नक्षत्र -
वैदिक ज्योतिष मे नक्षत्र का विशेष स्थान हैं प्रत्येक नक्षत्र का भोगांश 360/27=13 अंश 20 मिनट होता हैं कोई भी ग्रह किस नक्षत्र मे हैं इसका पता लगाने के लिए ग्रह के भोगांशों को 13 अंश 20 मिनट से भाग देकर भागफल मे एक जोड़ देना चाहिए जिससे ग्रह का नक्षत्र ज्ञात हो जाता हैं | हमारे यहाँ (भारत मे) चंद्रमा के नक्षत्र को जन्म नक्षत्र कहा गया हैं अत; इसी जन्म नक्षत्र से शेष भोग्य दशा की गणना होती हैं |
यदि
चन्द्र का भोगांश 236 अंश 43 मिनट हैं (चन्द्र राशि को 30 से गुना किया गया हैं)
तो नक्षत्र होगा |
(236*60)+43/(13*60)+20=14203/800=17.75375
अर्थात 18वा नक्षत्र जो की ज्येष्ठा नक्षत्र हैं जिसका चौथा चरण चल रहा हैं
(नक्षत्र के चार चरण होते हैं) यदि दशमलव 0 से 25 हो तो पहला चरण 25 से 50 हो तो
दूसरा चरण 50 से 75 हो तो तीसरा चरण और 75 से ऊपर हो तो चौथा या अंतिम चरण होता
हैं |
नक्षत्रो
के नाम व स्वामी इस प्रकार से हैं |
1)अश्वनी
10) मघा,19)
मूल स्वामी {केतू} |
2)भरणी
11) पूर्वाफाल्गुनी 20) पूर्वाषाढ़ा स्वामी {शुक्र}
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3)कृतिका
12) उत्तराफाल्गुनी 21) उत्तराषाढ़ा स्वामी {सूर्य}
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4)रोहिणी
13) हस्त 23) श्रवण स्वामी {चन्द्र}
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5)मृगशिरा
14) चित्रा 23) धनिष्ठा स्वामी {मंगल}
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6)आद्रा
15) स्वाति 24) शतभिषा स्वामी {राहू}
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7)पुनर्वसु
16) विशाखा 25) पूर्वा भाद्रपद स्वामी {गुरु}
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8)पुष्य
17) अनुराधा 26) उत्तरा भाद्रपद स्वामी {शनि}
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9)आश्लेषा
18) ज्येष्ठा 27) रेवती स्वामी {बुध}
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आइए अब
एक उदाहरण देखते हैं |
चन्द्र
का भोगांश 2राशि 2अंश तथा 26 मिनट हैं नक्षत्र बताए ?
चन्द्र दो
राशि चल चुका हैं इसलिए (2*30)+2=62 अंश 26 मिनट = (62*60)+26/800 =3746/800 =4.68
अर्थात 5 वा नक्षत्र जो की “मृगशिरा” हैं चूंकि दशमलव 50 से 75 के बीच हैं इसलिए नक्षत्र
का तीसरा चरण चल रहा हैं |
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