पहला सुख निरोगी काया ।
दूजा सुख घर में हो माया ।
तीजा सुख कुलवंती नारी ।
चौथा सुख सुत आज्ञाकारी ।
पाँचवा सुख सदन हो अपना ।
छठा
सुख
सिर कोई ऋण ना ।
सातवाँ सुख चले व्यापारा ।
आठवाँ सुख हो सबका प्यारा ।
नौवाँ सुख भाई और
बहन
हो ।
दसवाँ सुख न बैरी स्वजन हो ।
ग्यारहवाँ मित्र हितैषी सच्चा ।
बारहवाँ सुख पड़ौसी अच्छा ।
तेरहवां सुख उत्तम हो शिक्षा ।
चौदहवाँ सुख सद्गुरु से दीक्षा ।
पंद्रहवाँ सुख हो साधु समागम।
सोलहवां सुख संतोष बसे मन ।
सोलह सुख ये होते भाविक जन ।
जो पावैं सोइ धन्य हो जीवन ।
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