मनमुटाव और झगड़े चलते रहते हैं
।
सूर्य - यदि
किसी जातक की कुंडली में सप्तम भाव में सूर्य नीच राशि का हो या सप्तमेश से सूर्य
का सम्बंध बन रहा हो तो जातक को शुक्ल पक्ष के रविवार से प्रातःकाल सूर्योदय के
समय तांबे के पात्र में जल भरकर उसमें रोली, लाल पुष्प,
चावल आदि डालकर सूर्य मंत्र या गायत्री मंत्र का उच्चारण कर सूर्य को
अर्घ्य देना चाहिए । यह क्रिया प्रतिदिन करना चाहिये और रविवार को शिव या विष्णु
मंदिर में तांबे का पात्र दान करना विष्णु मंदिर में तांबे का पात्र दान करना
चाहिये ।
मंगल - यदि जातक
की कुंडली में विवाह बाधक मंगल ग्रह हो या वर - कन्या की कुंडलियों में मंगलदोष हो
तो निम्न उपाय करें, समय पर विवाह होगा ।
शुक्लपक्ष के
मंगलवार को विवाहाकांक्षी जातक स्नान आदि से निवृत्त होकर दोपहर में हनुमान जी के
मंदिर में जाए और 125 ग्राम सिंदूर 100 मि. ग्राम चमेली का तेल, प्रसाद
हेतु गुड़ और चने तथा यथा शक्ति दान हेतु कोई भी लाल वस्त्र साथ ले जाएं । चमेली
का तेल हनुमान जी पर चढ़ाएं और उन्हें सिंदूर लगाए या दान
कर दें । हनुमान मंदिर में प्रतिमा के समक्ष शीघ्र विवाह सम्पन्न होने की प्रार्थना
करें । गुड़ और चने का भोग लगाए तथा प्रसाद को बच्चों में बांट दें । मंदिर के
बाहर बैठे किसी भिखारी को अपने साथ लाए गए लाल वस्त्र का दान करना चाहिये । यह
प्रयोग 7 मंगलवार तक करें, शीघ्र ही विवाह प्रस्ताव आने लगेंगे ।
शनि - वैराग्य
और उदासीनता का कारक शनि ग्रह विवाह में विलंब का दूसरा महत्वपूर्ण कारक होता है ।
यदि किसी जातक के विवाह में शनि ग्रह रूकावट पैदा कर रहा हो तो निम्न उपाय करना
चाहिये ।
विधि- शुक्ल
पक्ष शनिवार के दिन विवाहाकांक्षी वर या कन्या हनुमान मंदिर में सवा किलो तिल का
तेल दान करें तथा 250 ग्राम काले तिल शिवजी के मंदिर में शनिवार को ही चढ़ाएं ।
मंदिर में शनि ग्रह के शांत होने की प्रार्थना करें जिससे निर्विघ्न शादी सम्पन्न
हो सके । प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं
तथा वृक्ष के समीप तिल के तेल का दीपक जलाएं। ऐसा 11 शनिवार तक करें ।
राहु -
जन्मकुंडली में सप्तम भाव या सप्तमेश से राहु का सम्बंध बनने पर विवाह में विलंब
का कारण बनता है ।
उपाय जातक को
चाँदी का आभूषण धारण करना चाहिये । शुक्ल पक्ष के शनिवार को एक नारियल नदी या
जलाशय में प्रवाहित करना चाहिये । यह प्रयोग 7 शनिवार तक करना चाहिये ।
गुरू/शुक्र -
यदि किसी स्त्री की कुंडली में पति का कारक ग्रह गुरू कमजोर हो, मकर
राशि में स्थित हो या शनि के साथ स्थित हो या उस पर पाप ग्रहों की पूर्ण दृष्टि हो
तो वह गुरू कमजोर माना जाएगा । माता-पिता को चाहिये कि यदि लड़की की सगाई एक
निश्चित उम्र के पश्चात नहीं हो पा रही हो तो उसे सवा छः रत्ती का उत्तम कोटि का
पुखराज रत्न स्वर्ण अंगूठी में जड़वाकर गुरू पुष्य नक्षत्र में शुक्ल पक्ष के
गुरूवार या किसी भी शुभ समय में मंत्रों से अभिमंत्रित कर बायें हाथ की तर्जनी
अंगुली में पहना दें ।
इसी प्रकार
पुरूष की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो, अस्त हो या
पापग्रस्त हो तो सगाई सम्बंध में तथा विवाहोपरांत अड़चनें आती हैं । ऐसे जातक को
हीरा रत्न स्वर्ण अंगूठी में या शुक्र का उपरत्न ओपल धारण करना चाहिये ।
1)यदि कन्या के विवाह प्रस्ताव सगाई तय होने के अंतिम चरण मे
टूट जाते हो तो माता पिता को चाहिए की जिस कक्ष में
बैठकर सगाई / शादी के सम्बंध में वार्ता की जाए उसमें अपने जूते-चप्पल उतारकर
प्रवेश करें । जूते चप्पल कक्ष से बाहर द्वार के बाईं ओर उतारें ।
(2) जिस समय
कन्या के परिजन वर पक्ष से विवाह वार्ता के लिये जाएं उस समय कन्या अपने बालों को
खोले रखें तथा उनके लौटकर आने तक न तो जूड़ा बनाए और न ही चोटी | कन्या को
चाहिये कि अपने परिजनों को विवाह वार्ता के लिये प्रस्थान करते समय
प्रसन्नतापूर्वक उन्हें मिष्ठान्न खिलाकर विदा करें ।
(3) विवाह योग्य
युवक-युवती को चाहिये कि जब भी किसी विवाह उत्सव में भाग लेने का अवसर मिले तो
लड़के या कन्या को लगाई जाने वाली मेंहदी में से कुछ मेंहदी लेकर अपने हाथों पर
लगा लें ।
(4) शीघ्र विवाह
के लिये कन्याओ को 16 सोमवार का व्रत तथा प्रत्येक सोमवार को शिव मंदिर में जाकर जलाभिषेक
करना चाहिये । माँ पार्वती का श्रृंगार करें, शिव पार्वती के
मध्य गठजोड़ बांधें तथा शीघ्र विवाह के लिये प्रार्थना करें। विवाह प्रस्ताव आने
लगेंगे ।
(5) वर की कामना
पूर्ति हेतु कन्या को शिव गौरी की पूजा कर निम्न मंत्र का एक माला जप करना चाहिये ।
ॐ नमः मनोभिलाषितं
वरं देहि वरं देहि ह्रीं ॐ गौरा पार्वती दैवयै नमः ।।
(6) गुरुवार के
दिन विष्णु लक्ष्मी मंदिर में, कलंगी जो सेहरे के ऊपर लगी रहती है,
चढ़ाए, साथ ही बेसन के 5 लड्डू चढ़ाए, भगवान
से शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें। विवाह का वातावरण बनना प्रारंभ हो जायेगा ।
प्रस्तुत लेख ज्योतिष गुरु पत्रिका मे जुलाई 2013 मे प्रकाशित
हुआ हैं |
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