बुधवार, 9 फ़रवरी 2022

सोलह सुखो का ये संसार

 पहला सुख निरोगी काया ।

दूजा सुख घर में हो माया ।

तीजा सुख कुलवंती नारी ।

चौथा सुख सुत आज्ञाकारी ।

पाँचवा सुख सदन हो अपना ।  

ठा सुख सिर कोई ऋण ना ।

सातवाँ सुख चले व्यापारा ।

आठवाँ सुख हो सबका प्यारा ।

नौवाँ सुख भाई औबहन हो ।

दसवाँ सुख न बैरी स्वजन हो ।

ग्यारहवाँ मित्र हितैषी सच्चा ।

बारहवाँ सुख पड़ौसी अच्छा ।

तेरहवां सुख उत्तम हो शिक्षा ।

चौदहवाँ सुख सद्गुरु से दीक्षा ।

पंद्रहवाँ सुख हो साधु समागम।

सोलहवां सुख संतोष बसे मन ।

सोलह सुख ये होते भाविक जन ।

जो पावैं सोइ धन्य हो जीवन ।

 

 

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