शनिवार, 29 जनवरी 2022

पंचांग मे वार


सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक के समय को वार कहा जाता हैं जिससे उस दिन के स्वामी की गणना की जाती हैं | वार मुख्यत; सात माने जाते हैं जिन्हे रवि,सोम,मंगल,बुध,गुरु,शुक्र व शनि वारो के नाम से  बुलाया जाता हैं,यह वार पृथ्वी से इन ग्रहो की दूरियो के अनुसार रखे गए हैं

सूर्य (1),बुध (4),शुक्र (6),चन्द्र (2),मंगल (3),गुरु (5),शनि (7)

वार ज्ञात करने की गणितीय विधि इस प्रकार से हैं – 

एक वर्ष मे सप्ताह निकालने पर एक दिन तथा लीप वर्ष मे दो दिन शेष मिलते हैं (365/7 = 52 शेष 1) जिससे 100 वर्षो मे 5 दिन अधिक हो जाते हैं (100+24 लीप दिन /7=17 शेष 5)

आइये इसे एक उदाहरण से सीखते हैं |

3 अप्रैल 2010 का वार क्या होगा ?

2000 वर्षो मे अधिक दिन =00

9 वर्षो मे अधिक दिन (9/7)=02

लीप वर्षो मे अधिक दिन =02

जनवरी 2010 के दिन (31/7)=03

फरवरी 2010 के दिन (28/7)=00

मार्च 2010 के दिन (31/7)=03

अप्रैल 2010 के दिन =03

कुल दिनो का योग =13 जिसे 7 से भाग देने पर हमें 6 शेष मिला जो की सोमवार से गिनने पर शनिवार का दिन हुआ |

प्रस्तुत तरीके मे हम दिन सोमवार से ही गिनेंगे क्यूंकी एडी (एंटी डोमिनो) का आरम्भ सोमवार से माना गया हैं,सोमवार को 1,मंगल को 2,...........तथा शनि को 6 गिना जाता हैं |

वार निकालने का एक अन्य सूत्र इस प्रकार से हैं –इसके लिए हमे एक ध्रुवांक सारणी की ज़रूरत पड़ती हैं |

क्रम माह जन  फर मा अ म जू जु अ सि अ न दि

1 समान्य  1  4 4  0 2  5 0 3 6  1 4  6

2 लीपवर्ष  0  3  3  0 2  5 0 3 6  1 4  6

1) सर्वप्रथम दिये गए सन के दहाई अंक को 4 से भाग करे | (शताब्दी वर्ष मे 100 को भी जोड़ेंगे)

2) भागफल मे दिया गया वर्ष जोड़े (केवल दहाई)

3) इसमे दी गयी तारीख जोड़े  |

4) फिर माह का ध्रुवांक जोड़े |

5) अब इसमे 7 का भाग कर शेष को रविवार से गिने |

आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं |

15-8-1947 का वार इस प्रकार देखेंगे ?

दहाई के अंक 47 को 4 से भाग देने पर भागफल 11 आया

इसमे दिया गया वर्ष 47 जोड़ा तो (11+47=58) आया

इसमे दि गयी तारीख जोड़ने पर 58+15=73 आया

जिसमे अगस्त माह का ध्रुवांक जोड़ने पर 73+3=76 आया

इसे 7 से भाग देने पर 6 शेष आया जो की रविवार से गिनने पर शुक्रवार आया यानि 15-8-1947 को शुक्रवार का दिन था |

 

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